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Saturday, 16 August, 2025
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‘शोले’ मेरे नजरिये से मुकम्मल फिल्म नहीं है: रमेश सिप्पी

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मुंबई, 16 अगस्त (भाषा) वर्ष 1975 में स्वतंत्रता दिवस पर रिलीज होने के बाद देश-दुनिया में धूम मचाने वाली फिल्म ‘शोले’ 50 साल बाद आज भी लोगों के बीच लोकप्रिय है और दर्शकों की कई पीढ़ियां इसे पूर्णता का मूर्त रूप मानती हैं जिसका हर फ्रेम उनकी यादों में रचा-बसा हुआ है। लेकिन इसके निर्माता रमेश सिप्पी का कहना है कि ‘शोले’ एक मुकम्मल फिल्म नहीं है।

रमेश सिप्पी के इस बयान पर आश्चर्य प्रकट करते हुये हमने पूछा, ‘‘क्या सच में। आप ऐसा क्यों कहते हैं।’’

फिल्म निर्माता ने अपने कार्यालय में एक साक्षात्कार में ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘मुझे लगता है कि आप हमेशा ‘शोले’ को बेहतर बनाना चाहते हैं। इसी तरह आप अपना उत्साह बनाए रखते हैं। अन्यथा, आप आगे कैसे बढ़ेंगे।’’

उन्होंने कहा कि अगर उन्होंने खुद से कहा होता कि ‘ओह, मैं शोले जैसी कोई और फिल्म नहीं बना सकता’, तो बस यहीं फिल्म का अंत हो जाता। ‘(लेकिन) इसका कोई अंत नहीं है। अन्यथा अगर इसका कोई अंत होता, तो ‘शोले’ बनी ही नहीं होती।’’

सिप्पी ने कहा, ‘‘यह तथ्य कि ‘शोले’ बनी, इसका मतलब है कि ‘शोले’ से बेहतर कुछ भी बनाया जा सकता है और लोग उस तरह की फिल्म भी पसंद करना सीख लेंगे।’’

सिप्पी चाहे जो भी महसूस करें, पीढ़ियों से भारतीय दर्शकों को नहीं लगता कि ‘शोले’ से बेहतर कुछ भी बना है।

निर्माता (78) ने यह स्वीकार किया कि इस क्लासिक फिल्म के हर फ्रेम के लिए दर्शकों का अटूट प्यार अद्भुत है।

चाहे वो गब्बर सिंह की शरारती हंसी हो, जय-वीरू की अटूट दोस्ती हो, ठाकुर का बदला लेने की चाहत हो, सूरमा भोपाली की शेखी बघारने वाली नोकझोंक हो या बसंती का ज़बरदस्त विरोध, यह फ़िल्म उन लोगों की यादों में ज़िंदा है जिन्होंने इसे 15 अगस्त, 1975 को रिलीज़ होने पर इसे पहली बार देखा था। यह उन पीढ़ियों के दिलों में बस गई जिन्होंने इसे बाद में देखा।’’

सिप्पी ने कहा, ‘‘यह अच्छा लगता है कि लोग आज भी इसकी हर चीज़ को पसंद करते हैं, और मुझे हैरानी है कि हम 50 साल बाद भी इसके बारे में बात कर रहे हैं। इसकी मौजूदगी बरकरार है। यह सबके दिलों में है। हमारे पास एक नई पीढ़ी है और एक नई पीढ़ी आ रही है।’’

‘शोले’ की पटकथा सलीम खान और जावेद अख्तर ने लिखी है जिसमें दो छोटे स्तर के अपराधियों की कहानी है, जिन्हें एक बदला लेने वाला पूर्व पुलिसकर्मी क्रूर डाकू गब्बर सिंह को पकड़ने के लिए नियुक्त करता है।

इस ‘एक्शन-एडवेंचर’ फिल्म को इसकी मनोरंजक कहानी, दमदार संवादों और अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, जया बच्चन, संजीव कुमार और अमजद खान द्वारा निभाए गए अविस्मरणीय किरदारों के लिए सराहा गया। अमजद ने खलनायक गब्बर के रूप में अपनी पहली प्रमुख भूमिका निभाई थी।

सिप्पी ने कहा कि पूरी टीम ने इस परियोजना पर कड़ी मेहनत की और जब तक शूटिंग पूरी हुई, उन्हें पता चल गया कि उनके हाथ में एक ‘अच्छी फिल्म’ है।

भाषा रंजन संतोष

संतोष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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