scorecardresearch
Saturday, 23 November, 2024
होमदेशराजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड सहित उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में सूर्य ग्रहण, रिंग ऑफ फायर सी होगी आकृति

राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड सहित उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में सूर्य ग्रहण, रिंग ऑफ फायर सी होगी आकृति

राजस्थान, हरियाणा और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में 'रिंग ऑफ फायर' जैसी आकृति दिखाई देगी, जबकि दिल्ली, कोलकाता और मुंबई सहित देश के बाकी हिस्सों में आंशिक ग्रहण दिखाई देगा.

Text Size:

नई दिल्ली: उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में रविवार को लगने वाला सूर्य ग्रहण देखा जा सकता है. हालांकि यह देश के कुछ हिस्सों में आंशिक ही दिखाई देगा.

सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन होता है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है और जब तीनों खगोलीय पिंड एक रेखा में होते हैं.

वलयाकार सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा का कोणीय व्यास सूर्य से कम हो जाता है जिससे चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से नहीं ढक पाता है. इसके परिणामस्वरूप, चंद्रमा के चारों ओर सूर्य का बाहरी हिस्सा दिखता रहता है, जो एक अंगूठी का आकार ले लेता है. यह ‘अग्नि-वलय’ की तरह दिखता है.

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने कहा कि ग्रहण का आंशिक रूप सुबह 9.16 बजे शुरू होगा. वलयाकार रूप सुबह 10.19 बजे शुरू होगा और यह अपराह्न 2.02 बजे समाप्त होगा. ग्रहण का आंशिक रूप अपराह्न 3.04 बजे समाप्त होगा.

एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया ने कहा, ‘दोपहर के करीब, उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में सूर्य ग्रहण एक सुंदर वलयाकार रूप (अंगूठी के आकार का) में दिखेगा क्योंकि चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से नहीं ढक पाएगा.’ ग्रहण का वलयाकार रूप सुबह उत्तर भारत के राजस्थान, हरियाणा और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा. इन राज्यों के भीतर भी कुछ प्रमुख स्थान हैं, जहां से स्पष्ट पूर्ण ग्रहण दिखेगा, जिनमें देहरादून, कुरुक्षेत्र, चमोली, जोशीमठ, सिरसा, सूरतगढ़ शामिल हैं.

देश के बाकी हिस्सों से, यह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में दिखाई देगा.

यह कांगो, सूडान, इथियोपिया, यमन, सऊदी अरब, ओमान, पाकिस्तान और चीन से भी होकर गुजरेगा.

दिल्ली में नेहरू तारामंडल की निदेशक एन रत्नाश्री ने कहा कि अगला वलयाकार ग्रहण दिसंबर 2020 में पड़ेगा, जो दक्षिण अमेरिका से देखा जाएगा. 2022 में एक और वलयाकार ग्रहण होगा, लेकिन वह शायद ही भारत से दिखाई देगा.

कहां कितने प्रतिशत दिखेगा

दिल्ली में लगभग 94 प्रतिशत, गुवाहाटी में 80 प्रतिशत, पटना में 78 प्रतिशत, सिलचर में 75 प्रतिशत, कोलकाता में 66 प्रतिशत, मुंबई में 62 प्रतिशत, बेंगलुरु में 37 प्रतिशत, चेन्नई में 34 प्रतिशत, पोर्ट ब्लेयर में 28 प्रतिशत ग्रहण दिखाई देगा.

कोलकाता में आंशिक सूर्यग्रहण की शुरुआत 10:46 बजे होगी और इसका समापन अपराह्न 2:17 बजे होगा. हालांकि दिल्ली में यह पूर्वाह्न 10:20 बजे से अपराह्न 1:48 बजे तक, मुंबई में सुबह 10 बजे से अपराह्न 1:27 बजे तक, चेन्नई में पूर्वाह्न 10:22 बजे से अपराह्न 1:41 बजे तक और बेंगलुरु में पूर्वाह्न 10:13 बजे से अपराह्न 1:31 बजे तक दिखेगा.

सूर्यग्रहण सबसे पहले अफ्रीका के कांगो से शुरू होगा और फिर भारत के राजस्थान में करने प्रवेश से पहले यह दक्षिणी सूडान, इथियोपिया, यमन, ओमान, सहदी अरब, हिंद महासागर और पाकिस्तान से होकर गुजरेगा.

इसके बाद यह तिब्बत, चीन, ताइवान की ओर बढ़ेगा और फिर प्रशांत महासागर के मध्य में समाप्त हो जाएगा.

मुंबई के नेहरू तारामंडल के निदेशक अरविंद परांजपे ने कहा, ‘दिल्ली जैसी जगहों पर दिन में 11 से 11.30 बजे तक पांच-सात मिनट तक अंधेरा रहेगा.’ उन्होंने लोगों को आगाह किया कि सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए, यहां तक ​​कि बहुत कम समय के लिए भी बिना उपकरण के नहीं देखना चाहिए, इससे आंख की रोशनी प्रभावित हो सकती है.

सूर्य ग्रहण को सुरक्षात्मक उपकरण के माध्यम से देखना सुरक्षित रहता है. कई संगठनों ने ग्रहण पर व्याख्यान आयोजित किए हैं.

दिल्ली स्थित नेहरू तारामंडल ग्रहण पर परिचर्चा का आयोजन करने के अलावा इसकी वेबकास्टिंग भी करेगा.

share & View comments