लखनऊ/प्रयागराज: पिछले साल बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को काला झंडा दिखाने वाली छात्रा नेहा यादव को इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने निलंबित कर दिया है. नेहा यादव पर अनुशासनहीनता के आरोप लगे हैं. यूनिवर्सिटी की ओर से जारी नोटिस में निलंबन के 14 कारण बताए गए हैं.
वहीं निलंबन के बाद नेहा यादव का कहना है कि ‘विश्वविद्यालय प्रशासन उनके ख़िलाफ़ दुर्भावना से काम कर रहा है.’ दिप्रिंट से बातचीत में नेहा ने बताया कि वह यूनिवर्सिटी प्रशासन की तानाशाही के खिलाफ अक्सर आवाज उठाती रहीं है जिसकी सजा उन्हें अब दी जा रही है.’ करीब एक साल पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को काले झंडे दिखाकर नेहा चर्चा में आई थीं.
हाॅस्टल में कुछ दिन और रुकने का मांगा था समय
इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश और गर्मी की छुट्टियों में हॉस्टलों के रखरखाव का हवाला देते हुए यूनिवर्सिटी ने सभी छात्रों को 25 मई तक कमरे खाली करने का नोटिस जारी किया था. इसके विरोध में नेहा समेत सैकड़ों छात्रों ने प्रदर्शन किया. कुछ छात्र ये कहकर विरोध कर रहे थे कि उन्हें कुछ दिन और रहने की छूट दे दी जाए क्योंकि आने वाले दिनों में यूजीसी की परीक्षा है. बता दें कि नेहा यादव यूनिवर्सिटी के फूड एंड टेक्नोलॉजी विभाग में शोध की छात्रा हैं और हॉल ऑफ रेजिडेंस हॉस्टल में रहती हैं. वह समाजवादी छात्रसभा से भी जुड़ी रही हैं.
यूनिवर्सिटी के चीफ प्रॉक्टर ने मई के आखिरी सप्ताह में कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए एक सप्ताह के अंदर छात्रावास खाली कर देने का निर्देश दिया था. जब हाॅस्टल नहीं खाली हुआ तो नेहा को निलंबित कर दिया गया.
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प्रशासन ने कार्रवाई को उचित बताया
चीफ प्रॉक्टर प्रो. रामसेवक दुबे ने मीडिया से बातचीत में कहा कि नेहा यादव ने आचरण छात्र अनुशासन संहिता और छात्रावास नियमावली का उल्लंघन किया है. एक मार्च को छात्रावास कार्यालय में यह शिकायत की गई थी कि नेहा ने अपने कमरे का पूरा शुल्क नहीं जमा किया है. वह नियमों का उल्लंघन करती हैं. विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें नोटिस जारी किया गया था. उनके खिलाफ करीब दो दर्जन मुकदमे भी पंजीकृत हैं. कुछ माह पहले प्रयागराज आगमन पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के काफिले के सामने भी वह कूद गईं थीं.
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दुर्भावना से काम कर रहा प्रशासन: नेहा
वहीं निलंबन के बाद नेहा यादव का आरोप है कि ‘विश्वविद्यालय प्रशासन उनके ख़िलाफ़ दुर्भावना से काम कर रहा है.’ दिप्रिंट से बातचीत में नेहा ने कहा, ‘वह यूनिवर्सिटी प्रशासन के तानाशाही रवैये के खिलाफ अक्सर आवाज उठाती थीं जिसकी उन्हें अब सजा दी जा रही है.’
वह कहती हैं, ‘उनकी लड़ाई भेदभाव व तानाशाही के खिलाफ है. आवाज उठाने वाली छात्राओं के लिए यहां पढ़ना मुश्किल हो गया है. महिलाओं को स्टूडेंट लीडर के तौर पर यूनिवर्सिटी प्रशासन नहीं देखना चाहता. यही कारण है कि उन्हें निलंबित किया गया.’
नेहा पीएचडी में प्रवेश परीक्षा की टॉपर रही हैं. उनके मुताबिक यूनिवर्सिटी प्रशासन में बैठे कुछ लोग दुर्भावनावश उनका करियर ख़राब करने पर तुले हैं. उसकी वजह सिर्फ़ यह है कि वह यहां की ख़ामियों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाती हैं. अमित शाह को काला झंडा दिखाने का कारण वह बताती हैं कि वह तत्कालीन सरकार तक ये संदेश पहुंचाना चाहती थीं कि छात्रों के मुद्दे पर भी कोई ध्यान दे और उनसे संवाद करे लेकिन अब इसकी कीमत उन्हें चुकानी पड़ रही है. अब उनके पास माफी मांगने और प्रशासन से उसके फैसले पर पुन:विचार करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है