मुंबई: भाजपा और शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट ने महाराष्ट्र की सत्ता में आने के दो माह के भीतर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंदीदा बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए केंद्र सरकार को मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) की प्राइम लैंड सौंप दी है. हालांकि मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए अगस्त में हुए इस हैंडओवर के बदले केंद्र को काफी ज्यादा भुगतान करना होगा.
राज्य सरकार की एजेंसी मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएमआरडीए)—जो बीकेसी के लिए विशेष योजना प्राधिकरण है—ने बुलेट ट्रेन परियोजना का कार्यान्वयन संभाल रही एजेंसी नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) की तरफ से बीकेसी की भूमि के बदले किए जाने वाले भुगतान की कुल राशि बढ़ाकर दोगुनी से अधिक कर दी है.
हालांकि, 2018 में तय हुआ था कि एनएचएसआरसीएल भूमि के लिए 3,513.37 करोड़ का भुगतान करेगी जिसमें 0.9 हेक्टेयर ग्राउंड से ऊपर और 3.3 हेक्टेयर भूमिगत जमीन शामिल है. लेकिन, पिछले महीने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में एमएमआरडीए ने एनएचएसआरसीएल की तरफ से देय राशि की पुनर्गणना की और इसे बढ़ाकर 8,889.72 करोड़ रुपये कर दिया. बैठक के मिनट्स के मुताबिक, इसमें से 4,387.98 करोड़ रुपये जमीन के ऊपर 1.52 हेक्टेयर और जमीन के नीचे 3.32 हेक्टेयर भूमि की अतिरिक्त आवश्यकता होने के लिए देय होंगे.
कुल लागत में वृद्धि को उचित ठहराते हुए प्राधिकरण ने प्रोजेक्ट के लिए अतिरिक्त भूमि की जरूरत होने का हवाला दिया है. बैठक के मिनट्स बताते हैं कि प्राधिकरण का यह भी तर्क है कि बीकेसी में एक भूमिगत बुलेट ट्रेन स्टेशन के निर्माण के बाद उसके कुछ अन्य भूखंडों में ‘विकास की क्षमता घट जाएगी’ और इसकी वजह से उसे नुकसान उठाना पड़ेगा.
एमएमआरडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमने पिछले महीने एनएचएसआरसीएल को कुल मुआवजा राशि के बाबत लिखा था. उन्हें अभी जवाब देना है. हालांकि, अनौपचारिक तौर पर उन्होंने कहा कि उन्हें पहले रेलवे बोर्ड की बैठक में इस पर चर्चा करनी होगी.’
एनएचएसआरसीएल ने दिप्रिंट की तरफ से भेजे गए ईमेल पर कोई जवाब नहीं दिया है.
508 किमी लंबी मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन 320 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दोनों शहरों के बीच यात्रा तीन घंटे में पूरी करना संभव बनाएगी. जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) की तरफ से वित्त पोषण के साथ बन रही 1.1 लाख करोड़ रुपये की इस परियोजना में कुल 12 स्टेशन होंगे, जिनमें से आठ गुजरात में होंगे और चार महाराष्ट्र में होंगे.
इस साल जून में शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता संभालने से पहले तक बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का काम धीमी गति से चल रहा था, क्योंकि पूर्व में सत्तासीन उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को राजनीतिक तौर पर इस प्रोजेक्ट को लेकर आपत्ति थी. हालांकि, निजी भूमि अधिग्रहण जारी था और पिछले दो वर्षों से यह प्रक्रिया गति पकड़ रही थी.
यद्यपि बुलेट ट्रेन परियोजना दिसंबर 2023 की समयसीमा तक पूरी होने के कोई आसार नहीं है, इसकी लागत पहले से ही मूल अनुमान से काफी ज्यादा बढ़ चुकी है और अब अन्य तमाम फैक्टर के कारण इसमें और वृद्धि होने की संभावना है.
यह भी पढ़ें: आंतों का ‘कीमा’ बनाया, फ्रिज में कोल्ड ड्रिंक के साथ रखा सिर- शेफ ने कैसे अपनी प्रेमिका के शव को ‘छिपाया’
‘निर्माण प्रतिबंध’ के लिए मुआवजा
एमएमआरडी ने 2018 में कागजी तौर पर मुंबई में बुलेट ट्रेन लाइन के समापन स्टेशन के लिए बीकेसी भूमि सौंपने पर सहमति जताई थी, जब भाजपा नेता देवेंद्र फड़नवीस मुख्यमंत्री थे. उस समय सोचा यही गया था कि बुलेट ट्रेन स्टेशन भूमिगत होगा और एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) इसी जमीन पर ऊपर बन जाएगा, जिसके लिए एमएमआरडीए ने 2017 में 50.31 हेक्टेयर अलग रखी थी.
