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Thursday, 25 April, 2024
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हिजाब बैन को चुनौती देने वालीं छात्राओं को परीक्षा में नहीं बैठने दिया, बोम्मई बोले-शिक्षा मंत्री मामले को देखेंगे

कर्नाटक के प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों में शुक्रवार से परीक्षाएं शुरू हो गईं, जो 18 मई तक चलेंगी. पहली परीक्षा बिजनेस स्टडीज की थी. राज्य भर के 1,076 केंद्रों पर 6.84 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं परीक्षा देंगे.

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नई दिल्ली: कर्नाटक के उडुपी जिले में प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में हिजाब पर लगे बैन को कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती देने वाली दोनों छात्राएं शुक्रवार को बिना परीक्षा दिए ही घर लौटा दिया गया.

इन दोनों छात्राओं को हिजाब पहनकर परीक्षा में बैठने की इजाजत नहीं दी गई जिसके बाद दोनों ही अपने-अपने घर वापस भेज दिया गया.

इस मुद्दे पर बात करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि शिक्षा मंत्री इस मामले को देखेंगे.

उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि हकीकत में क्या हुआ था. राज्य के शिक्षा मंत्री इस पर गौर करेंगे.’

गौरतलब है कि कर्नाटक के प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों में शुक्रवार से परीक्षाएं शुरू हो गईं, जो 18 मई तक चलेंगी. पहली परीक्षा बिजनेस स्टडीज की थी. राज्य भर के 1,076 केंद्रों पर 6.84 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं परीक्षा देंगे.

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आलिया और रेशम नाम की दोनों छात्राएं बुर्का पहनकर एक ऑटो-रिक्शा में परीक्षा केंद्र पर पहुंचीं.

दोनों छात्राओं ने जोर देते हुए कहा कि उन्हें हिजाब पहनकर परीक्षा लिखने की अनुमति दी जानी चाहिए लेकिन कॉलेज के अधिकारियों ने हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए उन्हें परीक्षा कक्ष में प्रवेश देने से इनकार कर दिया. इसके बाद दोनों ही छात्राओं को घर लौटना पड़ा.

उडुपी के एक कॉलेज की छह छात्राओं ने एक जनवरी को कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) द्वारा शहर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया था और कॉलेज के अधिकारियों द्वारा उन्होने हिजाब पहनकर कक्षाओं में प्रवेश से वंचित करने का विरोध किया था.

यह मामला धीरे-धीरे एक बड़े विवाद में तब्दील हो गया था.

इसके बाद लड़कियों ने हिजाब पर लगे बैन के खिलाफ कर्नाटक हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

अदालत ने उनकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है और हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के सरकारी आदेश को बरकरार रखने का फैसला सुनाया.

भाषा के इनपुट से 


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