नई दिल्ली: विधी सेंटर फ़ॉर लीगल पॉलिसी के एक नए अध्ययन के अनुसार मुंबई में 82 प्रतिशत केस नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम 1985 के तहत पाए गए हैं.
एनडीपीएस अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मुंबई में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती की गिरफ्तारी के बाद कानून फोकस में आ गया.
मंगलवार को प्रकाशित, अध्ययन ने दावा किया कि मुंबई राज्य में कुल एनडीपीएस मामलों के बड़ा योगदान देता है. 2014 के बाद महाराष्ट्र में ड्रग के मामले लगभग 500 प्रतिशत बढ़ गए.
महाराष्ट्र ने 2010 और 2013 के बीच प्रति वर्ष औसतन 1766 मामलों को एनडीपीएस अधिनियम के तहत देखा. 2013 से 2014 तक, मामलों की संख्या पांच गुना से बढ़कर 14,622 हो गई और मुंबई ने इस स्पाइक में महत्वपूर्ण योगदान दिया. 2014 में, महाराष्ट्र में एनडीपीएस के 97.6 प्रतिशत मामले, 2015 में 98.1 प्रतिशत, 2016 में 96.6 प्रतिशत और 2017 में 90.5 प्रतिशत मुंबई में थे.
अध्ययन ने 31 अक्टूबर 2019 को निकाले गए मुंबई में मजिस्ट्रेट अदालतों से 10,000 से अधिक मामलों के डेटाबेस से उपलब्ध 839 मामले के आदेशों का विश्लेषण किया है.
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‘97 फीसदी ड्रग के मामले’
अध्ययन में यह भी पाया गया कि 2017 और 2018 में मुंबई की अदालतों द्वारा 97 प्रतिशत से अधिक ड्रग से संबंधित मामलों में व्यक्तिगत उपयोग शामिल थे. मुम्बई में ड्रग के सेवन के मामलों में सभी गिरफ्तारियों और सजाओं में 87 प्रतिशत कैनबिस की खपत है.
2017 में 12,945 मामलों में से 97.7 प्रतिशत (12,647) मामलों में ड्रग की व्यक्तिगत खपत शामिल है, जिसमें केवल 298 ड्रग तस्करी के अधिक गंभीर अपराध शामिल हैं. 2018 में, कुल 9,743 मामलों में 97.3 प्रतिशत व्यक्तिगत उपयोग से जुड़े थे और 263 तस्करी के थे.
अधिनियम में किसी भी ड्रग्स के सेवन के लिए धारा 27 के तहत 10,000 रुपये से 20,000 रुपये के जुर्माने के साथ-साथ छह महीने से लेकर एक साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है.
अवैध ट्रैफिकिंग के वित्तपोषण और अपराधियों को दंडित करने की सजा 10 से 20 साल की जेल और 1 लाख से 2 लाख रुपये तक का जुर्माना है. 2014 के एक संशोधन में 10 साल की अवधि के साथ अपराध करने वाले लोगों की संपत्ति को जब्त करने की अनुमति देने के प्रावधान भी शामिल हैं, जिसमें मादक पदार्थों की तस्करी भी शामिल है.
‘अमीर दाग मुक्त हैं
अध्ययन ने अधिनियम को ‘देश के सबसे कठोर कानून में से एक’ कहा गया है.
इसमें कहा गया है कि तथ्य यह है कि ‘मुंबई में अपनी गिरफ्तारी की दर को बढ़ावा देने के लिए पुलिस ने सबसे आसान लक्ष्य चुना है.’ कैनबिस उपयोगकर्ताओं को, समाज के सबसे अधिक हाशिए वाले वर्गों में सड़क और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों लोगों को गिरफ्तार किया.’
इसमें यह भी कहा गया हैं कि इन लोगों को कानूनी सहायता तक पहुंच की संभावना नहीं है और डराने और पकड़ने में आसानी होगी.
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इसमें बताया गया कि ‘मूल्य के संदर्भ में महाराष्ट्र में जब्त की गई अधिकांश ड्रग दुनिया भर से तस्करी किए गए महंगे मनोवैज्ञानिक पदार्थ हैं, जो संभवतः एक इलीट ग्राहक द्वारा खपत के लिए हैं.’ हालांकि, पुलिस ने इस पर आंखें मूंद लीं.
अध्ययन के लिए विश्लेषण किए गए सभी मामलों में से 179 मामलों ने अभियुक्तों को पेश किया. आंकड़ों से पता चला कि 179 मामलों में 50 आरोपी मजदूर थे.
इसमें यह भी कहा गया कि कानून अपने आप में लोगों के विभिन्न समूहों के बीच कोई अंतर नहीं करते हैं, लेकिन आपराधिक न्याय प्रणाली का काम उन लोगों को लक्षित करता है जो पुलिस की मनमानी के लिए सबसे अधिक असुरक्षित हैं. अमीर पकड़ से बाहर हैं.
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