हालांकि, एमएमआरडीए केंद्र की तरफ से आईएफएससी के लिए सेज का टैग को पाने की कोशिश में लगा है.
फडणवीस सरकार 2019 में गिर गई और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सत्ता में आई, जिसमें ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस की भी हिस्सेदारी थी. एनएचएसआरसीएल को इस साल अगस्त तक जमीन का वास्तविक कब्जा नहीं मिल पाया था.
पुनर्निर्धारित मुआवजे में 0.8 हेक्टेयर भूमि का किराया शामिल है, जिसकी निर्माण के दौरान अस्थायी आधार निर्मित करने के लिए आवश्यकता होगी, साथ ही साथ वो राशि भी शामिल है जिसका एमएमआरडीए को भूमिगत स्टेशन के ऊपर निर्माण कार्यों पर लगी पाबंदी के कारण नुकसान उठाना पड़ेगा.
पूर्व में उद्धृत एमएमआरडीए अधिकारी ने कहा, ‘हालांकि, बुलेट ट्रेन स्टेशन योजना आईएफएससी के लिए एक एकीकृत डिजाइन ध्यान में रखकर ही बनाई गई है. लेकिन प्रस्तावित आईएफएस को अभी तक सेज (विशेष आर्थिक क्षेत्र) का टैग नहीं मिला है और बहुत संभव है कि आगे चलकर एमएमआरडीए बीकेसी में अन्य भूमि पार्सल की तरह बुलेट ट्रेन स्टेशन के ऊपर की भूमि का उपयोग कर पाए.’
उन्होंने कहा, ‘हालांकि, भूमिगत बुलेट ट्रेन स्टेशन की जमीन के ऊपर निर्माण पर प्रतिबंध होगा लेकिन भूमि के निर्मित क्षेत्र पर सीमाएं हो सकती हैं.’
प्राधिकरण बैठक के मिनट्स के मुताबिक, प्रारंभिक अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि भूमिगत स्टेशन के निर्माण के कारण 12.65 हेक्टेयर निर्मित क्षेत्र बिना इस्तेमात वाला रह सकता है. एमएमआरडीए ने बीकेसी में जमीन के दामों का आकलन मौजूदा बाजार मूल्य 3.44 लाख रुपये प्रति वर्ग मीटर के आधार पर किया है. इसी के अनुरूप एमएमआरडीए जो 8,889.72 करोड़ रुपये की राशि मांग रहा है, उसमें 4,357.27 करोड़ रुपये संभावित तौर पर अप्रयुक्त बिल्ड-अप एरिया के निर्मित क्षेत्र को लेकर मुआवजे के तौर पर शामिल किए गए हैं..
‘राजस्व का नुकसान’
संशोधित गणना में एमएमआरडीए ने उस भूमि को भी ध्यान में रखा है, जिसकी एनएचएसआरसीएल को निर्माण अवधि के दौरान अस्थायी तौर पर जरूरत पड़ेगी और संभावित राजस्व के नुकसान का हवाला देते हुए उसने उस पर किराया वसूलने का फैसला किया है.
एनएचएसआरसीएल ने करीब चार साल तक चलने वाले निर्माण कार्य के दौरान चारों ओर 3.3 मीटर चौड़ाई की 0.81 हेक्टेयर अतिरिक्त जमीन मुहैया कराने को कहा है.
एक अन्य एमएमआरडीए अधिकारी ने कहा, ‘एमएमआरडीए अपनी जमीन पर रैलियों, सभाओं और प्रदर्शनियों की मेजबानी करता रहता है, जो अब परियोजना की निर्माण अवधि के दौरान संभव नहीं होगा और इसलिए अस्थायी आधार के लिए आवश्यक भूमि पर भी कुछ शुल्क लगाना आवश्यक है.’
अक्टूबर की बैठक के ब्योरे के मुताबिक, प्राधिकरण ने यह भी माना है कि बुलेट ट्रेन स्टेशन के लिए एनएचएसआरसीएल को जो 3.32 हेक्टेयर जमीन भूमिगत चाहिए, वहां स्टेशन का निर्माण के दौरान जमीन के ऊपर की उतनी जगह एमएमआरडीए के लिए अनुपयोगी हो जाएगी.
इसलिए, मिनट्स के मुताबिक, उसने लैंड पार्सल और 43.34 करोड़ रुपये की सिक्योरिटी डिपॉजिट दोनों के लिए 144.46 करोड़ रुपये (8,889.72 करोड़ रुपये का ही हिस्सा है) का किराया वसूलने का फैसला किया है.
(अनुवाद: रावी द्विवेदी )
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)