इंदौर, 28 अगस्त (भाषा) संयुक्त किसान मोर्चा ने बुधवार को कहा कि मध्यप्रदेश में ‘‘पीले सोने’’ के रूप में मशहूर सोयाबीन के दाम गिरकर 10 साल पहले के स्तर पहुंच गए हैं और सरकार ने फौरन दखल देकर हालात नहीं सुधारे, तो सूबे से ‘‘सोया प्रदेश’’ का तमगा छिन सकता है।
मोर्चा में शामिल किसान संगठनों ने इस सिलसिले में सोशल मीडिया पर मुहिम भी छेड़ रखी है। इस मुहिम के तहत सरकार को आंदोलन की चेतावनी देकर मांग की जा रही है कि किसानों के हित में तत्काल दखल देकर ऐसे कदम उठाए जाएं जिनसे सोयाबीन 6,000 रुपये से 8,000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव में बिक सके।
संगठनों के मुताबिक, फिलहाल सोयाबीन 3,500 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर बिक रहा है।
केंद्र सरकार ने विपणन सत्र 2024-25 के लिए सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पिछले सत्र के 4,600 रुपये प्रति क्विंटल से 292 रुपये बढ़ाकर 4,892 प्रति क्विंटल तय किया है।
भारतीय किसान-नौजवान यूनियन के मध्यप्रदेश प्रभारी जसदेव सिंह ने कहा,‘‘सोयाबीन की जो कीमत किसान को आज मिल रही है, वही कीमत 10 साल पहले भी मिल रही थी, पर गुजरे एक दशक में इसकी खेती की लागत कई गुना बढ़ गई है।’’
भारतीय किसान मजदूर सेना के अध्यक्ष बबलू जाधव ने कहा,‘‘सोयाबीन के गिरते भाव से किसानों का इस तिलहन फसल के प्रति मोह खत्म होता जा रहा है। आने वाले वक्त में मध्यप्रदेश से सोया प्रदेश का तमगा छिन सकता है क्योंकि सोयाबीन के एमएसपी से भी नीचे बिकने के कारण अब किसान दूसरी फसलों की खेती की ओर बढ़ने को मजबूर हैं।’’
उन्होंने कहा कि अगले एक महीने में मंडियों में सोयाबीन की नयी फसल की आवक के बाद इसके दाम और गिरने की आशंका है, इसलिए सरकार को किसानों के हित में तुरंत कदम उठाने चाहिए।
पश्चिमी मध्यप्रदेश के मालवा-निमाड़ अंचल में संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक रामस्वरूप मंत्री ने कहा,‘‘सोयाबीन के तेल के दाम बढ़ रहे हैं, लेकिन सोयाबीन की फसल के दाम घट रहे हैं। यह विरोधाभास सरकार की गलत नीतियों और कारोबारियों की बेलगाम मुनाफाखोरी के कारण है।’’
उन्होंने मांग की कि सरकार को विदेशों से पाम तेल के धड़ल्ले से किए जा रहे आयात पर रोक लगानी चाहिए ताकि सोयाबीन उगाने वाले घरेलू किसानों को उनकी उपज के उचित दाम मिल सकें।
केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, देश में मौजूदा खरीफ सत्र के दौरान 125.11 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया है। यह रकबा पिछले खरीफ सत्र के मुकाबले 1.26 लाख हेक्टेयर अधिक है।
मोटे अनुमान के मुताबिक, देश का करीब 50 फीसद सोयाबीन मध्यप्रदेश में पैदा होता है।
भाषा हर्ष नोमान
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