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Sunday, 12 May, 2024
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भारत के साथ साझेदारी मजबूत करना यूरोप की विदेश नीति का आधार होना चाहिए: मित्सोटाकिस

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(फोटो के साथ)

नयी दिल्ली, 21 फरवरी (भाषा) यूनान के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोटाकिस ने बुधवार को कहा कि वैश्विक शांति और सुरक्षा की दृष्टि से भारत एक महत्वपूर्ण सहयोगी है और इसके साथ साझेदारी बढ़ाना यूरोप की विदेश नीति का जरूरी स्तंभ होना चाहिए।

मित्सोटाकिस ने ‘रायसीना डायलॉग’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए यूक्रेन में संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय स्थिरता और नियम-आधारित व्यवस्था के लिए एक ‘‘बड़ी चुनौती’’ बताया और कहा कि इस बात का भारत ने समर्थन किया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, विदेश मंत्री एस जयशंकर, कई देशों के विदेश मंत्रियों और रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञों तथा शिक्षाविदों ने सत्र में हिस्सा लिया।

यूनान के प्रधानमंत्री ने कहा कि जब वैश्विक चर्चा को आकार देने और बड़ी चुनौतियों का समाधान करने की बात आती है, तो भारत को तेजी से ध्रुवीकृत होती दुनिया में अब आम सहमति बनाने वाले और तर्कपूर्ण बात रखने के लिए जाना जाता है।

‘रायसीना डायलॉग’ सम्मेलन को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए मित्सोटाकिस ने कहा कि आज, भारत विश्व मंच पर एक बड़ी ताकत बनकर उभरा है और शांति तथा सुरक्षा का माहौल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण सहयोगी है। उन्होंने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

मित्सोटाकिस ने कहा, ‘‘भारत के साथ हमारी साझेदारी को मजबूत करना यूरोप की विदेश नीति का महत्वपूर्ण स्तंभ होना चाहिए और यह निश्चित रूप से मेरे देश के लिए सच है।’’

भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मित्सोटाकिस ने कहा कि यूनान इसके ठीक केंद्र में बैठा है। उन्होंने आईएमईसी को एक ‘‘शांति परियोजना’’ की तरह बताया।

उन्होंने कहा, ‘‘गाजा में युद्ध और पश्चिम एशिया में अशांति निस्संदेह चिंता का विषय है लेकिन इससे आईएमईसी का मजबूत तर्क कमजोर नहीं हुआ है।’’

यूक्रेन को लेकर उन्होंने कहा कि यह यूरोपीय धरती पर कोई स्थानीय युद्ध नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय मंच पर हमारे पास मौजूद शक्ति का इस्तेमाल करना हम सभी की जिम्मेदारी है और हममें से कोई भी किनारे पर बैठने का जोखिम नहीं उठा सकता।’’

मित्सोटाकिस ने कहा, ‘‘मैं यूक्रेन को लेकर आश्वस्त हूं, भारत को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। इसकी एक आवाज है जिसे सुना जाना चाहिए। हमारी साझी मानवता और परस्पर जुड़ाव अपरिहार्य है… हिंदू धर्मग्रंथों ने इस बात को इतने सशक्त तरीके से रखा है कि विश्व एक परिवार की तरह है।’’

प्रमुख भू-राजनीतिक चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत एक ऐसा प्रमुख क्षेत्र है जिस पर यूरोपीय संघ ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्होंने लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों के समक्ष चुनौतियों के बारे में भी बात की।

भारत-यूनान संबंधों पर मित्सोटाकिस ने कहा कि अच्छी प्रगति हुई है।

‘रायसीना डायलॉग’ भू-राजनीति और भू-रणनीति पर भारत का प्रमुख सम्मेलन है। यह सम्मेलन तीन दिन तक चलेगा।

इस मौके पर जयशंकर ने कहा कि भूमध्यसागरीय क्षेत्र में भारत की बढ़ती रुचि इसके लगातार आगे बढ़ने का एक महत्वपूर्ण पहलू है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत-यूनान साझेदारी निश्चित रूप से एक आधार के रूप में काम कर सकती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जैसे-जैसे भारत विदेशों में अपनी पैठ बढ़ा रहा है, यूनान एक पसंदीदा गंतव्य के रूप में उभरा है। हमारा फार्मास्युटिकल उद्योग, हमारा कृषि-व्यवसाय और विमानन पहले से ही वहां स्थापित है।’’

भाषा

देवेंद्र नेत्रपाल

नेत्रपाल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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