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बुधवार, 4 जून, 2025
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राज्य केंद्रीय कोष का इस्तेमाल गरीब कैदियों की जमानत में मदद के लिए करें: गृह मंत्रालय

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नयी दिल्ली, चार जून (भाषा) गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वे केंद्रीय कोष से उन गरीब कैदियों को वित्तीय सहायता प्रदान करें, जो आर्थिक तंगी के कारण जुर्माना अदा न कर पाने के कारण जमानत या जेल से रिहाई पाने में असमर्थ हैं।

गृह मंत्रालय ने एक पत्र में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सूचित किया है कि वे उसके द्वारा उपलब्ध कराए गए धन का इस्तेमाल पात्र कैदियों को लाभ पहुंचाने में कर सकते हैं।

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को केंद्रीय नोडल एजेंसी (सीएनए) के माध्यम से धनराशि प्रदान की जाती है। इस योजना के लिए राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो को सीएनए के रूप में नामित किया गया है।

पत्र में कहा गया है, ‘‘जैसा कि आप जानते हैं, गृह मंत्रालय ने मई, 2023 में ‘गरीब कैदियों को सहायता योजना’ शुरू की थी, जिसका उद्देश्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है, ताकि उन गरीब कैदियों को राहत मिल सके, जो आर्थिक तंगी के कारण जुर्माना न चुकाने के कारण जमानत या जेल से रिहाई हासिल करने में असमर्थ हैं।’’

गृह मंत्रालय ने कहा कि हालांकि बार-बार स्मरण कराने के बावजूद, धनराशि का उपयोग नहीं किया गया, क्योंकि कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने पात्र कैदियों की पहचान नहीं की है और उन्हें योजना का लाभ नहीं दिया है।

इसमें कहा गया है कि हालांकि, कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने धनराशि का उपयोग किया है, लेकिन उनके द्वारा योजना का समग्र कार्यान्वयन बहुत उत्साहजनक नहीं रहा है।

गृह मंत्रालय ने योजना के कार्यान्वयन के लिए पहले ही दिशानिर्देश और मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी कर दी है।

दिशा-निर्देशों के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रत्येक जिले में एक ‘अधिकार प्राप्त समिति’ और राज्य मुख्यालय स्तर पर एक ‘निगरानी समिति’ गठित की जानी चाहिए। दिशा-निर्देशों के अनुसार, ये समितियां पात्र कैदियों को वित्तीय सहायता स्वीकृत करने के लिए जिम्मेदार हैं।

हाल ही में जारी ‘इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025’ के अनुसार, जेलों में कैदियों की राष्ट्रीय औसत कुल क्षमता का 131 प्रतिशत से अधिक है। वहीं कुल कैदियों में विचाराधीन कैदियों की संख्या 76 प्रतिशत होने का अनुमान है।

रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2030 तक कारागारों में कैदियों की संख्या 6.8 लाख तक पहुंच जाएगी जबकि इनकी क्षमता केवल 5.15 लाख तक होगी।

भाषा

धीरज माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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