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Saturday, 4 May, 2024
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शिंदे-फडणवीस सरकार ने दूर की बाधाएं तो फिर गति पकड़ने लगी मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना

राज्य सरकार ने क्रियान्वयन संबंधी एजेंसी एनएचएसआरसीएल के साथ एक करार पर हस्ताक्षर करके परियोजना के लिए वन भूमि आवंटित करने को मंजूरी दे दी है, और भूमि अधिग्रहण से संबंधित बाधाएं दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं.

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मुंबई: महाराष्ट्र में सत्ता की बागडोर संभालने के दो महीने के भीतर ही एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली बागी शिवसेना और भाजपा की नई सरकार ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना से जुड़ी कई बाधाओं को दूर कर दिया है, जिससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस शोपीस प्रोजेक्ट ने एक बार फिर गति पकड़ ली है.

राज्य सरकार ने कार्यान्वयन एजेंसी नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) के साथ शेयरहोल्डर एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करके परियोजना के लिए महाराष्ट्र में वन भूमि आवंटित करने को अपनी मंजूरी दे दी है, और भूमि अधिग्रहण को मंजूरी से जुड़ी कई संबंधित बाधाओं को दूर करने के लिए भी आवश्यक कदम उठाए हैं.

एनएचएसआरसीएल के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि राज्य में बुलेट ट्रेन परियोजना से संबंधित ‘हालिया घटनाक्रम सकारात्मक’ रहा है और ‘भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया ने गति पकड़ी है.’

508 किलोमीटर लंबे मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोटेक्ट के जरिये 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से इन दोनों शहरों की दूरी तीन घंटे में तय करना मुमकिन हो सकेगा. जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) के वित्त पोषण के साथ चल रही 1.1 लाख करोड़ रुपये की परियोजना में कुल 12 स्टेशन होंगे, जिनमें से आठ गुजरात में होंगे जबकि चार महाराष्ट्र में होंगे.

यद्यपि, गुजरात में काम तेजी से आगे बढ़ा है लेकिन महाराष्ट्र में यह परियोजना गति नहीं पकड़ पा रही थी. महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण में मुश्किलें आ रही थीं क्योंकि भू-मालिकों की तरफ से कड़े विरोध के अलावा परियोजना को लेकर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना सरकार की आपत्तियों के कारण राजनीतिक इच्छाशक्ति का भी अभाव नजर आ रहा था.

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एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बागी शिवसैनिकों और भाजपा का गठबंधन 30 जून को सत्ता में आया था जब शिवसेना के 40 विधायकों ने ठाकरे के नेतृत्व वाले महाविकास अघाड़ी (एमवीए) से नाता तोड़ लिया और भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया. एमवीए सरकार में ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस शामिल थीं.

सत्ता में आने के एक पखवाड़े बाद ही उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कैबिनेट बैठक के बाद मीडिया को बताया कि सीएम शिंदे ने परियोजना के लिए सभी क्लीयरेंस दे दी हैं.

मोदी के पसंदीदा बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को ऐसे समय में गति मिली है जब इस साल के अंत में ही गुजरात में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.

वन भूमि के लिए मंजूरी

राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि सत्ता में आने के बाद शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने जो पहला निर्णय लिया, वह महाराष्ट्र में वन भूमि के उपयोग के संबंध में परियोजना को प्रारंभिक वन मंजूरी देना था.

ऊपर उद्धृत एनएचएसआरसीएल के अधिकारी ने बताया कि एजेंसी को अब परियोजना के लिए वन भूमि के इस्तेमाल को लेकर केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से अंतिम मंजूरी मिल गई है.

इस मंजूरी के साथ एनएचएसआरसीएल ने बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए आवश्यक 97.47 प्रतिशत भूमि का अधिग्रहण पूरा कर लिया है. अकेले महाराष्ट्र में आवश्यक भूमि का 94.37 प्रतिशत हिस्सा अधिग्रहीत कर लिया गया है.

