scorecardresearch
Sunday, 22 December, 2024
होमदेशसूर्य चंद्रमा के शिव शक्ति बिंदु के करीब आ रहा है, अब विक्रम और प्रज्ञान के 'स्लीप मोड' से जागने का समय

सूर्य चंद्रमा के शिव शक्ति बिंदु के करीब आ रहा है, अब विक्रम और प्रज्ञान के ‘स्लीप मोड’ से जागने का समय

भुवनेश्वर स्थित अंतरिक्ष वैज्ञानिक सुवेन्दु पटनायक ने कहा कि कुछ वैज्ञानिकों को पूरी उम्मीद है कि यह फिर से काम करना शुरू कर सकता है. इसलिए अगर यह दोबारा काम करता है, तो यह हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी.

Text Size:

नई दिल्ली: विक्रम लैंडर और चंद्रयान -3 का प्रज्ञान रोवर, जो वर्तमान में अपने निर्धारित कार्यों को पूरा करने के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास फिलहाल “स्लीप मोड” में हैं, शुक्रवार (22 सितंबर) को उनके जागने की उम्मीद है.

ISRO शुक्रवार को घोषणा करेगा कि क्या चंद्रयान-3 मिशन के दो घटकों के साथ संचार स्थापित हो गया है, और क्या वे फिर से काम करेंगे.

भुवनेश्वर स्थित अंतरिक्ष वैज्ञानिक सुवेन्दु पटनायक ने कहा, “चंद्रयान-3 की सफल लैडिंग के बाद यह लगभग 14 दिनों तक काम करता रहा. इसे 14 दिनों तक (चंद्रमा पर) काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया था. इसका जीवन काल केवल 14 दिन था क्योंकि (चन्द्र) रात के समय चंद्रमा का तापमान (-)250 डिग्री तक गिर जाता है. इसलिए यह सूर्य के घंटों या दिन के दौरान काम करता था और उस दौरान यह पहले से ही सभी डेटा दे चुका था.”

पटनायक हाल ही में भुवनेश्वर में पथानी सामंत तारामंडल के उप निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं.

पटनायक ने कहा, “तापमान की इतनी बड़ी रेंज में कुछ इलेक्ट्रॉनिक घटकों के लिए काम करना बहुत मुश्किल है. इसलिए यह उम्मीद थी कि यह 14 दिनों के बाद काम नहीं करेगा…लेकिन कुछ वैज्ञानिकों को पूरी उम्मीद है कि यह फिर से काम करना शुरू कर सकता है. इसलिए अगर यह दोबारा काम करता है, तो यह हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी.”

23 अगस्त को चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरने के साथ ही भारत ने एक बड़ी छलांग लगाई, जिससे यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने वाला पहला देश बन गया और चंद्रयान-2 की क्रैश लैंडिंग पर निराशा भी खत्म हो गई.

लैंडिंग के बाद, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने लगभग 14 दिनों तक चंद्र सतह पर अलग-अलग कार्य किए, जिसमें सल्फर और अन्य छोटे तत्वों की उपस्थिति का पता लगाना, सापेक्ष तापमान रिकॉर्ड करना और इसके चारों ओर की गतिविधियों को सुनना शामिल था. चंद्रमा पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है.

भारत के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 के घोषित उद्देश्य सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग, चंद्रमा की सतह पर रोवर का घूमना और यथास्थान वैज्ञानिक प्रयोग थे.

सितंबर की शुरुआत में, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को “स्लीप मोड” में सेट किया गया था, इसरो को 22 सितंबर के आसपास इसके फिर से जागने की उम्मीद है.

एक ऐसे विकास में जो विज्ञान के प्रति उत्साही लोगों को आकर्षित कर सकता है, विक्रम लैंडर ने एक हॉप प्रयोग भी सफलतापूर्वक किया था, जिसमें उसने चंद्र सतह से इसे फिर से लॉन्च करने की संभावना का प्रयोग किया था. लैंडर ने खुद को लगभग 40 सेमी ऊपर उठाया और 30-40 सेमी की दूरी पर सुरक्षित रूप से लैडिंग की.

इस घटना के महत्व को समझाते हुए इसरो ने कहा था कि ‘किक-स्टार्ट’ भविष्य में वापसी और चंद्रमा पर मानव मिशन को आगे बड़ा सकता है.


यह भी पढ़ें: ‘चंद्रयान-2’ की विफलता ही ‘चंद्रयान-3’ की सफलता का कारण बना: ISRO के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन


share & View comments