मुंबई, चार नवंबर (भाषा) सत्तारूढ़ शिवसेना के विधायक प्रकाश सुर्वे उस समय विवादों में घिर गए जब उन्होंने मराठी लोगों की तुलना ‘‘मां’’ और उत्तर भारतीयों की तुलना ‘‘अपनी मौसी’’ से की।
उन्होंने कहा कि ‘‘अगर मां मर जाए तो यह स्वीकार्य है, लेकिन मौसी के मामले में ऐसा नहीं है।’’
इस टिप्पणी की विपक्षी दलों और मराठी संगठनों ने तीखी आलोचना की, जिसके बाद सुर्वे ने सोमवार को माफी मांगी।
उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा था, ‘‘मराठी मेरी मां है, लेकिन उत्तर भारत मेरी मौसी है। मां की मृत्यु हो जाए तो एक बार स्वीकार्य है, लेकिन मौसी को नहीं मरना चाहिए। क्योंकि मौसी हमसे ज्यादा प्यार करती हैं। मुझे अपनी मां से ज्यादा प्यार आप लोगों (उत्तर भारतीयों) से मिला है।’’
जब उनका बयान सोशल मीडिया पर सामने आया और शहर के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, तो सुर्वे ने माफी मांगकर माहौल को शांत करने की कोशिश की।
उन्होंने पत्रकारों के सामने हाथ जोड़कर कहा, ‘‘मराठी मेरी मां और मौसी दोनों हैं। ये शब्द अनजाने में निकल गए। अगर मेरे बयान से किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची है, तो मैं तहे दिल से माफी मांगता हूं।’’
महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री उदय सामंत ने विधायक का बचाव करते हुए कहा, ‘‘यह शब्द गलती से निकल गया और उन्होंने इसके लिए माफी मांग ली है। हालांकि, कुछ लोग उनके बयान का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ उठाने के लिए कर रहे हैं। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में, हमने मराठी भाषा की गरिमा को बनाए रखने के लिए निरंतर काम किया है, जिसे शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया है।’’
सुर्वे की टिप्पणी पर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (उबाठा), महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) और मराठी एकीकरण समिति ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और मंगलवार को दहिसर में विरोध मार्च निकाला।
भाषा वैभव आशीष
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