नई दिल्ली: जब 31 वर्षीय भारतीय रेलवे यातायात सेवा (इंडियन रेलवे ट्रांसपोर्ट सर्विस- आईआरटीएस) के अधिकारी सिद्धार्थ वर्मा ने सोमवार को कैंब्रिज विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में राहुल गांधी को भारत के बारे में उनके विचार (आईडिया ऑफ इंडिया) को लेकर चुनौती दी, तो उनके इस हस्तक्षेप को अस्वीकृति के दबे-ढंके स्वरों के साथ हंसी का सामना करना पड़ा.
हालांकि, वर्मा का यह तर्क देते हुए एक वीडियो कि ‘भारत’ एक प्राचीन ‘राष्ट्र’ है, न कि कोई ऐसा देश जिसे राहुल ने ‘राज्यों का संघ’ कहा है, अब वायरल हो गया है और उनकी खुद की स्वीकृति के अनुसार इस बात के लिए कई सारे सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा उनकी पीठ भी थपथपाई गई है.
दिप्रिंट के साथ फोन पर बात करते हुए इंग्लैंड की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में ‘पब्लिक पालिसी’ (सार्वजनिक नीति) में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे कॉमनवेल्थ स्कॉलर (राष्ट्रमंडल कोटे के छात्र) वर्मा ने कहा कि उन्होंने भारत के बारे में राहुल गांधी के विचारों को ‘समझने’ के लिए ही उनसे सवाल किये थे.
वर्मा, जो इस समय अपनी नौकरी से छुट्टी लेकर अध्ययन अवकाश पर हैं, ने कहा, ‘मैं राहुल गांधी के बार-बार के इन बयानों से हैरान था, जिसमें उन्होंने दावा किया गया था कि ‘भारत राज्यों का एक संघ’ है, न कि एक समग्र राष्ट्र. उन्होंने कुछ इसी तरह की बातें लंदन के एक अन्य कार्यक्रम में भी कीं थीं. मैं यह समझने की कोशिश कर रहा था कि वह ऐसा क्यों कह रहे हैं, इसके पीछे क्या कारण है और वह राष्ट्रीयता के विचार को मानने से क्यों इनकार कर रहे हैं.’
राहुल गांधी, जो कैंब्रिज विश्वविद्यालय के कॉर्पस क्रिस्टी कॉलेज में ‘इंडिया एट 75’ नामक एक पारस्परिक वार्तालाप वाले सत्र (इंटरैक्टिव सेशन) को संबोधित कर रहे थे, ने अपने भाषण में इस बात का ऐलान किया था कि ‘भारत एक राज्यों का संघ है’.
उनके इस नजरिये पर विवाद खड़ा करते हुए, वर्मा ने गांधी से कहा कि एक राजनीतिक नेता के रूप में, भारत के बारे में उनका यह विचार ‘त्रुटिपूर्ण’, ‘गलत’ और ‘विनाशकारी’ है क्योंकि इसने ‘हजारों वर्षों के इतिहास पर लीपापोती करने’ की कोशिश की है.
वीडियो क्लिप में, गांधी को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि ‘मुझे ऐसा नहीं लगता’, लेकिन उनका बाकी का जवाब कटा हुआ है. मंगलवार को किये एक ट्वीट में, वर्मा ने कहा कि गांधी की ‘पूरी प्रतिक्रिया आयोजकों द्वारा इसके अपलोड किए जाने के बाद साझा की जाएगी’.
Yesterday, in Cambridge, I questioned Mr. Rahul Gandhi on his statement that "India is not a nation but a Union of States". He asserted that India is not a nation but the result of negotiation between states. (His complete response will be shared once uploaded by organisers) pic.twitter.com/q5KluwenMf
— Siddhartha Verma (@Sid_IRTS) May 24, 2022
हालांकि, वर्मा ने दिप्रिंट को बताया कि गांधी ने वास्तव में यह कहा था कि भारत के बारे में ये दोनों तरह के विचार सह-अस्तित्व में हो सकते हैं.
वर्मा ने कहा, ‘बाद में, उन्होंने (गांधी) कहा कि उन्हें मेरे ‘आइडिया ऑफ इंडिया’ से कोई समस्या नहीं है, इसलिए मुझे भी उनके ‘आइडिया ऑफ इंडिया’ से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.’
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‘भारत के बारे में मेरे विचार से वहां उपस्थित श्रोतागण सहमत नहीं थे’
वर्मा ने कहा कि कैंब्रिज के श्रोतागण उनके विचारों के प्रति ग्रहणशील (स्वीकार करने वाले) नहीं थे लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अब सोशल मीडिया पर भारी समर्थन मिला है.
