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Sunday, 22 December, 2024
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राज्य सरकारें और यूनिवर्सिटी अंतिम वर्ष की परीक्षा कराये बिना छात्रों को प्रमोट नहीं कर सकतीं- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्यों को यूजीसी के दिशानिर्देशों के अनुसार ही अंतिम वर्ष की परीक्षायें करानी होंगी और इसमें किसी भी प्रकार की छूट के लिये उन्हें अनुमति लेनी होगी.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य और विश्वविद्यालय 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षायें आयोजित किये बगैर छात्रों को प्रोन्नत नहीं कर सकते.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से मामले की सुनवाई करते हुये अंतिम वर्ष की परीक्षायें कराने के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के फैसले को सही ठहराया है. पीठ ने कहा,  ‘अगर किसी राय को लगता है कि कोविड-19 महामारी की वजह से वह नियत तारीख तक परीक्षा आयोजित नहीं कर सकता है तो उसे नयी तारीख के लिये यूजीसी से संपर्क करना होगा.’

शुक्रवार को सुनवाई कहते हुए पीठ ने यह भी कहा कि राज्यों को यूजीसी के दिशानिर्देशों के अनुसार ही अंतिम वर्ष की परीक्षायें करानी होंगी और इसमें किसी भी प्रकार की छूट के लिये उन्हें अनुमति लेनी होगी.

पीठ ने कहा, ‘राज्य आपदा प्रबंधन कानून के तहत अंतिम वर्ष की परीक्षायें स्थगित कर सकते हैं लेकिन इसके लिये नयी तारीख यूजीसी से परामर्श करके ही निर्धारित करनी होगी.’


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अंतिम वर्ष की परीक्षायें स्थगित करने के लिये शिव सेना के युवक प्रकोष्ठ युवा सेना सहित कई याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर कोविड-19 महामारी के बीच परीक्षायें कराने के यूजीसी के फैसले पर सवाल उठाये थे.

यूजीसी ने इससे पहले कहा था कि छह जुलाई के दिशानिर्देश विशेषज्ञों की सिफारिश पर आधारित हैं और विस्तृत मंत्रणा के बाद ही इन्हे तैयार किया गया है. यूजीसी ने कहा कि यह दावा करना गलत होगा कि इस दिशानिर्देशों के अनुसार अंतिम साल की परीक्षायें कराना संभव नहीं होगा.

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