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Friday, 20 December, 2024
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#MarriageStrike को लेकर सोशल मीडिया पर दिखा घमासान, लिखा- विरोध करने वालों को काउंसिलिंग की जरूरत

हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट में मैरिटल रेप को लेकर हो रही सुनवाई के बाद ट्विवटर पर #MarriageStrike ट्रेंड करता हुआ दिखा. इसे लेकर हजारों ट्वीट किए गए.

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नई दिल्लीः हाल ही में सोशल मीडिया पर ‘मैरिज स्ट्राइक’ हैशटैग ट्रेंड करता हुआ दिखा. ट्विटर पर हजारों में ट्वीट्स किए गए थे. मामला दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा की जा रही एक याचिका की सुनवाई को लेकर था जिसमें ‘मैरिटल रेप’ को बलात्कार की श्रेणी रखने की अपील की गई थी. अभी तक मैरिटल रेप को घरेलू हिंसा के तहत की रखा जा सकता है.

दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस राजीव शकधर और सी हरिशंकर इस मामले में सुनवाई कर रहे थे. अभी पत्नी की गैर-सहमति के बिना भी पति द्वारा सेक्स किए जाने पर इसे अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जाता.

याचिकाकर्ता का तर्क था कि मौजूदा कानून के तहत अगर कोई महिला 18 साल से ऊपर है और उसका पति उसकी इच्छा के विरुद्ध शारीरिक संबंध बनाता है तो उसके ऊपर बलात्कार का मामला दर्ज नहीं किया जा सकता. यह महिलाओं की स्थिति नीचा करके देखने जैसी है.

लेकिन ट्विटर पर फेमिनिस्टों और अन्य लोगों के बीच ‘पुरुषों के अधिकार’ पर बहस के तौर पर दिखी.

पुरुषों ने किया विरोध

अंबर ने न्यूज़ का एक स्क्रीनशॉट शेयर किया जिसमें लिखा था कि महिला ने पति को नपुंसक कहते हुए उसके सामने दूसरे के साथ शारीरिक संबंध बनाए जिससे पति की मौत हो गई.

अमित लखानी ने लिखा कि फेमिनिस्ट लोग पुरुषो की आवाज को दबाने के लिए ऐसा कर रहे हैं लेकिन पुरुषों के पास विवाह के लिए मना करने का अधिकार होना चाहिए.

फोटो के जरिए थोर हैमर ने शेयर किया-

निर्मल केडिया लिखते हैं कि मैं योगी का फैन हूं क्योंकि वो मैरिज स्ट्राइक के ब्रैंड एंबेसडर हैं

वहीं सेव इंडियन फैमिली फाउंडेशन ने लिखा कि ये बात जो डेटा दिखाया जा रहा है कि 93 फीसदी महिलाओं ने कहा कि उनके पति ने उनका रेप किया है वह गलत है.

मेन्स डे आउट ने एक वीडियो शेयर किया जिसमें लोन के पैसे की रिकवरी करने आए बैंकर पर महिला झूठा रेप केस लगाने की धमकी दे रही थी

अनिल मूर्ति ने लिखा कि किसी भी लोकतांत्रिक देश में पुरुष और महिला को बराबरी का दर्जा दिया जाना चाहिए, किसी को भी दोयम दर्जे के नागरिक की तरह व्यवहार करना अनुचित है. कोर्ट को झूठे मैरिटल रेप के मामलों को खत्म करना चाहिए.

रुपांशु प्रताप सिंह लिखते हैं कि अगर आप हां करते हैं तो ये मैरिटल रेप है और अगर आप न करते हैं तो ये घरेलू हिंसा है-

फेमिनिस्टों के किया सपोर्ट

कशिश लिखती हैं कि हर महिला को सेक्स के लिए न कहने का अधिकार है जो लोग दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा हाल में दिए गए मैरिटल रेप के फैसले का विरोध कर रहे हैं उन्हें काउंसिलिंग की जरूरत है

किसी ने लिखा कि केवल रेपिस्ट मानसिकता वाले लोग ही इसका विरोध कर सकते हैं.

आकांक्षा लिखती हैं कि कुछ लोग खाली इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योंकि अब वे अपनी पत्नियों का कानूनी तरीके से रेप नहीं कर पाएंगे.

किसी ने लिखा कि यह काफी मजाकिया और स्टुपिड है.

(व्यक्त विचार निजी हैं.)

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