scorecardresearch
Friday, 17 May, 2024
होमदेशसरकारी भर्तियों को लेकर उत्तर प्रदेश में क्यों हो रहा है बवाल

सरकारी भर्तियों को लेकर उत्तर प्रदेश में क्यों हो रहा है बवाल

पेपर लीक मामले को लेकर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने फिलहाल पीसीएस मेंस परीक्षा भी टाल दी है और आगे भी कुछ परीक्षाएं टलने की संभावना है क्योंकि परीक्षा नियंत्रक की गिरफ्तारी के बाद परीक्षाओं का आयोजन संभव नहीं है.

Text Size:

लखनऊ: इन दिनों उत्तर प्रदेश में सरकारी भर्तियों को लेकर बवाल मचा है. परीक्षार्थी प्रयागराज, लखनऊ समेत कई जिलों में प्रदर्शन कर रहे हैं. दरअसल उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग (यूपीपीएससी) की परीक्षा नियंत्रक अंजू लता कटियार को बीते गुरुवार गिरफ्तार किया गया. उनसे हुई पूछताछ में सामने आया कि एलटी ग्रेड (टीचर) परीक्षा पेपर लीक मामले में उनकी संलिप्तता है. इसके बाद से ही प्रदेश भर के छात्र गुस्से में हैं और प्रयागराज स्थित यूपीपीएससी मुख्यालय को घेर रखा है. इससे पहले भी कई परीक्षाओं का पेपर लीक होने के खबरें आती रही हैं. ऐसे में यूपीपीएससी की सभी भर्तियां अब संदेह के घेरे में हैं.

दरअसल वाराणसी एसटीएफ ने कोलकाता निवासी प्रिंटिंग प्रेस मालिक कौशिक कुमार को पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किया था. पूछताछ में उसने अंजू कटियार को 10 लाख रुपये देने की बात कुबूल की थी. खबर मीडिया में आते ही छात्रों का आक्रोष सड़क पर दिखने लगा. गुस्साए छात्रों में कुछ शरारती तत्वों ने उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग के गेट पर ‘उत्तर प्रदेश चिलम सेवा आयोग’ लिख दिया. प्रशासन के समझाने के बावजूद छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी है.

15 से 20 लाख में होता था पर्चा लीक

यूपीपीएससी की परीक्षाओं में पेपर लीक करने के बदले में 15-20 लाख रुपए वसूले जाते थे. दरअसल कोलकाता के प्रिटिंग प्रेस मालिक कौशिक कुमार ने पूछताछ में कई राज उगले. उसने बताया कि गिरोह ने 20-20 लाख रुपये में अभ्यर्थियों से परीक्षा पास कराने का सौदा किया था. एसटीएफ का दावा है कि लोक सेवा आयोग की परीक्षा नियंत्रक (सचिव) अंजू लता कटियार की गिरोह से मिलीभगत है. उन्हें गिरोह का सरगना मोटी रकम देता रहा है. इस मामले में अंजू कटियार के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा लिखा गया है.

बीती 26 मई को लोक सेवा आयोग का पेपर छापने वाले प्रिटिंग प्रेस के मालिक आरोपी कौशिक कुमार को इलाहाबाद स्थित लोकसेवा आयोग ऑफिस के पास से एसटीएफ ने सैम्पल पेपर के साथ गिरफ्तार किया था. 2018 में हुई एलटी ग्रेड की परीक्षा में आरोपी ने परीक्षा के एक दिन पहले सहयोगी आरोपियों के जरिए प्रति छात्र ढाई से 5 लाख लेकर 50 छात्रों को हल पेपर मुहैया कराया था. 26 मई को आरोपी लोक सेवा आयोग की सचिव से मिलने गया तब पीसीएस मेंस का सील पेपर छापने को दिया गया था. इसी दौरान पेपर लीक के बदले उनको 10 लाख दिए जाने का आरोप है.परीक्षा नियंत्रक अंजू लता कटियार की गिरफ्तारी के बाद पूरा परीक्षा सिस्टम ही सवालों और जांच के घेरे में है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

इन परीक्षाओं के पेपर भी हुए लीक

– केवल 2018 एलटी ग्रेड परीक्षा ही नहीं, इससे पहले कई और परीक्षाओं में पेपर भी लीक हुए है. 2015 में पीसीएस जैसी परीक्षा का पेपर लीक हो गया था. परीक्षा के कुछ घंटे पहले ही पेपर लीक होने की बात सामने आने पर आयोग ने प्रथम प्रश्न पत्र की परीक्षा दोबारा कराई थी. यह आयोग की सबसे विवादित परीक्षाओं में एक मानी जाती है. पेपर लीक मामले की एफआईआर लखनऊ के कृष्णानगर थाने में दर्ज करवाई गई थी.

