scorecardresearch
Thursday, 28 March, 2024
होमराजनीतिमहाराष्ट्र में सोनिया की कश्मकश, भाजपा को सत्ता से बाहर करें या पार्टी के विचारों पर अडिग रहें

महाराष्ट्र में सोनिया की कश्मकश, भाजपा को सत्ता से बाहर करें या पार्टी के विचारों पर अडिग रहें

भाजपा शिवसेना के बीच हो रहे विवाद पर सोनिया गांधी ने नज़र बनाई हुई है. सरकार बनाने की संभावना पर भी वो नज़र रख रही हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी धर्मनिरपेक्षता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और भाजपा को महाराष्ट्र से सत्ता से हटाने की इच्छा के बीच में फंस रही हैं. दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार शिवसेना के साथ जाने की संभावना इस बात की पुष्टि करती है.

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने सोनिया गांधी को पिछले दिनों दो बार फोन किया है. राज्य में गैर-भाजपा सरकार बनाने की संभावना को लेकर दोनों नेताओं में बात हुई है. लेकिन कांग्रेस के कई सूत्रों के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष अपनी प्रतिबद्धता को लेकर पशोपेश में है.

एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवाब मलिक ने रविवार को कहा, ‘हां दोनों नेताओं की बात हुई है. पवार रविवार को सोनिया गांधी से मिलने शाम को नई दिल्ली के लिए निकलेंगे.’

हालांकि पवार ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि एनसीपी को 54 सीटें मिली हैं और वो राज्य में विपक्ष की भूमिका निभाएगी.

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘सोनिया गांधी के अनुसार यह फैसला हमारी धर्मनिरपेक्षता के प्रति प्रतिबद्धता पर क्या असर डालेगी. आप जानते हैं न कि शिवसेना ने पिछले दिनों में क्या काम किया है.’

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

नेता ने बताया कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी और केसी वेणुगोपाल ने शिवसेना के साथ गठबंधन का विरोध किया है.

इस बैठक में मल्लिकार्जुन खड्गे, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, अशोक चव्हाण और वरिष्ठ नेता बाला साहेब थोराट और मानिकराव ठाकरे मौजूद थे.

सत्ता की बिसात अभी खुली हुई है

सूत्रों के अनुसार सोनिया गांधी सभी संभावनाओं पर नज़र बनाए हुए हैं.

महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता ने दिप्रिंट को बताया कि सोनिया गांधी भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए काफी उत्सुक हैं. आप जानते हैं चुनाव के मद्देनज़र भाजपा ने एनसीपी और कांग्रेस के 32 एमएलए और एमपी से संपर्क करने की कोशिश की. यह हमारे अस्तित्व का सवाल है और सोनिया जी इस बारे में काफी गंभीर हैं.


यह भी पढ़ें : बीजेपी की अपराजेयता खंडित, लेकिन क्या कांग्रेस विकल्प देने के लिए तैयार है


नेता ने कहा, ‘कांग्रेस के 44 विधायकों में से 40 गैर-भाजपा सरकार बनाने के समर्थन में हैं. इसके लिए शिवसेना को समर्थन देने में भी वो तैयार है.’

पृथ्वीराज चव्हाण ने मंगलवार को कहा था कि अभी तक कांग्रेस को शिवसेना की तरफ से कोई पुख्ता प्रोपोसल नहीं मिला है. अगर ऐसा कुछ आता है तो हम हाई कमांड से इस पर चर्चा करेंगे. ये बात उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई को कही थी. कांग्रेस सूत्रों के अनुसार शिवसेना ने अभी तक कांग्रेस को कोई प्रोपोसल सीधे तौर पर नहीं भेजा है लेकिन एनसीपी नेताओं के साथ विभिन्न संभावनाओं पर बातचीत की है.

सोमवार को पवार और सोनिया की होने वाली बैठक में इन्हीं सभी संभावनाओं पर बातचीत हो सकती है.

शिवसेना के प्रति सोनिया गांधी के रुख को देखते हुए कांग्रेस के एक अन्य नेता ने इशारा किया कि उन्हें एमएनएस के राज ठाकरे से मिलने में और पुणे में उसके उम्मीदवार को समर्थन करने में कोई दिक्कत नहीं थी.

ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी के सदस्य ने कहा कि अगर राज ठाकरे की पार्टी का समर्थन करने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं है तो उद्धव ठाकरे की बारी में उनकी धर्मनिरपेक्षता रास्ते में क्यों आ जाती है.

कांग्रेस आलाकमान को लग रहा है कि शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी का इस्तेमाल भाजपा से सौदेबाजी करने में कर रही है.

शुक्रवार को 10 जनपथ पर हुई बैठक में एक कांग्रेस नेता ने कहा, ‘जैसे ही ये साफ हो जाएगा कि शिवसेना भाजपा के साथ नहीं जाएगी वैसे ही कई संभावनाएं नजर आने लगेंगी. कांग्रेस शिवसेना-एनसीपी गठबंधन को बाहर से समर्थन दे सकती है या शरद पवार के नेतृत्व में सरकार का समर्थन कर सकती है.’

लेकिन ये नहीं भूलना चाहिए कि विचारों के आधार पर शिवसेना और भाजपा दोनों भाई हैं. तब तक जब तक कि दोनों एक दूसरे से खुद अलग होने का एलान नहीं कर देते. ऐसे में हम कुछ भी आश्वासन नहीं देने जा रहे हैं.


यह भी पढ़ें : राष्ट्रवाद और वीर सावरकर पर इंदिरा गांधी से सीखे सोनिया-राहुल की कांग्रेस


शिवसेना भाजपा की पुरानी सहयोगी है. लेकिन पिछले कुछ सालों में दोनों के रिश्ते काफी तल्खी भरे रहे हैं.

जबकि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियां सहयोगी की तरह चुनाव लड़ी थी और दोनों ने मिलकर सरकार बनाने के लिए संख्या भी जुटा ली थी. लेकिन सरकार में 50-50 फॉर्मूले की शिवसेना की मांग से दोनों के बीच काफी तनाव है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments