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Sunday, 22 December, 2024
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‘राम के बराबर सीता ’- JDU और RJD ने हाथ मिलाया, चाहती हैं मोदी सरकार सीतामढ़ी में सीता मंदिर का निर्माण कराए

अब जब अयोध्या में राम का इतना भव्य मंदिर बन रहा है तो सीतामढ़ी में सीताजी का भी का मंदिर बनाने की मांग उठने लगी है.

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नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन के दौरान पीएम मोदी के जय सियाराम के उद्घोष से बिहार के सीतामढ़ी में जानकी जन्मभूमि के विकास की मांग भी तेज होने लगी है. इस मामले को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी को एक पत्र भेजा गया. वहीं संसद के मानसून सत्र में इस मामले को उठाने की तैयारी भी जोर-शोर से हो रही है. बिहार में होने वाले विधान सभा चुनाव को देखते हुए कई संगठन भी इसे मुद्दा बनाने में जुट गए हैं.

सीतामढ़ी से जेडीयू के सांसद सुनील कुमार पिंटू ने दिप्रिंट से कहा, ‘सीतामढ़ी में माता सीता की जन्मभूमि को अगर अयोध्या की तरफ ही विकसित किया जाता है तो भाारत और पर्यटन की आर्थिक समृद्धि को बहुत योगदान मिल सकता है’

सांसद सुनील कुमार ने आगे कहा, ‘हमने पीएम को भी इस मामले में एक पत्र लिखा है. आगामी संसद सत्र के दौरान पीएम मोदी से इस संदर्भ में सभी संगठनों ने मुलाकात के लिए समय भी मांगा है.’

राम के बराबर मिले सीता को दर्जा

सुनील ने दिप्रिंट से विशेष बातचीत में बताया, ‘ पीएम ने भी आश्वासन दिया है कि सीतामढ़ी में जानकी मंदिर के साथ पूरे जिले का विकास होगा. मंदिर निर्माण और सीतामढ़ी के विकास को लेकर यहां कुछ काम भी हो रहा है लेकिन इससे कोई संतुष्ट नहीं है. अब जब पीएम ने जय श्री राम को जयसियाराम में बदल दिया है.

इसलिए हम लोग उनसे मिलकर मांग करेंगे कि यही उचित समय है जब सिया को भी राम के बराबर दर्जा दिया जाए. अयोध्या की तरह सीतामढ़ी को भी विकसित किया जाए और दर्जा दिया जाए.’


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बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने हरी झंडी दे दी है कि चुनाव समय पर ही होगा, चुनाव के दौरान सीता मंदिर के मुद्दे को उठाने के सवाल पर जेडीयू सांसद कहते हैं, ‘आज हर कोई अयोध्या और सीतामढ़ी की तुलना करने लगा है. इसमें सीतामढ़ी बहुत ही पिछड़ा हुआ दिखाई देता है. हम सभी चाहते हैं कि यहां बहुत बड़े पैमाने पर काम हो. अब जब अयोध्या में राम का इतना भव्य मंदिर बन रहा है तो सीतामढ़ी में सीताजी का भी का मंदिर बनाने की मांग उठने लगी है. चुनाव का इससे कोई लेना देना नहीं है वो तो आते जाते रहते है.’

राज्य में चुनाव की सरगर्मी के बीच अयोध्या राम मंदिर के शिलान्यास के बाद बिहार की राजनीतिक पार्टियां सीता मंदिर को लेकर एक जुट नजर आ रहे हैं. इस बाबत आरजेडी से राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने दिप्रिंट से कहा, ‘ माता सीता के बगैर श्रीराम की कल्पना नहीं की जा सकती है.’

मनोज आगे कहते हैं, ’80 के बाद के दशक को छोड़ दें तो उसके पहले पूरे उत्तर भारत में खासतौर पर हमारे क्षेत्र में जयसियाराम या सीताराम के उद्घोष का ही चलन था. ये जो जय सियाराम से जय श्रीराम की यात्रा हुई उसमें सीता जी कहीं छूट सी गई. इसलिए हमारे दल का लगातार यह कहना है रहा है कि अयोध्या में जितना भव्य मंदिर भगवान राम का बने उतना ही भव्य मंदिर सीतामढ़ी में सीताजी का भी बनना चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘मैं इस मामले को संसद जरुर उठाउंगा.’

भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने दिप्रिंट से कहा, भाजपा सरकार द्वारा कई भव्य कार्यक्रम करवाएं गए है. राम मंदिर का निर्माण ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है. अगर सीतामढ़ी की जनता चाहेगी तो सभी समाज के लोग मिलकर इसे करेंगे. इसमें केंद्र सरकार की आवश्यकता नहीं है. इसका विकास तो हम सभी जनप्रतिधि मिलकर ही कर सकते है.

हालांकि सीता मंदिर के बारे में जब बिहार से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह कोरोना और बिहार की स्थिति पर थोड़े संजीदा नजर आए. सिंह ने दिप्रिंट से कहा, ‘देश में अभी फिल्हाल मंदिर से बड़ा इश्यू कोरोना का है. इस महामारी से लोगों को बचाना. अभी समय की मांग है कि अस्पताल और हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर बनाए जाएं, बाकि मंदिर और मस्जिद बनते रहेंगे.’


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गौरतलब है कि 2018 में बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने सीतामढ़ी में कई योजनाओं का शिलान्यास किया था. वहीं सीतामढ़ी को धार्मिक पर्यटन स्थल के रुप में विकसित करने के लिए बिहार सरकार द्वारा 48 करोड़ खर्च करने की भी घोषणा की गई थी.

हालांकि इस मामले में बिहार सरकार ने पीएम मोदी और केंद्रीय पर्यटन विभाग का दरवाजा भी खटखटाया है. बिहार पर्यटन विभाग के प्रिसिंपल सेक्रेटरी संजय कुमार ने दिप्रिंट को बताया कि बिहार के तीन पर्यटक स्थलों को रामायण सर्किट से जोड़ने का प्रयास जारी है.

संजय ने यह भी बताया,  ‘इसके लिए बिहार सरकार ने एक रिपोर्ट भी केंद्र सरकार को भेजी गई है. इसमें पहला, दरभंगा का कंतौल इलाका हैं जहां भगवान राम ने अपने पैर की धूली को पत्थर पर लगाया और वह अहिल्या बन गई. दूसरा, बक्सर में राम रेखा घाट है. ऐसा मान्यता है कि जिस स्थान पर भगवान राम ने प्रसिद्ध राक्षसी ताड़का का वध किया था , वह क्षेत्र वर्तमान बक्सर शहर के अतर्गत आता है. इसके अलावा, भगवान राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण ने बक्सर में अपनी शिक्षा भी यहीं लीं थी. जबकि सीता मंदिर तो माता सीता की जन्मस्थली है ही.’

(पूजा मेहरोत्रा के इनपुट्स के साथ)

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