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Monday, 25 November, 2024
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महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन टूटने से बीएमसी के नियंत्रण पर खतरा है

शिवसेना के पास 227 सदस्यीय बीएमसी में 94 कार्पोरेटर हैं, वहीं भाजपा के पास 82 कार्पोरेटर हैं और अगर शिवसेना को कांग्रेस और राकांपा का समर्थन नहीं मिला, तो संख्या कम पड़ जाएगी.

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नई दिल्ली : महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर चल रही रस्साकसी और राष्ट्रपति शासन की घोषणा के बाद से ही शिवसेना को देश के सबसे अमीर नागरिक निकाय, बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के नियंत्रण की चिंता है.

शिवसेना अभी भी शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने की संभावना के बारे में बात कर रही है. हालांकि, यदि प्रस्तावित गठबंधन ख़त्म हो जाता है, तो बीएमसी पर शिवसेना का नियंत्रण भी खतरे में आ सकता है.

शिवसेना के एकमात्र केंद्रीय मंत्री अरविंद सावंत नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को पहले ही छोड़ चुके हैं, लेकिन बीएमसी में, शिवसेना और भाजपा ने अभी तक अलग होने का फैसला नहीं किया है.

227 सदस्यीय सदन में शिवसेना के 94 कार्पोरेटर हैं, जबकि भाजपा के पास 82 हैं. हालांकि, पार्टियां बीएमसी में औपचारिक गठबंधन में नहीं हैं. यदि भाजपा शिवसेना का समर्थन करना बंद कर देती है, तो कांग्रेस 30 कार्पोरेटर और एनसीपी छह के साथ शिवसेना के बचाव में आ सकते हैं.

2017 में क्या हुआ

बीएमसी पूरे ग्रेटर मुंबई क्षेत्र का प्रभारी है और इसके विशाल बजट के कारण इसका बहुत प्रभाव है. 2019-20 का आंकड़ा 30,692 करोड़ रुपये है, जो कि 2016-17 के 37,052 करोड़ रुपये के उच्च स्तर से काफी नीचे है. यह बजट कुछ छोटे राज्यों जैसे नागालैंड, मेघालय, सिक्किम और गोवा से अधिक है.


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शिवसेना ने 1985 से इस शक्तिशाली निकाय को नियंत्रित किया है. वास्तव में, महाराष्ट्र की राजनीति में इसके उदय का श्रेय बीएमसी पर इसके नियंत्रण को जाता है. हालांकि, बीजेपी ने बीएमसी में अपनी स्थिति में सुधार किया है.
2012 में भाजपा के 30 कार्पोरेटर थे और 2017 में यह बढ़कर 82 हो गए.

हालांकि, शिवसेना और भाजपा महाराष्ट्र सरकार में साझेदार थे, जो 2017 के बीएमसी चुनावों में सही रूप से सहयोगी नहीं थे और अलग-अलग चुनाव लड़े. हालांकि, भाजपा की तुलना में शिवसेना ने सिर्फ दो अधिक सीटों पर जीत हासिल की, शिवसेना ने बीएमसी में 84 सीटों और भाजपा ने 82 सीटों पर सीटों पर जीत मिली. लेकिन, बाद में शिवसेना ने सात महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के सदस्यों और तीन निर्दलियों को शामिल कर इसकी संख्या 94 कर दी थी.

चुनावों के बाद उद्धव ठाकरे ने देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना के मंत्रियों को निर्देश दिया था कि अगर भाजपा ने शिवसेना के महापौर का समर्थन नहीं किया, तो वे त्यागपत्र दे देंगे. ऐसा कहा जाता था कि शिवसेना के मंत्री अपना त्यागपत्र अपने जेब में रखते थे, काफी बातचीत के बाद भाजपा ने महापौर के रूप में शिवसेना के विश्वनाथ महादेश्वर का समर्थन किया और बदले में राज्य की राजनीति में एक बड़ा हिस्सा मिला.

भाजपा की क्या योजना है

महाराष्ट्र में भाजपा की कोर कमेटी सरकार बनाने के घटनाक्रम को करीब से देख रही है और एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी किसी भी कदम पर धीरे-धीरे आगे बढ़ेगी, क्योंकि यह उम्मीद है कि उद्धव गठबंधन के लिए दो या तीन महीने के भीतर ‘घर-वापसी’ करें.


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शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन अगर हो जाता है, तो भाजपा औपचारिक रूप से बीएमसी में विपक्ष के नेता के पद के लिए अपनी दावेदारी पेश करेगी. बीजेपी के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा कि पार्टी बीएमसी में शिवसेना के कामकाज को जानती है और एक बार विपक्ष में आने के बाद स्थिति के अनुसार, निविदा, बजटीय आवंटन आदि के अधिकांश मामलों पर सेना को ‘प्रभावित’ करेगी.

हालांकि, शिवसेना के एक नेता ने कहा कि अगर भाजपा समर्थन वापस लेती है, तो वे फिर से मेयर के रूप में अपने किसी उम्मीदवार को चुनने के लिए निर्दलीय और ‘समान विचारधारा वाले दलों’ की मदद ले सकते हैं. सदन में 13 निर्दलीय और एक मनसे कार्पोरेटर हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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