मुंबई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंदीदा प्रोजेक्ट में से एक, मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार ने एक और झटका दिया है. महाराष्ट्र सरकार ने हाई-स्पीड रेलवे कॉरिडोर के निर्माण के लिए महाराष्ट्र के तीन जिलों में 129.71 हेक्टेयर वन भूमि के डायवर्जन का आदेश दिया है.
राज्य के राजस्व और वन विभाग ने गुरुवार को इसके लिए एक प्रस्ताव जारी किया. प्रस्ताव में दिए गए विवरण के अनुसार, जिसकी एक प्रति दिप्रिंट के पास है, वन भूमि ठाणे, पालघर जिले के दहानू और मुंबई उपनगरीय जिले में फैली हुई है. इससे प्रभावित होने वाले वन क्षेत्र का लगभग 0.1 हेक्टेयर क्षेत्र संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में है, जबकि 8.39 हेक्टेयर मैंग्रोव वन से भरा है.
508 किलोमीटर लंबी मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना, जो नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) द्वारा बनाई जा रही है, 320 किमी प्रति घंटे की गति से केवल तीन घंटे में दोनों शहरों को जोड़ेगी.
एनएचएसआरसीएल के एक अधिकारी ने नाम न छापने की गर्त पर दिप्रिंट से कहा, “इस गलियारे के लिए सभी नागरिक अनुबंध, जिसमें महाराष्ट्र खंड के 156 किमी के तीन अनुबंध शामिल हैं, मिल चुके हैं.”
अधिकारी ने कहा, “129.71 हेक्टेयर वन भूमि की मंजूरी की अधिसूचना मिलने के बाद महाराष्ट्र के हिस्से वाले इलाके में मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए सिविल कार्य में तेजी आएगी.”
जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) की मदद से बन रही 1.1 लाख करोड़ रुपये की इस परियोजना में कुल 12 स्टेशन होंगे, जिनमें से आठ स्टेशन गुजरात में होंगे और चार महाराष्ट्र में होंगे.
जहां गुजरात में काम तेजी से आगे बढ़ा है, वहीं महाराष्ट्र में परियोजना की शुरुआत धीमी रही. महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण काफी धीमी गति से हुआ क्योंकि कंपनी को ज़मीन मालिकों का कड़ा विरोध का सामना करना पड़ा था और राजनीतिक इच्छाशक्ति की भी कमी थी. इसके अलावा शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने इस परियोजना का कड़ा विरोध किया था.
पिछले साल जून में ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के गिरने और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और शिवसेना की सरकार के सत्ता में आने के बाद परियोजना के साथ-साथ भूमि अधिग्रहण की मंजूरी में तेजी आई. एमवीए में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस शामिल हैं.
दिप्रिंट ने परियोजना पर अपनी बात रखने के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश कुमार, जो राज्य वन विभाग को भी संभालते हैं, से संपर्क किया, लेकिन उन्हें कॉल और टेक्स्ट मैसेज का कोई जवाब नहीं मिला. अगर उनकी ओर से जवाब मिलता है तो इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.
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2019 से प्रक्रिया जारी है
सरकारी प्रस्ताव के अनुसार, महाराष्ट्र में बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए आवश्यक 129.71 हेक्टेयर वन भूमि में से 49.5 हेक्टेयर ठाणे जिले में, 71.6 हेक्टेयर पालघर जिले के दहानू में है, जबकि शेष मैंग्रोव के अंतर्गत और संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में है.
प्रस्ताव में कहा गया है कि मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए वन भूमि को बदलने की प्रक्रिया फरवरी 2019 से चल रही है, जब महाराष्ट्र में अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने इसे तत्कालीन देवेंद्र फड़नवीस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के सामने रखा था.
उसी महीने राज्य सरकार ने अनुमोदन के लिए केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को प्रस्ताव प्रस्तुत किया. संकल्प के अनुसार, मंत्रालय ने अप्रैल 2019 में सैद्धांतिक मंजूरी दे दी, लेकिन अंतिम मंजूरी देने से पहले इसके लिए कुछ शर्तें रखी थी.
महाराष्ट्र में फडणवीस के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद गिर गई और नवंबर 2019 में ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार सत्ता में आई. इसके साथ ही, महाराष्ट्र में बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए मंजूरी की प्रक्रिया शिंदे के मुख्यमंत्री बनने तक रुक गई. पिछले साल 30 जून को फडणवीस सरकार सत्ता में आई थी.
इस सरकार के पहले निर्णयों में से एक बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए मंजूरी के लिए लंबित फाइलों को मंजूरी देना था, जिसमें बुलेट ट्रेन के लिए वन भूमि के डायवर्जन के लिए निर्धारित शर्तों के अनुपालन के बारे में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिखना भी शामिल था.
अगले ही महीने, मंत्रालय ने परियोजना के लिए आवश्यक वन भूमि को डायवर्ट करने की अंतिम मंजूरी दे दी.
एनएचएसआरसीएल द्वारा दिप्रिंट के साथ साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए आवश्यक भूमि का 99.45 प्रतिशत भूमि का अधिग्रहण पहले ही किया जा चुका है.
केंद्र शासित प्रदेश दादरा नगर हवेली में भूमि अधिग्रहण 100 प्रतिशत पूरा हो गया है. गुजरात और महाराष्ट्र में लगभग 99.3 प्रतिशत और 99.79 प्रतिशत भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है. लगभग एक साल पहले, एनएचएसआरसीएल के आंकड़ों से पता चला कि महाराष्ट्र के लिए यह आंकड़ा पहले लगभग 70 प्रतिशत था.
(संपादन: ऋषभ राज)
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