नई दिल्लीः कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मांग को गुरुवार को खारिज कर दिया. भाजपा ने यह मांग सत्तारूढ़ जनता दल-सेकुलर (जद-एस) और कांग्रेस की गठबंधन सरकार के 16 विधायकों द्वारा विधानसभा अध्यक्ष के.आर. रमेश कुमार को इस्तीफा देने के बाद ‘सरकार के अल्पमत में आने’ के बाद की है. वहीं इस्तीफा देने वाले विधायक बेंगलुरू के लिए रवाना हो गये हैं.
मंत्रिमंडलीय बैठक के बाद राज्यपाल वजूभाई वाला को इस्तीफा देने की संभावनाओं से संबंधित एक प्रश्न पूछने पर कुमारस्वामी ने कन्नड़ भाषा में कहा, ‘मुझे इस्तीफा क्यों देना चाहिए? इसकी क्या जरूरत है?’
उन्होंने स्पष्ट किया कि वे यहां शुक्रवार को शुरू हो रहे मानसून सत्र में भाग लेंगे. कुमारस्वामी ने कहा कि भाजपा ऐसी मांग कैसे कर सकती है जब उसके मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने 2008-09 में अपने 18 विधायकों के बगावत करने के बाद भी इस्तीफा नहीं दिया था.
कुमारस्वामी ने कहा, ‘आपको उनसे (येदियुरप्पा) पूछना चाहिए कि भाजपा के 18 विधायकों ने राज्यपाल के पास जाकर एक संयुक्त पत्र में सरकार से अपना इस्तीफा लेने के बाद भी उन्होंने इस्तीफा क्यों नहीं दिया था.’
कर्नाटक के बागी विधायक मुंबई से बेंगलुरू के लिए रवाना
कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष के सामने पेश होने के लिए गुरुवार को कांग्रेस व जद-एस के कम से कम 10 बागी विधायक मुंबई से बेंगलुरू के लिए रवाना हुए. कर्नाटक विधानसभा से इस्तीफा देने वाले यह बागी विधायक उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए विधानसभा अध्यक्ष से मिलने बेंगलुरू पहुंच रहे हैं. सूत्रों के अनुसार, विधायक मुंबई से अपरान्ह करीब दो बजे एक फ्लाइट से रवाना हुए और उनके शाम लगभग चार बजे बेंगलुरू पहुंचने की उम्मीद है.
इस्तीफा देने के बाद जो विधायक मुंबई के एक होटल में टिके हुए थे उनमें शिवराम हेब्बर, प्रताप गौड़ा पाटील, बी. सी. पाटील, बैराती बसवराज, एस. टी. सोमशेखर, रमेश झारकिहोली, गोपालैया, एच. विश्वनाथ, नारायण गौड़ा और महेश कुमुतली शामिल हैं.
कर्नाटक संग्राम: सुप्रीम कोर्ट का आदेश, शाम 6 बजे विधानसभा अध्यक्ष से मिलें विधायक
कर्नाटक में सियासी उठापटक थमने का नाम नहीं ले रही है. एकतरफ जहां विधायकों के इस्तीफे के बाद अल्पमत में आई कर्नाटक सरकार उन्हें मनाने में जुटी है वहीं दूसरी तरफ बागी विधायक इस्तीफा दिए जाने के बाद से ही मुंबई में डेरा जमाए हैं. बुधवार को मुंबई में चले हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद विधायकों ने अपने अधिकारों के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को कर्नाटक के बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई हुई.
बागी विधायकों को सुरक्षा दें डीजीपी- सुप्रीम कोर्ट
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ ने विधायकों से आज स्पीकर के पास जाने का निर्देश दिया और कहा कि स्पीकर इसपर फैसला लें. विधायकों की तरफ से अदालत में मुकुल रोहतगी पेश हुए. उन्होंने कहा कि विधायक इस्तीफा दे चुके हैं. स्पीकर मामले को लटका रहे हैं. अदालत ने कहा कि वह कल मामले पर सुनवाई करेगा.
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अदालत ने बागी विधायकों को शाम के छह बजे स्पीकर के सामने पेश होने का आदेश दिया है. अदालत ने कहा कि वह स्पीकर से मिलकर उन्हें अपने इस्तीफे सौंपे और इसका कारण बताएं. अदालत ने कर्नाटक के डीजीपी को बागी विधायकों को सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया. अदालत ने कहा कि स्पीकर को बचे हुए दिन में अपना फैसला लेना है.
The Supreme Court says Karnataka Speaker has to take a decision in remaining part the day. The Court also ordered the DGP of Karnataka to provide protection to all the rebel MLAs and adjourned the hearing for tomorrow (July 12). https://t.co/ih2fE1AKR3
— ANI (@ANI) July 11, 2019
कुमारस्वामी ने बुलाई कैबिनेट की बैठक
इस बीच, सीएम कुमारस्वामी ने गुरुवार को विधान सभा भवन में आपातकालीन कैबिनेट बैठक बुलाई है. बुधवार देर रात सीएम ऑफिस की ओर से कहा गया कि मंत्रियों ने अपने-अपने पार्टी अध्यक्ष को इस्तीफा दिया है, सीएम को नहीं. वहीं पार्टी और प्रशासन में चाणक्या और संकटमोचक की भूमिका निभा रहे डीके शिवकुमार ने एकबार फिर बागी विधायकों पर विश्वास जताते हुए कहा है कि मैं विश्वसत हूं कि विधायक हमारे साथ हैं. मुझे आशा है कि वह वापस आएंगे और अपना इस्तीफा वापस ले लेंगे.
कर्नाटक की स्थिति का प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा- चिदांबरम
कर्नाटक में चल रही अफरा-तफरी अभी थमी भी नहीं थी कि गोवा के 10 कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफे ने सियासत में खलबली मचा कर रख दी है. राज्यसभा में बजट पर अपनी बात रखते हुए पूर्व वित्तमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिंदाबरम ने कहा कि वह कर्नाटक और गोवा में फैली स्थिरता से बहुत निराश हैं.
चिदांबरम ने कहा कि जिस तरह के हालात दोनों राज्यों में उत्पन्न हुए हैं उसका खामियाजा देश की अर्थव्यवस्था को भी उठाना पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि विदेशी निवेशक, रेटिंग एजेंसी और अतंरराष्ट्रीय संस्था भारतीय मीडिया नहीं बल्कि वहां देश में छप रही राजनीतिक खबरों पर नजर रखते हैं और जिस तरह की राजनीतिक अस्थिरता की खबरें मीडिया में जा रही हैं उससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ेगा.
(आईएएनएस के इनपुट्स के साथ)