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Thursday, 30 January, 2025
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SIT ने हरियाणा के IPS सुमित कुमार पर यौन उत्पीड़न के आरोपों को निराधार बताया

एसआईटी आईपीएस सुमित कुमार के खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच कर रही थी, कथित तौर पर सात महिला पुलिसकर्मियों द्वारा लिखे गए पत्र सामने आने के बाद, जिसमें उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था.

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गुरुग्राम: हरियाणा के आईपीएस अधिकारी सुमित कुमार को यौन उत्पीड़न के आरोपों से मुक्त कर दिया गया है. पिछले साल अक्टूबर में सात महिला पुलिसकर्मियों के नाम से लिखे गए एक पत्र में उन पर यह आरोप लगाए गए थे, जब वह जिंद में पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात थे. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि तीन सदस्यीय विशेष जांच टीम (SIT), जिसका नेतृत्व राज्य अपराध शाखा की अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ममता सिंह कर रही थीं और जिसमें भोंडसी, भारतीय रिजर्व बटालियन की उप पुलिस महानिरीक्षक संगीता कालिया और फतेहाबाद की पुलिस अधीक्षक आस्था मोदी शामिल थीं, ने अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंप दी है. इस रिपोर्ट में सुमित कुमार को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया और आरोपों को आधारहीन करार दिया गया.

अधिकारी ने बताया कि एसआईटी को यौन उत्पीड़न का कोई सबूत नहीं मिला. उन्होंने कहा कि समिति ने 168 महिला पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज किए और जिंद में कुमार के कार्यकाल के दौरान उनके अधीन काम करने वाली महिला पुलिसकर्मियों के सेवा रिकॉर्ड की भी समीक्षा की. “समिति ने निष्कर्ष निकाला कि कोई भी शिकायतकर्ता या पीड़िता SIT के सामने बयान दर्ज कराने के लिए आगे नहीं आई,” अधिकारी ने कहा.

सुमित कुमार ने दिप्रिंट से कहा कि उन्हें हमेशा विश्वास था कि वह निर्दोष साबित होंगे, क्योंकि आरोपों में कोई सच्चाई नहीं थी और न ही कोई शिकायतकर्ता था. उन्होंने कहा, “इस केस से लोगों, विशेष रूप से मीडिया को यह सोचना चाहिए कि भविष्य में ऐसी स्थितियों को कैसे संभालना चाहिए, क्योंकि इस मामले ने मेरी प्रतिष्ठा को जो नुकसान पहुंचाया है, वह कभी ठीक नहीं हो सकेगा.”

हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया, जिन्होंने मीडिया रिपोर्टों के आधार पर इस मामले का संज्ञान लिया था, ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें अभी तक रिपोर्ट की कॉपी नहीं मिली है.

उन्होंने कहा, “मैंने पुलिस मुख्यालय को दो बार पत्र लिखकर रिपोर्ट की कॉपी मांगी, लेकिन अब तक नहीं मिली है. जब तक मैं रिपोर्ट नहीं देख लेती और यह नहीं समझ लेती कि एसआईटी ने किस आधार पर क्लीन चिट दी है, तब तक कोई टिप्पणी नहीं कर सकती.”

26 अक्टूबर 2024 को सात महिला पुलिसकर्मियों के साइन वाला एक पत्र सामने आया था, जिसमें सुमित कुमार पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए गए थे. यह पत्र हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी को संबोधित था.

यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था, जिसमें दावा किया गया था कि कुमार ने एक महिला अधिकारी के साथ मिलकर एक जूनियर महिला कर्मी पर शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव डाला और मना करने पर उसकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR) खराब करने की धमकी दी. पत्र में आगे कहा गया कि यदि कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो शिकायतकर्ता आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाएंगी.

आरोपों की गंभीरता को देखते हुए डीजीपी ने एडीजीपी ममता सिंह के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन किया. इसके अलावा, हरियाणा महिला आयोग ने भी मामले की अलग से जांच शुरू की.

जांच के दौरान, निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए कुमार को जिंद से अंबाला स्थानांतरित कर दिया गया, जहां उन्हें एसपी (रेलवे) बनाया गया.

कई महीनों की जांच के बाद, एसआईटी ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला कि सुमित कुमार के खिलाफ आरोपों को साबित करने के लिए कोई विश्वसनीय साक्ष्य नहीं मिला.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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