उज्जैन/ग्वालियर, 20 अप्रैल (भाषा) एक आध्यात्मिक संगठन के पदाधिकारी को ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर 26 दिनों में 2.5 करोड़ रुपये अंतरित करने के लिए मजबूर करने के मामले में पुलिस ने उज्जैन जिले से एक निजी बैंक के दो कर्मचारियों और चार अन्य को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने यह जानकारी दी।
‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर ठगी का नया तरीका है। हालांकि, ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसी किसी प्रक्रिया का हकीकत में कोई कानूनी वजूद नहीं होता। ऐसे मामलों में ठग खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताकर लोगों को ऑडियो या वीडियो कॉल करके डराते हैं और उन्हें गिरफ्तारी का झांसा देकर उनके ही घर में डिजिटल तौर पर बंधक बना लेते हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि ग्वालियर में रामकृष्ण मिशन आश्रम के सचिव स्वामी सुप्रदीपानंद ने 16 अप्रैल को शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्हें ‘डिजिटल अरेस्ट’ किए जाने के बाद कई बार में रुपये अंतरित करने के लिए कहा गया।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि जांच के दौरान ग्वालियर अपराध शाखा के अधिकारियों ने नागदा और उज्जैन में छापेमारी कर छह लोगों को गिरफ्तार किया।
नागदा पुलिस थाने के प्रभारी एएल गौरी ने कहा कि ऑनलाइन धोखाधड़ी करने के अलावा आरोपी कथित तौर पर बैंक खातों को किराए पर देने, नकली सिम कार्ड वितरित करने और लोगों को धोखा देने के लिए ‘गेमिंग ऐप’ का उपयोग करने में भी संलिप्त थे।
ग्वालियर के पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह ने बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर अपराध शाखा की टीम ने उज्जैन और नागदा में कई स्थानों पर छापेमारी की।
गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान राहुल कहार, तुषार गोमे, करण विनाग्या, शुभम राठौड़, विश्वजीत बर्मन और काजल जायसवाल के रूप में हुई है।
उन्होंने बताया कि जांच में पता चला कि नागदा में एक निजी बैंक के खाते में धोखाधड़ी से बड़ी राशि अंतरित की गई और तुरंत चेक के माध्यम से निकाल ली गई।
उन्होंने बताया कि जांच के दौरान बैंक के सहायक प्रबंधक और एक महिला कैशियर की भूमिका सामने आई।
उन्होंने कहा कि निजी बैंक के कई खाते भी जांच के दायरे में हैं।
भाषा ब्रजेन्द्र खारी
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