चेन्नई, 15 मार्च (भाषा) तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने मंगलवार को राज्यपाल आर.एन रवि पर संघवाद पर उनकी हाल की टिप्पणी के लिए निशाना साधा और कहा कि ‘राज्य स्वायत्तता’ अलगाववादी शब्द नहीं है और उन्हें संघवाद शब्द से भी डरने की जरूरत नहीं है।
द्रमुक के मुखपत्र ‘मुरासोली’ में पार्टी के दिवंगत संरक्षक एम करुणानिधि द्वारा साझा किए गए एक किस्से का हवाला देते हुए कहा गया है कि राज्यपाल रवि की हालिया राय भी इसी तरह की थी।
रवि की हाल की टिप्पणी का हवाला देते हुए, सत्तारूढ़ पार्टी के तमिल दैनिक ने अपने संपादकीय में कहा कि ‘‘संस्कृति, अध्यात्म और भारतम के बड़े शब्दों’’ का उपयोग राज्यपाल के दावे को सच नहीं बना सकता है।
राज्यपाल ने 11 मार्च को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, कहा था, ‘‘जो (द्रमुक के उद्देश्य से देखे गए) संघवाद और भारतीय संघ के बारे में बात करते हैं, उन्हें याद रखना चाहिए कि भारत का जन्म 1947 में नहीं हुआ था और न ही यह अमेरिका की तरह एक संविदात्मक संघ है।’’
रवि ने कहा था, ‘‘भारत के संविधान का अनुच्छेद एक कहता है कि भारत राज्यों का संघ होगा। इसमें ‘इंडिया कहा गया है, जो कि भारत’ है।’’ उन्होंने कहा था कि भारत युगों से एक जीवित इकाई है, जिसकी कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक और कच्छ से कामरूप तक के प्राचीन ऋषियों और आमजन ने अपने दैनिक संस्कारों और अनुष्ठानों में प्रशंसा की है।
मुरासोली के संपादकीय में कहा गया है कि भारत विभिन्न राष्ट्रीय समूहों (तमिल में देसिया इनंगल) का एक संग्रह है, जहां 1,652 भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं और ऐसी भाषाओं को 826 प्रमुख भाषाओं के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
इसमें कहा गया है, ‘‘राज्य की स्वायत्तता कोई ‘अलगाववादी शब्द’ नहीं है और केंद्र में संघवाद को स्वीकार करने के बाद ही राज्य में स्वायत्तता की मांग की जाती है। इसलिए, राज्यपाल को संघवाद शब्द से डरने की जरूरत नहीं है।’’
भाषा देवेंद्र पवनेश
पवनेश
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