-27 नवम्बर 2016 को आरओ/एआरओ का पेपर परीक्षा से पहले ही वॉट्सऐप पर लीक हो गया था. आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने साक्ष्य सहित हजरतगंज थाने में एफआईआर के लिए तहरीर दी, हालांकि रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई. बाद में 7 जनवरी 2017 को कोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज हुई.

-पीसीएस 2017 मेंस का पेपर भी प्रयागराज के जीआईसी सेंटर पर लीक हो गया था. परीक्षा केंद्र पर गलत प्रश्न पत्र पहुंचने के मामले में आयोग ने बाद में कॉलेज को अगले 3 साल के लिए आयोग की सभी परीक्षाओं के लिए केंद्र न बनाने का फैसला लिया. केंद्र पर तैनात रहे करीब 36 कक्ष निरीक्षकों और केंद्र व्यवस्थापक को भी 3 साल के लिए आयोग की सभी परीक्षाओं से डिबार कर दिया गया. आयोग ने पीसीएस मेंस 2017 परीक्षा के प्रश्न पत्र छापने वाले प्रिंटिंग प्रेस को 2 वर्ष के लिए प्रतिबंधित कर दिया.

कई गिरफ्तारियां भी हुईं

अखिलेश सरकार के दौर में भी यूपीपीएससी सवालों के घेरे में था और अब योगी सरकार के दौर में भी घेरे में है. यूपी एसटीएफ योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से अब तक परीक्षा में सेंधमारी, पेपर लीक, सॉल्वर गैंग और भर्तियों के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले 77 मामले पकड़ चुकी है. इसमें परीक्षा नियंत्रक अंजू लता कटियार समेत 467 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. इन गिरफ्तारियों के बावजूद पूरा सिस्टम संदेह के घेरे में है.

परीक्षा टलने से बढ़ा आक्रोष

पेपर लीक मामले को लेकर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने फिलहाल पीसीएस मेंस परीक्षा भी टाल दी है और आगे भी कुछ परीक्षाएं टलने की संभावना है क्योंकि परीक्षा नियंत्रक की गिरफ्तारी के बाद परीक्षाओं का आयोजन संभव नहीं है. इससे परीक्षार्थियों का आक्रोष बढ़ गया है.

पीसीएस-2018 मेंस की परीक्षाएं 17 से 21 जून तक होनी थीं. इस मामले में अभ्यर्थियों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अर्जी भी दाखिल की थी. हाई कोर्ट में शुक्रवार को होने वाली सुनवाई से ठीक पहले आयोग ने अचानक मुख्य परीक्षाएं टालने का एलान कर सभी को चौंका दिया है. यूपी पीसीएस 2018 की प्रारंभिक परीक्षा पिछले साल हुई थीं, जिसमे 5 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था. इसी साल 30 मार्च को प्री परीक्षा के नतीजे घोषित किए गए जिसमें 19608 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया था.

विपक्षी नेताओं ने भी साधा निशाना

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि यूपीपीएससी के पेपर छापने का ठेका एक डिफाल्टर को दिया गया. आयोग के कुछ अधिकारियों ने डिफाल्टर के साथ सांठ-गांठ करके पूरी परीक्षा को कमीशन-घूसखोरी की भेंट चढ़ा दिया.

कांग्रेस विधानमंडल के नेता अजय कुमार लल्लू ने कहा कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग जैसी पारदर्शी संस्था को भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में बाज़ार के हवाले कर दिया गया है. इसीलिए सरकार इस कांड की जांच कराने की मांग करने वाले छात्रों पर लाठीचार्ज करा रही है ताकि इस खेल में लिप्त लोगों को बचाया जा सके. ये मुद्दा विधानसभा में उठेगा.

share & View comments