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Wednesday, 13 August, 2025
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उच्चतम न्यायालय ने मुफ्त सुविधाओं के प्रतिकूल प्रभाव पर व्यापक अध्ययन संबंधी याचिका खारिज की

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नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने प्रत्यक्ष नकद लाभ, मुफ्त सुविधाएं और अन्य सरकार प्रायोजित योजनाओं के प्रतिकूल प्रभाव पर एक व्यापक अध्ययन करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त करने के अनुरोध संबंधी याचिका खारिज कर दी।

प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा, ‘‘हम इस याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। इसलिए रिट याचिका खारिज की जाती है।’’

याचिका में केंद्र और अन्य को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वे क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा उचित आर्थिक या वित्तीय मूल्यांकन करने और भारतीय रिजर्व बैंक, नीति आयोग और राज्य योजना प्राधिकरणों से अनुमोदन लेने के बाद ही मुफ्त सुविधाओं की प्रकृति वाली योजनाओं की घोषणा और कार्यान्वयन करें।

इसमें प्राधिकारियों को प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण या मुफ्त सुविधा योजनाओं के लिए आवंटन को राजकोषीय रूप से टिकाऊ सीमा तक सीमित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है, जिसकी सीमा सकल राज्य घरेलू उत्पाद के एक प्रतिशत या राज्य के स्वयं के कर संग्रह या राजस्व व्यय के एक प्रतिशत, जो भी कम हो, तक सीमित हो।

याचिका में कहा गया है कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसी योजनाओं को दीर्घकालिक राजकोषीय स्थिरता से समझौता किए बिना या स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और बुनियादी ढांचे जैसी आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं से संसाधनों को हटाए बिना जिम्मेदारी से लागू किया जाए।

भाषा देवेंद्र रंजन

रंजन

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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