नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कुश्ती खिलाड़ियों की रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृज भूषण के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर सुनवाई शुरू कर दी है.
वहीं शुक्रवार को दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि वह आज एफआईआर दर्ज करेगी.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दिल्ली पुलिस आज शाम तक मामले में एफआईआर दर्ज करेगी.
कुश्ती खिलाड़ियों डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष बृज भूषण के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर कुछ दिनों से जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने उन पर महिला कुश्ती खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. धरने पर अंतरराष्ट्रीय पहलवान बजरंग पूनिया, विनेश सहित दो दर्जन से ज्यादा पहलवान हैं. भारतीय महिला पहलवान साक्षी मलिक ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि उन्होंने दो दिन पहले सीपी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी.
लेकिन अभी तक सीपी पुसिल ने मामले एफआईआर नहीं दर्ज किया है. मलिक ने बताया था कि 7 लड़कियों ने शिकायत कर एफआईआर दर्ज कराने की मांग की थी. इनमें से एक लड़की नाबालिग है और उसका मामला पॉस्को के तहत आता है. इसको लेकर ढाई महीने हो गए, जांच समिति का कोई फैसला अभी तक सामने नहीं आया है.
वहीं इससे पहले पहलवानों ने सिंह और कई कोचों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर पहली बार जनवरी में सड़कों पर उतरे थे.
ब्रिज भूषण सिंह, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी से संसद सदस्य हैं, ने सभी आरोपों से इंकार किया है.
खेल मंत्रालय ने WFI के शीर्ष अधिकारियों को सभी प्रशासनिक शक्तियों से वंचित करने और आरोपों की जांच करने के लिए एक निरीक्षण समिति बनाने की बात कहने के बाद जनवरी में विरोध वापस ले लिया था.
खिलाड़ियों की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने रिटायर्ड जज की निगरानी में सुप्रीम कोर्ट से महिला खिलाड़ियों सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए निर्देश देने की अपील की.
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश होने वाले एसजी तुषार मेतहा ने कहा कि इन सभी मसलों को दिल्ली पुलिस देख सकती है.
टोक्यो ओलंपिक में पुरुषों की फ्रीस्टाइल कुश्ती में कांस्य पदक जीतने वाले बजरंग पुनिया ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा था कि, ‘जब तक कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, जब तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाता, हम अपना विरोध जारी रखेंगे.’
उन्होंने इस दौरान लोगों से पहलवानों के लिए समर्थन मांगा था. उन्होंने कहा था, ‘यह केवल कुश्ती खिलाड़ियों की लड़ाई नहीं है. मैं देश के सभी एथलीटों, सभी खिलाड़ियों से अपील करता हूं कि वे आएं और हमसे जुड़ें.’
ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने कहा था कि जनवरी में विरोध वापस लेना एक गलती थी.
2016 में रियो ओलंपिक में महिलाओं की 58 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती में कांस्य पदक जीतने वाली मलिक ने कहा था, ‘निगरानी समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई और हमारे पास यह मानने के वजह है कि दोषियों को क्लीन चिट मिल गई है.’
‘कुछ लोगों ने हमें गुमराह किया और जनवरी में अपना विरोध वापस लेने के लिए मना लिया. लेकिन हमने सबक लिया है और इस बार हम तब तक नहीं हटेंगे जब तक हमें न्याय नहीं मिलता.’
वहीं खेल मंत्रालय ने सोमवार को भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) से WFI चलाने और 45 दिनों के भीतर नए सिरे से चुनाव कराने के लिए एक एडहॉक समिति बनाने को कहा था.
इससे पहले हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा, जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक और रालोद के प्रमुख जयंत चौधरी भी पहलवानों की मांग समर्थन में जंतर-मंतर पर पहुंचे थे.
DCW ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने को कहा था
वहीं दो दिन पहले दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने महिला कुश्ती खिलाड़ियों के साथ यौन उत्पीड़न मामले में एफआईआर दर्ज करने में नाकाम होने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की थी.
डीसीडब्ल्यू की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा था, ‘5 दिन बीत गए लेकिन दिल्ली पुलिस कुश्ती खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़न की शिकायत को लेकर एफआईआर दर्ज नहीं की. यह गैरकानूनी है. कानून की आईपीसी की धारा 166 ए (सी) कहती है कि यौन उत्पीड़न को लेकर अगर पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं करती, तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी. हमने दोषी पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सुझाव भेजे हैं.’
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