नयी दिल्ली, 16 सितंबर (भाषा) साझा विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) के नतीजों और कॉलेजों में दाखिला प्रक्रिया को लेकर स्पष्टता की कमी से परेशान छात्रों ने कॉलेज के चयन और भ्रम की स्थिति को लेकर सोशल मीडिया पर अपने विचार व्यक्त किए।
सुरभि तिवारी ने कहा कि छात्रों को दाखिला प्रक्रिया के बारे में पता नहीं था और उनमें से कुछ अपनी पसंद के बजाय स्थानीय कॉलेज में दाखिला कराने को मजबूर होंगे। तिवारी ने ट्वीट किया, ‘‘सीयूईटी सबसे बड़ी आपदा है। जो छात्र अपनी योजनाओं के अनुसार अपने भविष्य और कॉलेज के बारे में सुनिश्चित होते, अब बिल्कुल अनजान हैं। प्रतिभाशाली छात्रों के पास भी अब स्थानीय कॉलेज से स्नातक करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, जिसका शायद ही कोई मतलब हो।’’
‘सामान्यकृत स्कोर’ में औसतन 88 पर्सेंटाइल अंक हासिल करने वाली एक अन्य छात्रा श्राबनी सिंघा ने हैरानी जताई कि क्या उन्हें मौजूदा पद्धति के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के किसी कॉलेज में प्रवेश मिल सकता है।
राजनीति विज्ञान में पूरे अंक हासिल करने का दावा करने वाले आर्य ने कहा कि ‘सामान्यकृत स्कोर’ के बाद उनका पर्सेंटाइल घटकर 88.9 प्रतिशत हो गया। उन्होंने लिखा है, ‘‘मुझे दो बार परीक्षा देनी पड़ी क्योंकि मेरी एक परीक्षा रद्द कर दी गई थी। मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि मैं दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला नहीं ले पाऊंगा।’’
आर्य ने कहा कि सीयूईटी और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने ‘‘उनके सभी सपनों को चकनाचूर कर दिया है।’’ आर्य ने लिखा, ‘‘अंकों के इस सामान्यीकरण ने मेरे लिए सब कुछ बर्बाद कर दिया। दो विषयों में पूर्ण अंक और अन्य में कुछ गलतियों के साथ, मेरा पर्सेंटाइल 90 अंक तक भी नहीं पहुंचा। मैंने बहुत मेहनत की। मेरा जीवन बर्बाद हो गया है।’’
सीयूईटी के परिणाम घोषित होने के बाद, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने शुक्रवार को कहा कि विश्वविद्यालय मेधा सूची तैयार करने के लिए पर्सेंटाइल या मूल अंक का नहीं बल्कि प्रत्येक विषय में मिले अंक पर आधारित सामान्य स्कोर का उपयोग करेंगे।
कुमार ने ‘पीटीआई भाषा’ को बताया कि छात्रों को समान अवसर प्रदान करने के लिए स्कोर को सामान्य बनाया गया है, क्योंकि छात्रों ने एक ही विषय में अलग-अलग दिनों में और अलग-अलग पालियों में परीक्षा दी है।
आर्य की तरह एक अन्य छात्र रमनदीप सिंह ने सवाल किया कि उनका स्कोर ‘‘सामान्यीकरण के नाम पर’’ क्यों कम हो गया। सिंह ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘मैंने बिजनेस स्टडीज में 200 में से 200 अंक प्राप्त किए लेकिन सामान्यीकरण के बाद यह घटकर 186 रह गया। कृपया मुझे बताएं कि मैं 100 पर्सेंटाइल प्राप्त करने के लिए क्या कर सकता था? मैंने पूरे दिन, पूरी रात अध्ययन किया और सामान्यीकरण प्रक्रिया में लगभग 50 अंक गंवाए हैं।’’
सीयूईटी में उपस्थित हुए और नतीजों से नाखुश सुमति कपूर ने लिखा, ‘‘जब मैंने पहले अपनी उत्तर कुंजी की जाच की, तो यह दिखा रहा था कि तकरीबन मेरा कोई उत्तर गलत नहीं था। मैंने इतना कम स्कोर कैसे किया?’’
एक अन्य छात्र, भानु मालवलिया ने ‘सामान्यीकरण’ प्रक्रिया पर सवाल उठाया और परिणामों को ‘‘अनुचित’’ बताया। मालवलिया ने लिखा, ‘‘यह किस तरह का परिणाम है? क्या इसे हम सामान्यीकरण कहते हैं? सामान्यीकरण के नाम पर सैकड़ों अंक काटे गए हैं। क्या पहले चरण में होना हमारी गलती थी? हजारों छात्रों के सपने टूट गए। यह उचित नहीं है। हम न्याय चाहते हैं।’’
फारिया जहान ने दावा किया कि उसका स्कोर सामान्य होने के बाद 785 से घटकर 730 हो गया। उन्होंने कहा, ‘‘परिणामों ने हमें विश्वास दिलाया है कि कड़ी मेहनत अब कोई मायने नहीं रखती है। सामान्यीकरण कुछ ही लोगों के लिए था। उत्तर कुंजी सबसे खराब थी। मैं बिल्कुल बर्बाद हो चुकी हूं।’’
भाषा आशीष नरेश पवनेश
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