उन्होंने कहा, ‘जब मैं अपना प्रश्न पूछ रहा था, उस समय साक्षात्कारकर्ता और आसपास के दर्शकों की तरफ से तत्काल प्रतिक्रियाएं आईं. वे इस तरह से उत्तेजित हो गए जैसे मैंने कुछ गलत किया हो. वे मेरे ‘भारत’ के विचार से सहमत नहीं थे और उनकी प्रतिक्रिया नकारात्मक प्रकृति की थी. लेकिन इस आयोजन के बाद मुझे अपने देश के लोगों से भारी समर्थन मिला.’
इसी वीडियो के कुछ तनावपूर्ण क्षणों में अकादमिक विद्वान श्रुति कपिला को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि ‘राष्ट्र’ शब्द का अर्थ होता है ‘किंगडम (राजा का राज्य)’, जिस पर वर्मा ने उत्तर दिया कि यह ‘किसी देश के लिए प्रयुक्त होने वाला संस्कृत का शब्द’ है. गांधी ने इसी में अपनी बात में जोड़ते हुए कहा कि ‘राष्ट्र एक पश्चिमी अवधारणा है’. भीड़ में तब और भी हलचल मच गई जब वर्मा ने कहा, ‘कोई संविधान किसी राष्ट्र को नहीं बना सकता, राष्ट्र संविधान बनाते हैं’.
गांधी के बयान के बारे में बात करते हुए वर्मा ने कहा: ‘मैं उनका मकसद नहीं समझ पाया लेकिन मुझे लगता है कि भारत के प्राचीन इतिहास पर लीपापोती करने का प्रयास किया गया है. आजादी से पहले के भारत को नकारने की कोशिश भी हो रही है… वो सिर्फ आजादी के बाद के इसके गठन की ही बात करते हैं. यदि कोई संविधान को ठीक से पढ़ता है, तो इसकी प्रस्तावना में ही कहा गया है कि ‘भारत एक राष्ट्र है.’
वर्मा ने कहा, ‘मुझे लगता है कि (भारत के) प्राचीन इतिहास के बारे में जागरूकता की कमी है. मुझे लगता है कि भारतीय इतिहास को प्राचीन भारत पर थोड़ा और ध्यान देना चाहिए.’
इससे पहले 2 फरवरी को लोकसभा में दिए गए उस भाषण के लिए भी राहुल गांधी की काफी आलोचना की गई थी, जब उन्होंने केंद्रीकरण को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था, ‘भारत को भारतीय संविधान में राज्यों के संघ के रूप में वर्णित किया गया है, न कि एक राष्ट्र के रूप में. भारत में किसी राज्य के लोगों पर कोई भी शासन नहीं कर सकता… यह एक साझेदारी है, एक राष्ट्र नहीं.’
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‘एक देशभक्त जिसे भारतीय मूल्यों का सम्मान करना सिखाया गया है’
उत्तर प्रदेश के लखनऊ के रहने वाले वर्मा ने अपने ट्विटर बायो में खुद को कॉमनवेल्थ स्कॉलर, ‘सिविल सर्वेंट’ और ‘देशभक्त’ बताया है.
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि उनकी देशभक्ति का किसी राजनीतिक दल से कोई लेना-देना नहीं है.
‘मैं कभी किसी राजनीतिक दल या संगठन से जुड़ा नहीं रहा हूं. मेरे परिवार का कभी कोई राजनीतिक जुड़ाव नहीं था, लेकिन उन्होंने मुझे भारतीय मूल्यों, संस्कृति और परंपरा का सम्मान करना सिखाया है. उन्होंने मुझे उस राष्ट्र के बारे में सिखाया जो ‘भारत’ है. मैंने किसी राजनीतिक दृष्टिकोण से अपना सवाल नहीं पूछा, मुझे बस यह समझने में दिलचस्पी थी कि वह ऐसा (भारत के राज्यों का संघ होने के बारे में) क्यों कह रहे थे.’
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में बैठने से पहले वर्मा ने कॉलेज स्तर पर राजनीति विज्ञान और इतिहास का अध्ययन किया था. उन्हें आईआरटीएस के 2016-बैच के अधिकारी के रूप में शामिल किया गया था और उन्होंने उत्तर रेलवे में वाराणसी के क्षेत्रीय अधिकारी और लखनऊ में मंडल अधिकारी (संचालन) के रूप में सेवा प्रदान की है.
पहले कोविड लॉकडाउन के दौरान, उन्हें तीन महीने के लिए इस राज्य (उत्तर प्रदेश) से प्रवासी मजदूरों की आवाजाही की निगरानी के लिए एक विशेष अधिकारी के रूप में उत्तर प्रदेश के गृह विभाग के तहत संलग्न कर दिया गया था.
ये युवा सिविल सेवा अधिकारी जल्द ही कैंब्रिज में अपना छात्रवृत्ति कार्यक्रम पूरा करने वाले हैं, जिसके बाद वह अपनी सेवा में फिर से शामिल हो जायेंगे.
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