जयपुर: भीलवाड़ा के बाद, 10 दिनों में कोविड-19 का एक भी नया मामला सामने नहीं आया था, अब राजस्थान का रामगंज नया कोरोनावायरस हॉटस्पॉट बना है. जयपुर की मुस्लिम बहुल इलाके वाल्ड सिटी में, जहां अब तक कम से कम 100 मामले सामने आ चुके हैं.
रामगंज के अधिकारी ने 45 वर्षीय ‘सुपर स्प्रेडर’ को मामले के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, जो 17 मार्च को ओमान से आए थे. उन्होंने कथित तौर पर 17 लोगों को सीधे संक्रमित किया है, जिसमें उनके परिवार के 11 सदस्य शामिल थे, और एक दोस्त जिसकी बाइक पर वह घूम रहे थे. बाकी प्रभावित सभी लोग भीड़भाड़ वाले रामगंज इलाके में रहते हैं.
अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) रोहित कुमार सिंह ने कहा, ‘रामगंज क्षेत्र से इस व्यक्ति से हुए सभी मामलों का पता लगाया जा सकता है. वह अपने परिवार के सदस्यों सहित सीधे 17 लोगों को संक्रमित करने के लिए जिम्मेदार हैं, जबकि उनके दोस्तों में से एक पर लगभग दर्जनभर लोगों को संक्रमित करने का संदेह है.’
राजस्थान में बुधवार तक कोरोनोवायरस के 430 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 140 या तिहाई अकेले जयपुर से हैं. इस राजधानी शहर के लगभग 100 मामले रामगंज से हैं.
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सुपर स्प्रेडर ने क्वारंटाइन के आदेशों को नजरंदाज किया
राजस्थान सरकार के अधिकारियों का कहना है कि ओमान से लौटे 45 वर्षीय व्यक्ति को 17 मार्च को दिल्ली हवाई अड्डे पर लक्षणमुक्त पाया गया था, लेकिन उन्हें खुद को क्वारंटाइन करने के निर्देश के साथ घर भेजा गया था.
24 मार्च को बुखार की शिकायत होने तक उन्होंने कथित तौर पर लगभग एक हफ्ते तक समाजीकरण (लोगों के बीच जाना) जारी रखा. टेस्ट के बाद पता चला कि वह कोविड-19 पॉजिटिव थे.
अधिकारियों का अनुमान है कि वह अकेले 200 लोगों के करीब गए. और उनके परिवार में 32 सदस्यों में से 11 पॉजिटिव पाए गए हैं.
प्रसार का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके जयपुर आने से पहले दो इतालवी नागरिकों सहित सिर्फ 10 कोविड -19 मामले ही थे. रामगंज से 10 मामले सामने आने के बाद 30 मार्च को यह संख्या दोगुनी हो गई. इनमें शख्स की मां, बेटा और उनका एक दोस्त शामिल है. 30 मार्च से 4 अप्रैल तक, रामगंज से कम से कम 40 मामले थे. फिर, 5 अप्रैल को केवल एक दिन में इलाके से 39 और सकारात्मक मामले सामने आए.
गुरुवार को 11 लोगों में पॉजिटिव मामले सामने आए जिनमें से आठ रामगंज से थे, जो जयपुर से कुल मिलाकर 140 थे.
यह भीलवाड़ा के पांच गुना से अधिक मामले हैं, जहां अभी तक 27 लोग पॉजिटिव पाए गए हैं.
एरिय सील
45 वर्षीय शख्स की टेस्ट रिपोर्ट सकारात्मक आने के बाद, राज्य स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन तुरंत कार्रवाई में जुट गया है. रोगी के घर के 200 मीटर के भीतर के पूरे क्षेत्र को सील कर दिया गया है और 25 मार्च को एक किलोमीटर के दायरे में कर्फ्यू लगाया गया है और परिवार के सदस्यों को क्वारंटाइन कर दिया गया है.
लेकिन जैसा कि अधिक मामले सामने आने पर स्वास्थ्य विभाग में इसको लेकर भीलवाड़ा मॉडल के बारे में चर्चा जोरों पर हुई. विभाग ने पहले पूरे वाल्ड सिटी में 30 मार्च को कर्फ्यू लगाया और फिर 31 मार्च को अगले दिन इसे पूरी तरह से ‘सील’ कर दिया.
