नयी दिल्ली, 25 अप्रैल (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत के आदेश का उल्लंघन करने पर गैर-जमानती वारंट जारी किए जाने के बाद नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) की नेता मेधा पाटकर को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया गया और सत्र अदालत में पेश किया गया।
अदालत में पेशी के बाद पाटकर के वकील ने पिछले निर्देश का पालन करने का आश्वासन दिया और इसके बाद न्यायाधीश ने उन्हें जमानती बॉण्ड और मुआवजा राशि जमा कराने की शर्त पर रिहा करने का मौखिक निर्देश दिया।
पाटकर के अधिवक्ता ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विपिन खरब से कहा, ‘‘एनबीडब्ल्यू (गैर-जमानती वारंट) निष्पादित किए गए हैं। परिवीक्षा आदेश सही है, क्योंकि हम अदालत के समक्ष खड़े हैं। मैं आज भोजनावकाश के बाद परिवीक्षा बॉण्ड प्रस्तुत करूंगा।’’
मूल रूप से जिस न्यायाधीश को पाटकर की अपील की सुनवाई करनी थी और जिन्होंने गैर-जमानती वारंट जारी किया था, वह अवकाश पर थे, जिसके कारण पाटकर को दोपहर करीब 12 बजे लिंक कोर्ट में पेश किया गया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल सिंह ने 23 अप्रैल को पाटकर के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करते हुए कहा था कि वह (पाटकर) दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना द्वारा दायर मानहानि के मामले में परिवीक्षा बॉण्ड प्रस्तुत करने और एक लाख रुपये का जुर्माना भरने के आदेश का जानबूझकर उल्लंघन कर रही हैं।
अदालत ने यह भी कहा था कि स्थगन की मांग करने वाली उनकी याचिका ‘तुच्छ’ थी और अदालत को ‘गुमराह’ करने के इरादे से दायर किया गया था। इसने पाटकर को सख्त चेतावनी दी थी कि सजा के आदेश की शर्तों का पालन न करने पर उसे मामूली सजा के इस आदेश पर पुनर्विचार’ करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
इसके बाद अदालत ने कहा था कि आठ अप्रैल को दिए गए सजा के आदेश का पालन करने के लिए अदालत के समक्ष उपस्थित होने के बजाय पाटकर अनुपस्थित रहीं और सजा के आदेश का पालन करने तथा मुआवजा राशि जमा कराने के अधीन परिवीक्षा का लाभ लेने में जानबूझकर विफल रहीं।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘दोषी की मंशा स्पष्ट है कि वह जानबूझकर अदालत के आदेश का उल्लंघन कर रही हैं; वह अदालत के समक्ष उपस्थित होने से बच रही हैं और अपने खिलाफ पारित सजा की शर्तों को स्वीकार करने से भी बच रही हैं। इस अदालत द्वारा आठ अप्रैल को पारित सजा के निलंबन का कोई आदेश नहीं है।’’
भाषा यासिर मनीषा सुरेश
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