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Sunday, 5 May, 2024
होमदेशSC ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में SIT को भंग किया, निगरानी करने वाले जज को ड्यूटी से किया मुक्त  

SC ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में SIT को भंग किया, निगरानी करने वाले जज को ड्यूटी से किया मुक्त  

शीर्ष अदालत ने कहा कि दो मामलों में ट्रायल चल रहा है और इसमें एसआईटी के पास करने के लिए कुछ भी नहीं बचा है. 

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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) को भंग कर दिया है और मामले में एसआईटी की जांच की निगरानी कर रहे रिटायर्ड जज राकेश कुमार जैन को कार्य मुक्त कर दिया है.

न्यायमूर्ति सूर्य कांत और दीपांकर दत्ता की पीठ का यह फैसला लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में सुनवाई के दौरान आया.

शीर्ष अदालत ने कहा कि दो मामलों में ट्रायल चल रहा है और इसमें एसआईटी के पास करने के लिए कुछ भी नहीं बचा है.

हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि वह अगर भविष्य में जरूरत हुई तो एसआईटी को फिर से गठित करने के लिए उचित आदेश दिया जाएगा.

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जज राकेश कुमार जैन की अध्यक्षता में लखीमपुर हिंसा की जांच की निगरानी के लिए एसआईटी गठित की थी.

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अभी, अशीष मिश्रा, जो कि मामले में आरोपी हैं, सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम जमानत पर बाहर हैं.

26 जुलाई, 2022 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आशीष मिश्रा को जमानत देने से इनकार कर दिया है, आशीष, केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे हैं. जमानत को इलाहाबाद की लखनऊ पीठ ने खारिज कर दिया था.

आदेश को आशीष मिश्रा ने अपने वकील टी महिपाल के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. 3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी में हुई घटना में मारे गए 8 लोग, जिसमें 4 किसान शामिल थे, को लेकर हत्या के मामले का सामना कर रहे हैं.

मिश्रा कथित तौर पर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी थी. उन्हें 9 अक्टूबर को गिरफ्तार कर लिया गया था और फरवरी 2022 में जमानत दी गई थी.

मिश्रा, दोबारा हाईकोर्ट गए क्योंकि अदालत के पहले के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2022 में रद्द कर दिया था और उनकी जमानत याचिका पर नए सिरे से विचार करने का आदेश दिया था.

शीर्ष अदालत ने पहले 10 फरवरी, 2022 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया था और मामले को वापस उच्च न्यायालय में भेज दिया था. शीर्ष अदालत ने कहा था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार नहीं रखा जा सकता है और इसे रद्द किया जाना चाहिए और प्रतिवादी/अभियुक्त के जमानत बांड रद्द किये जाते हैं. कोर्ट ने आशीष मिश्रा को एक हफ्ते के अंदर सरेंडर करने का निर्देश दिया था.

लखीमपुर खीरी की घटना के पीड़ितों के परिवार के सदस्यों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसने आशीष मिश्रा को जमानत दे दी थी.


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