(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 17 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र को अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर और असम में परिसीमन का काम करने के लिए तीन महीने का समय दिया है।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर गौर किया, जिन्होंने कुछ और समय मांगा था।
इसके बाद पीठ ने सुनवाई 21 जुलाई तक स्थगित कर दी और केंद्र से तीन महीने के भीतर आवश्यक कार्रवाई करने को कहा।
शीर्ष अदालत ने राष्ट्रपति आदेश के बावजूद इसमें हो रही देरी पर चिंता जताई थी। राष्ट्रपति के आदेश में इस प्रक्रिया को टालने की कार्रवाई को निरस्त कर दिया गया था।
पीठ ने कहा,‘‘जब राष्ट्रपति से अधिसूचना रद्द हो गयी तो यह परिसीमन प्रक्रिया की दिशा में आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त है। इसमें सरकार कहां आती है?’’
पीठ ने केंद्र के वकील से निर्देश प्राप्त करने को कहा।
केंद्र ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड के लिए विचार-विमर्श चल रहा है, लेकिन मणिपुर में जारी हिंसा के कारण स्थिति प्रतिकूल हो गई है।
पीठ ‘‘पूर्वोत्तर भारत में अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर और नागालैंड के लिए परिसीमन की मांग संबंधी समिति’’ द्वारा दायर की गयी याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिका में इन राज्यों में परिसीमन कार्य तत्काल करने की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता जी गंगमेई ने कहा था कि राष्ट्रपति के 2020 के आदेश से परिसीमन को कानूनी रूप से अनिवार्य बना दिया गया है।
उन्होंने कहा कि रिट याचिका दायर किए हुए दो साल बीत चुके हैं, लेकिन अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मणिपुर में परिसीमन शुरू करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
भाषा
राजकुमार रंजन
रंजन
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