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Monday, 7 October, 2024
होमदेशकोविड-19 से निपटने में सफल माने जा रहे भीलवाड़ा मॉडल के पीछे हैं 56 वर्षीय पदोन्नत आईएएस अधिकारी

कोविड-19 से निपटने में सफल माने जा रहे भीलवाड़ा मॉडल के पीछे हैं 56 वर्षीय पदोन्नत आईएएस अधिकारी

राजेंद्र भट्ट अपने सभी वरिष्ठों और कनिष्ठों को इस प्रयास के लिए श्रेय दे रहे हैं तब राजस्थान के अधिकारी, वो भी भट्ट की टीम में काम करने वाले, कह रहे हैं कि उनके जैसा जिलाधिकारी दूसरा कोई नहीं है.

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नई दिल्ली: कोरोनावायरस का हॉटस्पॉट कहे जाने वाले राजस्थान में भीलवाड़ा जिले का मॉडल कोविड-19 के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए इस कदर सफल हो चुका है कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से ‘कड़ाई से कंटेनमैंट’ करने के बारे में पूछा है. लेकिन जिले के 56 वर्षीय कलेक्टर (डीएम) जो पूरी योजना को लागू करने के इंचार्ज हैं, उन्हें इस पूरी जीत का श्रेय दिया जा रहा है.

राजेंद्र भट्ट ने दिप्रिंट को बताया, ‘मुझे लगता है कि हमें 1 मई तक का इंतजार करना चाहिए, ये सुनिश्चित करने के लिए कि हमने पूरी तरह से इस वायरस को खत्म कर दिया है.’

‘मैं चाहता हूं कि जीत का दावा करने से पहले हम आइशोलेसन, टेस्टिंग और क्वारेंटाइन के तीन क्रम पूरे कर लें.’

टेक्सटाइल टाउन कहा जाने वाला भीलवाड़ा कोविड-19 के हॉटस्पॉट में से एक था जहां 27 लोग संक्रमित पाए गए थे और दो लोगों की मौत हुई थी.

लेकिन जिलाधाकिरी द्वारा अपनाई गई रणनीति ने इस बात को सुनिश्चित किया है कि पिछले 10 दिनों में भीलवाड़ा में एक भी कोविड-19 का मामला दर्ज नहीं हुआ है. सभी राज्यों के मुख्य सचिव अब इसी तरह से काम करने की तरफ बढ़ रहे हैं.

भट्ट बड़ी स्थिरता से दावा करते हैं कि ये सफलता कोई रॉकेट साइंस नहीं है. वो कहते हैं, ‘हमें राज्य सरकार से पूरा सहयोग मिला. जब हमने जिला स्तर पर ये कहा कि सीमाओं को बंद करना है तो सरकार ने ये तुरंत किया- कोई सवाल नहीं पूछा.’

उन्होंने कहा, ‘जब हमने कहा कि हम किसी को भी जिले से बाहर और अंदर नहीं आने दे सकते तो सरकार ने तुरंत ऐसा किया. महामारी अधिनियम तुरंत लागू किया गया जिससे जिलाधाकारी को सभी अस्पताल, हॉटल्स को अपने अधिकार क्षेत्र में लेने की शक्ति हासिल हो गई. इसलिए ये सभी का साझा प्रयास है.’


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लेकिन जब भट्ट अपने सभी वरिष्ठों और कनिष्ठों को इस प्रयास के लिए श्रेय दे रहे हैं तब राजस्थान के अधिकारी, वो भी भट्ट की टीम में काम करने वाले, कह रहे हैं कि उनके जैसा जिलाधिकारी दूसरा कोई नहीं है.

‘पदोन्नत आईएएस’ अधिकारी

राजस्थान के एक युवा आईएएस अधिकारी ने कहा, ‘वो सामान्य आईएएस अधिकारी नहीं हैं’. ‘ उन्हें राजस्थान राज्य सेवा से पदोन्नति देकर आईएएस अधिकारी बनाया गया है. मैं कहना चाहूंगा कि वो किसी भी सीधे तौर पर चुनकर आए आईएएस अधिकारी से बेहतर हैं.’

आईएएस अधिकारी के करिअर में जिलाधिकारी या कलेक्टर के तौर पर पोस्टिंग, दूसरी होती है. इस पद के लिए सामान्य तौर पर 28-30 साल की उम्र होती है. लेकिन राजस्थान राज्य सेवा में होने के कारण भट्ट कई दशकों बाद डीएम के पद पर पहुंचे. उन्हें 2007 में पदोन्नति देकर आईएएस अधिकारी बनाया गया. अगले चार सालों में वो सेवानिवृत्त होने वाले हैं.

सभी राज्यों में सीधे तौर पर चुने हुए और राज्य सेवा से पदोन्नत आईएएस अधिकारी का अनुपात 2:1 का होता है.

युवा आईएएस अधिकारी ने बताया, ‘मुझे महसूस होता है कि जब से भट्ट भीलवाड़ा के डीएम बने हैं उसी समय से ये जिला इस तरह की स्थिति के लिए तैयार था. उनका एसपी, पुलिस, राज्य सरकार और सभी एसडीएम से इस तरह का तालमेल था कि सभी ने उनके निर्दशों का पालन किया.’

व्यवस्था पर पकड़

अधिकारियों ने कहा कि हॉस्पॉट की मैंपिंग के लिए जिले को पृथक करना, घर-घर जाकर स्क्रीनिंग करना, कॉनटेक्ट ट्रेसिंग, क्वारेंटाइन और आइशोलेसन की व्यवस्था ताकि ग्रामीण क्षेत्र में पूरी तरह से निगरानी हो सके- डीएम दफ्तर की तरफ से समय के अनुसार निर्देश मिलते रहे.

भट्ट के साथ काम करने वाले एक अन्य आईएएस अधिकारी ने कहा, ‘यह तथ्य है कि उन्हें कई सालों का तज़ुर्बा है और वो राज्य व्यवस्था में इतने जमे हुए हैं कि इस बात से काफी मदद मिली.’ ‘उन्होंने निर्देश दिए और हमने उसका अनुसरन किया, बाकी सब सही तरह से चलता रहा.’

भट्ट ने इस बात को स्वीकार किया कि उनकी व्यवस्था पर पकड़ हैं.

भट्ट ने कहा, ‘मैंने पूरी जिंदगी सहयोगात्मक सेवा में काम किया है…मैं जानता हूं कि राजस्थान के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्पलाई और डिमांड कैसे काम करता है, इसलिए वो सभी अनुभव मेरे लिए काफी काम आए.’

उन्होंने कहा, ‘पूरी तरह से कर्फ्यू का एलान करने से पहले हमने अपने लोगों को डेयरियों में भेजा, ये पता करने के लिए की प्रत्येक घर में कितना दूध का इस्तेमाल होता है.’ ‘ताकि जब हम कर्फ्यू लगाए तो सभी घरों में हम इसे पहुंचा पाएं……फिर से यही कि ये कोई रॉकेट साइंस नहीं था.’


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राजस्थान सर्विस के अधिकारी ने कहा कि सीधे तौर पर भर्ती हुए आईएएस अधिकारियों को शासन के तौर पर ज्यादा एक्सपोजर मिलता है लेकिन महामारी के दौरान भट्ट का मॉडल पूरे देश के अधिकारी अपना रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘ये सभी राज्य सिविल सेवा आयोग के लिए गर्व की बात है और इस बात का रिमाइंडर है कि ‘डायरेक्ट रिक्रूटर्स’ और ‘प्रोमोटीस’ बस एक टैग भर हैं’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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