नयी दिल्ली, दो फरवरी (भाषा) श्रीलंका में श्री श्री रविशंकर के शांति प्रयासों की अनकही दास्तान का खुलासा करते हुए एक नयी किताब ‘‘द टाइगर्स पॉज’’ पाठकों को द्वीपीय राष्ट्र में युद्धविराम समझौते की दिशा में आध्यात्मिक नेता के प्रयासों को बताती है।
पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया (पीआरएचआई) द्वारा प्रकाशित किताब का 28 फरवरी को विमोचन होगा। स्वामी विरुपाक्ष ने यह किताब लिखी है, जिन्होंने आध्यात्मिक नेता के संघर्ष-समाधान दल के एक प्रमुख सदस्य के रूप में श्रीलंका में संघर्ष के दिनों के दौरान और बाद में नौ साल बिताए।
अलगाववादी समूह लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) ने अलग तमिल राष्ट्र बनाने के लिए श्रीलंकाई सरकार के साथ युद्ध छेड़ दिया था और सरकारी बलों द्वारा लिट्टे प्रमुख वेलुपिल्लई प्रभाकरन को मार गिराने के बाद 2009 में संघर्ष समाप्त हो गया।
विरुपाक्ष ने कहा, ‘‘यह किताब वास्तविक नेतृत्व की कहानी है, जो गुरुदेव ने अपने जीवन को जोखिम में डालते हुए, शांति और सद्भाव को बहाल करने के लिए किया। यह केवल दूसरों की मदद करने के उनके जुनून के बारे में नहीं है बल्कि लोगों के जीवन, भलाई और प्रगति को सीधे तौर पर प्रभावित करने वाली समस्याओं को हल करने के उनके दृष्टिकोण के बारे में भी है।’’
श्रीलंका में 26 साल के गृह युद्ध का जब चौथा चरण शुरू होने वाला था, ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने लिट्टे के नेता प्रभाकरन और सरकार के बीच मध्यस्थता करने की कोशिश करते हुए नागरिकों के लिए शांति लाने के उद्देश्य के साथ श्रीलंका का दौरा किया था।
भाषा आशीष पवनेश
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