आवश्यक सेवाओं को पहुंचाने वालों को छोड़कर किसी को भी, वल्ड सिटी में आने-जाने की अनुमति नहीं है. सभी कर्फ्यू पास रद्द कर दिए गए हैं.
राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल की टीमों को फ्लैग मार्च करने के लिए तैनात किया गया है और ड्रोन का इस्तेमाल लोगों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए किया जा रहा है. प्रशासन किराने के सामान, पका हुआ भोजन और दूध घर पहुंचा रहा है.
उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई है. निषेधज्ञा के आदेशों का उल्लंघन करने पर 6,000 से अधिक वाहनों को जब्त किया गया और 72 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
रामगंज में चुनौतियां
रामगंज, हालांकि, भीलवाड़ा से कई मायनों में अलग है.
एसीएस (स्वास्थ्य) रोहित कुमार सिंह के अनुसार, रामगंज में सोशल डिस्टैंसिंग को लागू करना मुश्किल है क्योंकि यह घनी आबादी वाला क्षेत्र है.
उन्होंने कहा, ‘भले ही लोग शारीरिक दूरी बनाए रखना चाहते हैं, लेकिन यह व्यावहारिक रूप से असंभव है. छोटे मकान के बीच कोई खाली जगह नहीं हैं और 10 से 12 लोगों का बड़े परिवार इन्हें साझा करता है.’
इसके अलावा, स्वास्थ्य विभाग द्वारा सर्वेक्षण के बारे में गलतफहमी जैसी अन्य चुनौतियां थीं. टीम के सदस्यों के साथ शत्रुता और दुर्व्यवहार की खबरें थीं क्योंकि लोगों को डर था कि वे राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के लिए जानकारी ले रहे हैं.
सिंह ने हालांकि कहा कि स्थानीय विधायकों, कांग्रेस के रफीक खान और अमीन कागजी आगे आए और लोगों को सर्वेक्षण टीमों के साथ सहयोग करने के लिए राजी किया, जिससे चीजें आसान हो गईं.
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वायरस की तलाश
उन सभी का पता लगाने के लिए, जिन्होंने 45 वर्षीय रोगी के साथ बातचीत की थी, जयपुर प्रशासन ने गहन संपर्क ट्रैसिंग के लिए विभिन्न टीमों का गठन किया और उन्हें अलग-अलग काम दिए गए हैं.
एक टीम मरीज के कॉल विवरण का विश्लेषण कर उनसे मिलने वालों के बारे में जानकारी प्राप्त कर रही थी और उनके लेकेशन का पता लगाने में लगी. स्वास्थ्य टीमों ने फिर स्क्रीनिंग और नमूना संग्रह के लिए उन जगहों का दौरा किया और जरूत पड़ने पर क्वारंटाइन किया है.
अधिकारियों ने कहा कि एक विशेषज्ञ ने उन्हें गहन सर्वेक्षण और नमूना संग्रह के लिए क्षेत्र को समूहों में विभाजित करने की सलाह दी.
राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा के अनुसार, पूरे क्षेत्र को स्वास्थ्य की जनगणना के आधार पर 30 समूहों में विभाजित किया गया है और टेस्ट के लिए प्रत्येक क्लस्टर से 21 नमूने एकत्र किए जा रहे हैं.
लोगों की स्क्रीनिंग के लिए पांच मोबाइल वैन को भी लगाया गया है. मकसद है कि जल्दी से संदिग्ध मामलों की पहचान करना ताकि दूसरों को संक्रमित करने से पहले उन्हें अलग किया जा सके.
‘हम रामगंज में स्थिति को सुधारने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. गहन सर्वेक्षण किया जा रहा है.’ एसीएस (स्वास्थ्य) सिंह ने कहा. ‘हमें इस क्षेत्र में रहने वाले 2.6 लाख लोगों की स्क्रीनिंग करनी है. अब तक, 266 टीमों ने 22,022 घरों का दौरा किया है और 1,16,773 सर्वेक्षण किया है.’
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