एनएचएसआरसीएल को परियोजना के लिए महाराष्ट्र में कुल मिलाकर 433.82 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है.

महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों ने एनएचएसआरसीएल को राज्य में परियोजना के लिए आवश्यक 63.44 प्रतिशत भूमि का कब्जा उपलब्ध भी कर दिया है. इसमें वन भूमि भी शामिल है.

शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार यह भी सुनिश्चित कर रही है कि परियोजना के लिए आवश्यक विभिन्न सरकारी विभागों के स्वामित्व वाली भूमि उसे जल्द से जल्द मिल सके. उदाहरण के तौर पर एनएचएसआरसीएल ने फरवरी 2021 में राज्य डेयरी आयुक्त को पत्र लिखकर परियोजना के लिए पालघर जिले में एक-एक हेक्टेयर से कम के दो भूखंड सौंपने का अनुरोध किया था.

डेयरी आयुक्त ने 31 मई को भूमि सौंपने का प्रस्ताव राज्य सरकार के समक्ष रखा. लेकिन, 11 अगस्त को जब तक राज्य सरकार ने बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए यह भूमि हस्तांतरित करने मंजूरी देने वाला एक सरकारी प्रस्ताव जारी नहीं किया, तब तक यह अधर में ही लटका रहा. दिप्रिंट ने आदेश की प्रति देखी है.

यद्यपि, ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार इस प्रोजेक्ट के पक्ष में नहीं थी लेकिन पिछले दो वर्षों में महाराष्ट्र में बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए निजी भूमि अधिग्रहण में तेजी दिखी थी.

भूमिगत बीकेसी स्टेशन के लिए टेंडर

इस माह के शुरू में शिंदे-नीत सरकार ने एनएचएसआरसीएल में राज्य सरकार की हिस्सेदारी की रास्ता साफ कर दिया. परियोजना पर अमल के लिहाज से बेहद अहम इस एजेंसी में केंद्र सरकार की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी हैं और गुजरात और महाराष्ट्र सरकारों का शेयर 25-25 प्रतिशत है. . दिप्रिंट ने संबंधित आदेश देखा है.

ऊपर उद्धृत महाराष्ट्र सरकार के अधिकारी ने दिप्रिंट को यह भी बताया कि राज्य सरकार ने बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) की प्रभारी विशेष योजना एजेंसी मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएमआरडीए) को एक बुलेट ट्रेन स्टेशन के निर्माण के लिए भूमि उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. यह काम काफी चुनौतीपूर्ण है क्योंकि पिछली सरकार ने बीकेसी स्टेशन के लिए आवश्यक 4.82 हेक्टेयर में से कुछ भी जमीन नहीं सौंपी थी. परियोजना के लिहाज से यह स्टेशन काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि मुंबई में यह व्यापारिक जिला ही बुलेट ट्रेन का अंतिम पड़ाव होगा.

एक अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि यहां स्थित भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के एक फ्यूल स्टेशन को स्थानांतरित करने की जरूरत है, जिसके लिए एमएमआरडीए की तरफ से पहले ही एक वैकल्पिक स्थान मुहैया कराया जा चुका है. उन्होंने कहा, ‘हमने बीपीसीएल को वैकल्पिक भूखंड का कब्जा दे दिया है. हमने उन्हें शिफ्टिंग में तेजी लाने के लिए नोटिस भी जारी किया है.’

उन्होंने बताया, इसके अलावा एमएमआरडीए ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को भूमि पर स्थापित एक कोविड केयर सेंटर को बंद करने के लिए भी कहा है, जो परियोजना के लिए एनएचएसआरसीएल की जरूरत है.

इस सबके बीच, एनएचएसआरसीएल ने बीकेसी स्टेशन के निर्माण के लिए एक निविदा जारी की है, जो पूरे कॉरिडोर में एकमात्र भूमिगत स्टेशन होगा. एनएचएसआरसीएल 20 अक्टूबर को स्टेशन निर्माण के लिए बोलियां खोलेगी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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