बेंगलुरु, 21 अगस्त (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने बृहस्पतिवार को पड़ोसी राज्य केरल के वायनाड के लिए 10 करोड़ रुपये आवंटित करने का समर्थन करते हुए उदारता और मानवता के मूल्य की प्रशंसा की।
यह धन वायनाड के बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए आवंटित किया गया है।
वायानड में 30 जुलाई 2024 को बड़े पैमाने पर हुई भूस्खलन की घटनाओं के कारण कई लोग मारे गए थे और सैकड़ों परिवार बेघर हो गए थे।
मुख्यमंत्री की यह प्रतिक्रिया कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक के उस बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार कर्नाटक बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए घरों के पुनर्निर्माण के मकसद से केवल 95 हजार रुपये और वायनाड भूस्खलन प्रभावित परिवारों के लिए 10-10 लाख रुपये आवंटित करके गलत परंपरा स्थापित कर रही है।
विधानसभा में उन्हें जवाब देते हुए सिद्धरमैया ने कहा कि वायनाड में भारी बाढ़ आई है।
उन्होंने कहा, ‘‘संकट के समय राज्यों का एक-दूसरे की मदद के लिए आगे आना स्वाभाविक है। इस संघीय व्यवस्था में हमें उदार और मानवीय होना चाहिए।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने पिछले साल जून में ही वायनाड में आपदा के समय 10 करोड़ रुपये देने की घोषणा की थी।
वायनाड लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी करती हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक सी. एन. अश्वथ नारायण ने जानना चाहा कि राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और कश्मीर के लिए क्या करेगी, जो बादल फटने और बड़े पैमाने पर भूस्खलन से प्रभावित हुए हैं।
इसके जवाब में सिद्धरमैया ने कहा कि राज्य सरकार ने कर्नाटक का पड़ोसी राज्य होने के नाते केरल की मदद करने का फैसला किया है।
इस मुद्दे को लेकर राज्य में कांग्रेस और भाजपा के बीच बृहस्पतिवार को जुबानी जंग छिड़ गई।
भाजपा ने वायनाड के प्रति उदारता दिखाने के लिए मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को ‘केरल का मुख्यमंत्री’ कहते हुए निशाना साधा।
अशोक ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “केरल के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को वायनाड लोकसभा क्षेत्र को 10 करोड़ रुपये का विशेष अनुदान आवंटित करने के लिए बधाई, जिसका प्रतिनिधित्व प्रियंका गांधी करती हैं।”
उन्होंने कहा कि अगर कर्नाटक में भी “केरल के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया जैसा दयालु और उदार हृदय वाला मुख्यमंत्री होता”, तो सभी निर्वाचन क्षेत्रों को भरपूर धन मिलता, लेकिन “अफसोस कि कन्नड़ लोग मलयाली लोगों के जितने भाग्यशाली नहीं हैं!”
भाषा यासिर सुरेश
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