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रविवार, 1 जून, 2025
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शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री बनकर इतिहास रचने को तैयार

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नयी दिल्ली, एक जून (भाषा) भारत के शुभांशु शुक्ला एक्सिओम स्पेस के चौथे वाणिज्यिक मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए अपनी पहली अंतरिक्ष उड़ान के लिए तैयार हैं। एक्सिओम मिशन 4 (एक्स-4) आठ जून को फ्लोरिडा के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र से स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया जाना है।

ड्रैगन अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण फ्लोरिडा स्थित नासा के अंतरिक्ष केंद्र से भारतीय समयानुसार शाम 6:41 बजे से पहले नहीं होगा। इस प्रक्षेपण के साथ ही शुक्ला लगभग चार दशक बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय बन जाएंगे। राकेश शर्मा ने 1984 में रूस के सोयूज अंतरिक्ष यान से अंतरिक्ष की यात्रा की थी।

एक्सिओम-4 मिशन के पायलट शुक्ला के अलावा, अन्य चालक दल में पोलैंड से स्लावोस्ज उजनांस्की-विस्नीवस्की और हंगरी से टिबोर कापू शामिल हैं, जो इतिहास में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की दोनों यूरोपीय देशों की पहली यात्रा और 40 वर्षों में दूसरा सरकार प्रायोजित मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है।

अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन एक्सिओम-4 मिशन की कमांडर होंगी।

शुक्ला ने जनवरी में संवाददाता सम्मेलन में कहा था, ‘‘मैं सूक्ष्मगुरुत्व क्षेत्र में जाने और अकेले अंतरिक्ष उड़ान का अनुभव करने के लिए सचमुच बहुत उत्साहित हूं।’’

अंतरिक्ष यात्री कक्षा में स्थित प्रयोगशाला में 14 दिन तक बिताने की योजना बना रहे हैं, जहां वे विज्ञान और वाणिज्यिक गतिविधियों का संचालन करेंगे।

एक्स-4 अंतरिक्ष यात्री आईएसएस में अपने 14 दिवसीय प्रवास के दौरान 31 देशों का प्रतिनिधित्व करते हुए लगभग 60 वैज्ञानिक अध्ययन और गतिविधियां करेंगे।

शुक्ला नासा के सहयोग से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के बीच सहयोग के तहत विकसित विशेष खाद्य और पोषण संबंधी प्रयोगों का संचालन करने के लिए तैयार हैं।

इन प्रयोगों का उद्देश्य भविष्य में लम्बी अवधि की अंतरिक्ष यात्रा के लिए आवश्यक अंतरिक्ष पोषण और आत्मनिर्भर जीवन समर्थन प्रणालियों का विकास करना है।

इसरो ने शुक्ला के लिए सात प्रयोगों की एक श्रृंखला तैयार की है जो नासा द्वारा अपने मानव अनुसंधान कार्यक्रम के लिए नियोजित पांच संयुक्त अध्ययनों में भी भाग लेंगे।

शुक्ला बीजों को मैक्रोबायोटिक परिस्थितियों में भी रखेंगे और उन्हें वापस धरती पर लाएंगे, जहां उन्हें पौधों में न केवल एक बार बल्कि कई पीढ़ियों तक उगाया जाएगा।

शुक्ला ने जनवरी में कहा था कि उन्होंने आईएसएस पर अपने अनुभवों को चित्रों और वीडियो के माध्यम से रिकॉर्ड करने की योजना बनाई है, जिसे वे अपने देश में सभी भारतवासियों के साथ साझा कर सकेंगे।

उन्होंने कहा कि एक्सिओम मिशन 4 के अनुभव का उपयोग गगनयान मिशन में बहुत अच्छी तरह से किया जाएगा, जिसकी योजना 2027 के लिए बनाई गई है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक्सिओम-4 मिशन पर 550 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है।

भाषा

देवेंद्र नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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