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Friday, 28 June, 2024
होमदेशजिस तरह भारत की अगुआई की थी, उसी तरह से बीसीसीआई का पद संभालूंगा : सौरव गांगुली

जिस तरह भारत की अगुआई की थी, उसी तरह से बीसीसीआई का पद संभालूंगा : सौरव गांगुली

गांगुली ने कहा, ‘विराट कोहली भारतीय क्रिकेट में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं और हम उन्हें सुनेंगे. एक दूसरे के प्रति सम्मान होगा और राय भी होगी.’

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मुंबई : भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने बीसीसीआई अध्यक्ष के तौर पर अपना पदभार संभाल लिया है. उन्होंने कहा कि मेरी कोशिश रहेगी की मैं बीसीसीआई को पूरी ईमानदारी से चलाऊं. यह बीसीसीआई के लिए एक नई शुरुआत है. उन्होंने कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूं कि मैं उस जगह पर हूं जहां से बदलाव लाया जा सकता है.

बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने बुधवार को भ्रष्टाचार मुक्त कार्यकाल का वादा किया और कहा कि वह उसी तरह दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट संस्था की अगुआई करेंगे जिस तरह से उन्होंने भारतीय टीम की कप्तानी की थी.

गांगुली ने यहां आम सभा बैठक में अधिकारिक तौर पर बीसीसीआई अध्यक्ष के तौर पर पद संभालते हुए मीडिया से कहा, ‘विश्वसनीयता और भ्रष्टाचार मुक्त कार्यकाल से कोई समझौता नहीं. मैंने जिस तरह से भारतीय टीम की अगुआई की थी, उसी तरह से बीसीसीआई का पद संभालूंगा ’

गांगुली ने अपनी प्राथमिकताएं बताते हुए कहा कि वह गुरुवार को मौजूदा कप्तान विराट कोहली से मुलाकात करेंगे.

कोहली से बात करने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘विराट कोहली भारतीय क्रिकेट में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं और हम उन्हें सुनेंगे. एक दूसरे के प्रति सम्मान होगा और राय भी होगी.’

उन्होंने कहा, ‘मैं कल विराट कोहली से बात करूंगा, हम उन्हें हर संभव तरीके से समर्थन करेंगे, वह जो भी चाहते हों.’


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पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के भविष्य को लेकर चल रही अटकलों के बारे में पूछने पर गांगुली ने कहा, ‘चैम्पिंयस इतनी जल्दी समापन नहीं करते. जब तक मैं हूं, हर किसी का सम्मान होगा.’

ड्रेसिंग रूम से बोर्ड रूम तक पहुंचे पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली का क्रिकेट प्रशासन के शीर्ष तक का सहज सफर उनके खेलने के दिनों की याद दिलाता है जब ऑफ साइड पर उनके कलात्मक खेल का कोई सानी नहीं होता था.

खिलाड़ी के रूप में अपने शीर्ष दिनों के दौरान गांगुली जिस तरह सात खिलाड़ियों की मौजूदगी के बावजूद ऑफ साइड में आसानी से रन बनाकर विरोधी टीमों को हैरान कर देते थे, उसी तरह वह विश्व क्रिकेट के शीर्ष पदों में से एक बीसीसीआई अध्यक्ष पद के लिए सभी को पछाड़ते हुए सर्वसम्मत उम्मीदवार बनकर उभरे.

साथ ही दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड के शीर्ष तक 47 साल के गांगुली के सफर ने एक बार फिर इस कहावत को सही साबित कर दिया कि ‘एक नेतृत्वकर्ता हमेशा नेतृत्वकर्ता’ रहता है.

गांगुली जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटे और उन्होंने इसे चुनौती के रूप में लेते हुए प्रतिभावान लेकिन दिशाहीन युवा खिलाड़ियों के समूह को विश्वस्तरीय टीम में बदला और साथ ही उस पीढ़ी के दिग्गजों के साथ अच्छे कामकाजी रिश्ते भी बनाए.

चाहे एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के साथ उस समय की सबसे घातक सलामी जोड़ी बनाना हो या युवराज सिंह और वीरेंद्र सहवाग जैसे उभरते हुए खिलाड़ियों का समर्थन हो, गांगुली ने हमेशा अपने फैसलों पर भरोसा किया और इन्हें सहजता से लिया.


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बड़े खिलाड़ी से शीर्ष प्रशासक तक के सफर को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए हालांकि उन्हें कई चुनौतियों से पार पाना होगा जिसका सामना फिलहाल भारतीय क्रिकेट को करना पड़ रहा है. वह खिलाड़ी के रूप में ऐसा करने में सफल रहे और अब प्रशासक के रूप में भी ऐसा करने में सक्षम हैं.

भारत को अपनी कप्तानी में 21 टेस्ट जिताने वाले और 2003 विश्व कप के फाइनल में पहुंचाने वाले गांगुली को बंगाल क्रिकेट संघ के साथ प्रशासक के रूप में काफी अनुभव है. वह पहले इस संघ के सचिव और फिर अध्यक्ष रहे. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 18 हजार से अधिक रन बनाने वाले गांगुली निश्चित तौर पर ईडन गार्डन्स के कार्यालय में बैठकर मिले अनुभव का इस्तेमाल बीसीसीआई के संचालन में करेंगे.

गांगुली को बीसीसीआई की कार्य प्रणाली की भी जानकारी है क्योंकि वह बोर्ड की तकनीकी समिति और तेंदुलकर तथा वीवीएस लक्ष्मण के साथ क्रिकेट सलाहकार समिति के सदस्य रह चुके हैं. प्रशासकों की समिति के 33 महीने के कार्यकाल के बाद बीसीसीआई की बागडोर संभालने वाले गांगुली के पास भारतीय क्रिकेट की छवि सुधारने के लिए केवल 9 महीने का समय है जिसे 2013 आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण से नुकसान पहुंचा था.

गांगुली की कप्तानी में स्वाभाविकता और आक्रामक दिखती थी और उनकी नेतृत्व क्षमता की एक बार फिर परीक्षा होगी जब वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद में भारत को दोबारा उसकी मजबूत स्थिति दिलाने का प्रयास करेंगे. संभावना है कि गांगुली की अगुआई वाले प्रशासन और आईसीसी के बीच रस्साकशी देखने को मिल सकती है क्योंकि विश्व संचालन संस्था के प्रस्तावित भविष्य दौरा कार्यक्रम (एफटीपी) का बीसीसीआई के राजस्व पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है.

वैश्विक संस्था का नया संचालन ढांचा तैयार करने के लिए नवगठित कार्य समूह में आईसीसी के भारत को जगह नहीं देने से स्थिति और जटिल हो गई है. इसके अलावा घरेलू मोर्चे पर भी चुनौतियां कम नहीं हैं.

कप्तान के रूप में भारतीय टीम को आगे बढ़ाने के लिए गांगुली को लगातार पांच साल मिले थे लेकिन इस बार उनके पास कुछ महीनों का ही समय होगा क्योंकि उन्हें अगले साल अनिवार्य ब्रेक लेना होगा. गांगुली ने खुद स्वीकार किया है कि बोर्ड में ‘आपातकाल जैसी स्थिति’ है लेकिन इस दिग्गज को पता है कि इस स्थिति से कैसे निपटना है क्योंकि खिलाड़ी के रूप में अपने सफर के दौरान भी वह ऐसी स्थिति का सामना कर चुके हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट्स के साथ)

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