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Thursday, 25 April, 2024
होमदेशअर्थजगतटैक्स में कटौती की भरपाई के लिए अतिरिक्त कर्ज नहीं लेगी मोदी सरकार, 4% बना रहेगा मुद्रास्फीति लक्ष्य

टैक्स में कटौती की भरपाई के लिए अतिरिक्त कर्ज नहीं लेगी मोदी सरकार, 4% बना रहेगा मुद्रास्फीति लक्ष्य

पिछले सप्ताह उत्पाद शुल्क में कटौती और साथ ही फर्टिलाइज़र तथा खाद्य सब्सीडी में बढ़ोतरी से चालू वित्त वर्ष में सरकारी खज़ाने पर करीब 3 लाख करोड़ रुपए का बोझ पड़ने की उम्मीद है.

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नई दिल्ली: एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कहा कि पेट्रोल और डीज़ल पर उत्पाद शुल्क घटाने से हुए घाटे की भरपाई के लिए मोदी सरकार की बांड बाज़ार से अतिरिक्त फंड जुटाने की कोई योजना नहीं है. उसकी बजाय सरकार अपनी आय से ही अपनी वित्तीय को संतुलित करने की कोशिश करेगी.

बुधवार को अधिकारी ने प्रेस को बताया, ‘फिलहाल हम कोई अतिरिक्त ऋण नहीं लेंगे. हम अपने कर्ज़ के कैलेंडर पर बने रहेंगे’.

अधिकारी ने ये भी कहा कि सरकार 4 प्रतिशत के अपने मुद्रास्फीति लक्ष्य में- जिसका सहनशीलता बैंड 2-6 प्रतिशत होगा- 2025-26 तक कोई बदलाव नहीं करेगी, जिस समय लक्ष्य की अधिकारिक समीक्षा की जाएगी.

सहनशीलता बैंड एक त्रुटि मार्जिन होता है जो अर्थव्यवस्था में लगने वाले झटकों के लिए रखा जाता है.

अधिकारी ने कहा कि ‘मुद्रास्फीति में बदलाव का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है’.

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सरकारी प्रतिभूतियों पर मिलने वाली प्राप्तियां सोमवार को उस समय बढ़ गईं, जब ये खबरें आईं कि ऑटो ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती से हुए घाटे की भरपाई के लिए सरकार बाज़ार से कर्ज़ लेगी, जो 2022-23 में पहले ही 14.31 लाख करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर है.

अधिकारी की टिप्पणियां ऐसे समय पर आई हैं जब खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में आठ साल के रिकॉर्ड स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई थी. थोक मूल्यों पर आधारित थोक मुद्रास्फीति भी उसी महीने में, नौ साल के रिकॉर्ड स्तर 15.08 पर पहुंच गई थी.

केंद्र सरकार ने महंगाई पर लगाम लगाने के लिए शनिवार को पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 8 रुपए प्रति लीटर, तथा डीज़ल पर 6 रुपए प्रति लीटर की कटौती कर दी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक ट्वीट में कहा: ‘इस घोषणा से सरकार के राजस्व को एक लाख करोड़ रुपए का घाटा होगा’.

इसी के साथ, उन्होंने ये भी ऐलान किया कि सरकार किसानों के लिए खाद की सब्सिडी में 1.10 लाख करोड़ का इज़ाफा करेगी और प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों के लिए 12 सिलिंडर्स तक, 200 रुपए प्रति सिलिंडर सब्सिडी उपलब्ध कराएगी.

फिलहाल राष्ट्रीय राजधानी में पेट्रोल 96.72 रुपए प्रति लीटर और डीज़ल 89.62 रुपए प्रति डीज़ल पर बिक रहा है.

पिछले सप्ताह उत्पाद शुल्क में कटौती और साथ ही फर्टिलाइज़र तथा खाद्य सब्सीडी में बढ़ोतरी से, चालू वित्त वर्ष में सरकारी ख़ज़ाने पर क़रीब 3 लाख करोड़ रुपए का बोझ पड़ने की उम्मीद है.


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मुद्रास्फीति लक्ष्य

इकोनॉमिक एंड पोलिटिकल वीकली में प्रकाशित एक लेख में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा और उनके सहकर्मी इंद्रनील भट्टाचार्य ने, जो आरबीआई के मौद्रिक नीति विभाग में एक निदेशक हैं, कहा कि मुद्रास्फीति लक्ष्य को अपडेट करने की जरूरत है क्योंकि स्वाभाविक वास्तविक ब्याज दरों जैसे दूसरे आर्थिक मानदंडों के अनुमान भी बदल गए हैं.

लेखकों ने कहा, ‘भारत में 4 प्रतिशत का मुद्रास्फीति लक्ष्य 2019-20 तक प्रवृत्ति मुद्रास्फीति के अनुरूप रहा है. जब महामारी अवधि के डेटा बिंदु तैयार होंगे तो इस अनुमान को भी उस स्वाभाविक वास्तविक ब्याज दर के साथ अपडेट किया जाएगा, जिसे महामारी से पहले की अवधि में 1.6-1.8 की रेंज में रखा गया था’.

उन्होंने आगे कहा, ‘इसी तरह थ्रेसहोल्ड इनफ्लेशन के अनुमान भी- जिसके आगे मुद्रास्फीति विकास को धीमा कर देती है- जो महामारी पूर्व की अवधि में 6 प्रतिशत होता था, उसके अनुमान भी उत्पादन का अंतर कम होने के साथ फिर से लगाने की ज़रूरत है’.

31 मार्च 2021 को सरकार ने 2025-26 तक पांच वर्ष की अवधि के लिए 2- 6 प्रतिशत के सहनशीलता बैंड के साथ मुद्रास्फीति लक्ष्य को 4 प्रतिशत पर बनाए रखा था.

अधिकारी ने ये भी कहा कि 2021-22 के बजट में घोषित दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की योजना सही दिशा में बढ़ रही है और सरकार उसे चालू वित्त वर्ष में अंजाम देना चाहती है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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