नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग में प्रदर्शन पर आंदोलन की जगह को लेकर चिंता जताई है. अदालत ने कहा कि कि लोगों को एक कानून के खिलाफ प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन सवाल आंदोलन की जगह का है.
सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े, वकील साधना रामचंद्रन को प्रदर्शनकारियों को ऐसे वैकल्पिक स्थल पर जाने के लिए राजी करने को कहा, जहां कोई सार्वजनिक स्थान अवरुद्ध न हो. इस दौरान वजाहत हबीबुल्लाह, चंद्रशेखर आजाद नियुक्त वार्ताकारों की सहयोग करेंगे.
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शनों के कारण सड़कें अवरुद्ध होने को लेकर दायर की गई याचिकाओं की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की एक पीठ ने कहा कि उसे चिंता इस बात की है कि यदि लोग सड़कों पर प्रदर्शन करने लगेंगे तो क्या होगा.
न्यायालय ने कहा कि लोकतंत्र विचारों की अभिव्यक्ति से चलता है लेकिन इसके लिए भी सीमाएं हैं.
अदालत ने कहा कि उसे चिंता इस बात की है कि यदि लोग सड़कों पर प्रदर्शन करने लगेंगे तो क्या होगा, संतुलन का एक कारक होना जरूरी है.
लोगों को प्रदर्शन करने का बुनियादी अधिकार है लेकिन जो बात हमें परेशान कर रही है, वह है सार्वजनिक सड़कों को अवरूद्ध करना.
अदालत ने कहा कि लोकतंत्र विचारों की अभिव्यक्ति से चलता है लेकिन इसके लिए भी सीमाएं हैं.
सॉलिसिटर जनरल ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि एक ऐसा संदेश न जाए कि हर संस्था शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को मनाने की कोशिश कर रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि कोई उपाय न निकला तो हम स्थिति से निपटने का जिम्मा अधिकारियों पर छोड़ देंगे.
अदालत ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने अपनी बात रख दी है और शाहीन बाग में प्रदर्शन काफी समय से चल रहा है.
सीएए और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के खिलाफ प्रदर्शन के कारण पिछले वर्ष 15 दिसम्बर से कालिंदी कुंज-शाहीन बाग और ओखला अंडरपास बंद है.
(न्यूज एजेंसी भाषा के इनपुट्स के साथ)