नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी में स्वच्छ हवा की मांग को लेकर बुधवार को जंतर-मंतर पर बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए और प्रदूषण की समस्या के खिलाफ प्रदर्शन किया।
दिल्ली में लंबे समय से वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बना हुआ है।
दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों के साथ-साथ कांग्रेस समर्थित भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) के सदस्य भी प्रदूषण के खिलाफ इस प्रदर्शन में शामिल हुए।
प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां ले रखीं थीं जिन पर लिखा था, “दिल्लीवासी 50 से कम एक्यूआई के हकदार हैं”, “स्वच्छ हवा एक मौलिक अधिकार है” और “सभी को सांस लेने का अधिकार है”।
कई स्थानीय गायकों ने भी भीड़ को प्रोत्साहित करने के लिए कार्यक्रम स्थल पर प्रस्तुति दी।
प्रदर्शनकारियों में शामिल 26 वर्षीय नेहा ने आरोप लगाया कि केंद्र और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार होने के बावजूद अधिकारी प्रदूषण पर अंकुश लगाने में विफल रहे हैं।
नेहा ने कहा, “पहले तो दोषारोपण का खेल चलता था, लेकिन अब कोई बहाना नहीं चलेगा। एक्यूआई के आंकड़ों में हेरफेर की खबरें आई हैं, फिर भी एक्यूआई ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बना हुआ है। वास्तविक एक्यूआई क्या है, कौन जानता है? जब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता, हम विरोध करते रहेंगे। यह हमारे मौलिक अधिकार का मामला है।”
दिवाली के बाद से दिल्ली की वायु गुणवत्ता मोटे तौर पर ‘बहुत खराब’ से लेकर ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी हुई है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार शून्य से 50 के बीच ‘अच्छा’, 51-100 को ‘संतोषजनक’, 101-200 को ‘मध्यम’, 201-300 को ‘खराब’, 301-400 को ‘बहुत खराब’ और 401-500 को ‘गंभीर’ माना जाता है।
प्रदूषण संकट ने संसद और उच्चतम न्यायालय दोनों का ध्यान आकर्षित किया है।
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर सुनवाई को केवल सर्दियों के महीनों में ‘रस्मी’ सुनवाई के तौर पर नहीं देखा जा सकता है, और इस समस्या के अल्पकालिक और दीर्घकालिक समाधान खोजने के लिए महीने में दो बार सुनवाई की जाएगी।
प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सामान्य विमर्श में एक अहम बदलाव करते हुए कहा, ‘‘पराली जलाने का मुद्दा अनावश्यक रूप से राजनीतिक मुद्दा या अहम का मुद्दा नहीं बनना चाहिए।’’
संसद में वाईएसआरसीपी के सांसद अयोध्या रामी रेड्डी अल्ला ने दिल्ली के प्रदूषण स्तर को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल बताया तथा आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि सात में से लगभग एक निवासी को प्रदूषण के कारण असमय मृत्यु का खतरा है।
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष 17,000 से अधिक मौतें सीधे तौर पर जहरीली हवा से जुड़ी थीं।
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