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मंगलवार, 22 अप्रैल, 2025
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एनएमसी बिल का विरोध कर रहे डॉक्टर माने, खत्म की हड़ताल

एम्स प्रशासन ने स्पष्ट किया था कि 1-3 अगस्त की हड़ताल को ड्यूटी के रूप में माना जाएगा जिसका आश्वासन स्वास्थ्य मंत्री ने दिया था.

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नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के समझाने के बाद नेशनल मेडिकल कमीशन विधेयक (एनएमसी) का विरोध कर रहे डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म कर दी है. डॉक्टर इस बिल को अपने खिलाफ बताते हुए देशभर में लगातार प्रदर्शन कर रहे थे.

रविवार को आरडीए, एम्स की जनरल बॉडी मीटिंग बुलाई गई थी और एग्जिक्यूटिव कमेटी ने डॉक्टरों की हड़ताल वापस लेने और सभी सेवाओं को फिर से बहाल करने का फैसला लिया था. एम्स प्रशासन ने स्पष्ट किया था कि 1-3 अगस्त की हड़ताल को ड्यूटी के रूप में माना जाएगा जिसका आश्वासन स्वास्थ्य मंत्री ने दिया था.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने की थी अपील

बिल का विरोध कर रहे डॉक्टरों से रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने मुलाकात कर हड़ताल को समाप्त करने की अपील की थी.

स्वस्थ्य मंत्री ने ट्वीट कर कहा था, ‘आज सुबह, मैं सफदरजंग और एम्स के आरडीए प्रतिनिधियों से मिला. मैंने एनएमसी बिल से संबंधित उनकी शंकाओं और गलतफहमी को स्पष्ट किया. मैंने डॉक्टरों को समझाया है कि एनएमसी बिल चिकित्सा शिक्षा में सबसे बड़े सुधार में से एक है जो देश की 130 करोड़ आबादी के लिए वरदान साबित होगा.’ उन्होंने ट्वीट किया, ‘मैंने डॉक्टरों से अपील की है कि हड़ताल को बंद करें ताकि मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर कोई परेशानी न हो.’

इससे पहले रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के छात्र संघ, दिल्ली ने घोषणा की थी कि वह अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखेगा पर तत्काल प्रभाव से आपातकालीन सेवाओं को फिर से शुरू करेगा.

डॉक्टरों को जारी किया गया था नोटिस

वहीं एक दिन पहले नेशनल मेडिकल कमीशन विधेयक का विरोध कर रहे एम्स के डॉक्टरों को अकादमिक अनुभाग ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था. विभाग ने रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन और स्टूडेंट्स यूनियन के सभी सदस्यों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि उनके खिलाफ क्यों न अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए.

अपने नोटिस में रजिस्ट्रार ने आदेश जारी करते हुए कहा था, ‘स्टूडेंट यूनियन और रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन जल्द से जल्द अपने काम पर लौटें वरना उन पर सख्त एक्शन लिया जा सकता है जिसमें उनकी सेवाओं का निलंबन और छात्रों को टर्मिनेट किए जाने से लेकर छात्रावास में रहने का अधिकार आदि भी लिया जा सकता है.’

 

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