नई दिल्ली: हाल हीं में पटियाला में संपन्न अंतर-राज्यीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 6.15 मीटर की छलांग लगाने के साथ ही शैली सिंह ने शनिवार को लम्बी कूद का वह रिकॉर्ड तोड़ दिया जो पिछले 21 साल तक अछूता रहा था. अगली दो और बारियों में झांसी की इस लॉन्ग जम्पर ने न केवल 6.10 मीटर की लम्बी कूद के युवा राष्ट्रीय रिकॉर्ड को तोड़ा, बल्कि 6.38 मीटर की दूरी की छलांग के साथ अंडर-20 राष्ट्रीय रिकॉर्ड (6.30 मीटर) और अंत में 6.48 मीटर की छलांग लगाकर अपना ही यह रिकॉर्ड भी तोड़ डाला. शैली एक तरह से खुद से ही प्रतिस्पर्धा कर रही थी.
शैली की सफलता से रोमांचित पूर्व लंबी कूद विश्व चैंपियन और विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली पहली भारतीय एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज ने इस सप्ताहांत में ट्विटर पर खबर साझा की, ‘यह हम सभी के लिए एक अत्यंत भावनात्मक क्षण है, खासकार उन सभी मेहनत और प्रयास देखते हुए जिन्हें हम सभी ने यहां तक पहुंचने के लिए है और आगे एवं और ऊंचे’ ‘शैली के इस कारनामे पर गर्व है! 6.48 मीटर की छलांग के साथ एक नया राष्ट्रीय कीर्तिमान बनाने के लिए, और अपनी अंडर -20 विश्व रैंकिंग को नंबर 1 (अंडर -18 युवा वर्ग में) तक पहुंचाने के लिए.’
So proud of Shaili's feat! A jump of 6.48m to create a new NR, and up her U-20 world ranking to No. 1( U-18 youth category).
This is an extremely emotional moment for all us, considering all the hard work and effort we have put in to come this far. Onwards and upwards! pic.twitter.com/A7ld1UWKRn
— Anju Bobby George (@anjubobbygeorg1) June 26, 2021
परन्तु, 2018 से ही शैली सिंह को कोचिंग (प्रशिक्षण) देने वाले व्यक्ति रॉबर्ट बॉबी जॉर्ज, जो अंजू बॉबी जॉर्ज के पति भी हैं, की तुलना में शायद ही कोई अधिक गर्वित या अधिक संतुष्ट लगता है.
रॉबर्ट ने पहली बार शैली को 2017 में हुई जूनियर प्रतियोगिता के दौरान देखा था. उस समय वह केवल 13 वर्ष की आयु की थी और मुश्किल से 38 किलोग्राम के वजन वाली शैली सिंह 4.63 मीटर की दूरी तक ही कूद पा रही थी. यह कतई कोई शानदार उपलब्धि नहीं थी, लेकिन जैसा रॉबर्ट ने दिप्रिंट को बताया कि जो खास बात उनके नज़र में आयी वह यह थी कि उस युवा एथलीट में एक खास तरह की चिंगारी थी जिसने दिखाया कि वह कितनी दृढ़निश्चयी हो सकती है.
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रॉबर्ट कहते हैं, ‘वह बखूबी जानती थी कि वह पदक नहीं जीतने जा रही थी, लेकिन तब भी वह अपना पूरा दम लगा रही थी. इसे आप कोच वाली दृष्टि मान सकते हैं लेकिन मुझे पता था कि इसमें कुछ खास है.’
अभी एक महीने पहले ने रॉबर्ट शैली सिंह के साथ उसी पुरानी प्रतिस्पर्धा की बात उठाई थी. उन्होंने उससे पूछा कि वह तब क्या सोच रही थी. रॉबर्ट ने कहा, ‘उसने मुझे बताया कि वह खुद को प्रेरित कर रही थी. उसने कहा कि उस समय उसके पास कोई कोच नहीं था.इसलिए वह अपने आप से ही कह रही थी, ‘शाबास शैली, तुम यह कर सकती हो.’
शायद इसी धैर्य ने शैली सिंह को अंडर-18 वर्ग में विश्व नंबर 1 बनने के रास्ते में आई कई बाधाओं को पार करने के अलावा भारत में एक नया अंडर-20 रिकॉर्ड स्थापित करने में भी मदद की. अकेली रहने वाली मां द्वारा पाले-पोसे गए तीन भाई-बहनों में से एक, शैली सिंह ने लम्बे समय तक आर्थिक कठिनाई का सामना किया, और फिर भी सफलता हासिल करने के लिए झांसी से 1,700 किमी दूर स्थित बेंगलुरु में रहने लगी एक साधारण सी दर्जी की बेटी के लिए कभी-कभी एक दिन का भोजन भी विलासिता की वस्तु होती थी, पर शैली बताती हैं कियह उसकी मां ही थी जिसने इस किशोर एथलीट को खेलों के प्रति प्रोत्साहित किया.
शैली ने एक अन्य साक्षात्कार में बताया ‘स्पाइक्स (कांटे वाले जुते) की बात तो भूल जाइए, हम सामान्य रूप से चलने वाले जूतों की एक जोड़ी भी नहीं खरीद सकते थे. मैं नंगे पैर दौड़ने लगी और अक्सर अपने पैरों पर लगे छाले के साथ घर लौटती थी. मेरी माँ यह सब देखकर रो पड़ती.’
‘ओलंपिक पदक की दावेदार है शैली, अंजू से कहीं आगे निकल जाएगी’
रॉबर्ट द्वारा पहली बार उसे जूनियर प्रतियोगिता में देख जाने के करीब एक हफ्ते बाद हीं उनकी पत्नी अंजू जॉर्ज की भी विशाखापत्तनम में एक अन्य प्रतियोगिता के दौरान शैली पर नजर पड़ी. राबर्ट कहते है, ‘एक दूसरे की जानकारी में आये बिना हमने एक ही व्यक्ति (लड़की) को देखा.’
2018 की शुरुआत में, शैली रॉबर्ट के साथ प्रशिक्षण लेने के लिए बेंगलुरु चले गई थी. रॉबर्ट 2017 की जूनियर चैंपियनशिप इवेंट को याद करते हुए कहते हैं, ‘वह मेरे पास किसी और एथलीट के पीछे छिपकर बहुत ही शालीनता से यह पूछने आई थी कि क्या मैं उसे प्रशिक्षित करूंगा. मैंने उससे मजाक-मजाक में पूछा, ‘क्या तुम्हारी ऊंचाई और बढ़ेगी?’
लेकिन रॉबर्ट को अच्छी तरह पता था कि उन्हें शैली सिंह के सिर्फ एथलेटिक कौशल पर काम नहीं करना था. वह यह भी जानते थे कि वह काफी कठिन परिस्थितियों से निकल कर आई है और उसके पास किसी भी चीज़ पर खर्च करने के लिए बहुत कम पैसे हैं, वह जानते थे कि उसकी मां को अपनी बेटी को बेंगलुरु भेजने के लिए एयरलाइन का टिकट खरीदने के लिए भी पैसे उधार लेने पड़े थे.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘सिस्टम हमारी सहायता करता है या नहीं, यह अब गौण विषय है, अब यह हमारी (अंजू और मेरी) जिम्मेदारी है.’
प्रशिक्षण के दौरान मुख्य ध्यान यह सुनिश्चित करने पर था कि शैली की कद-काठी में सुधार हो और उसका वजन बढ़े. 10 महीने की अवधि में हीं उसने अपना वजन 13 किलो तक बढ़ा लिया.
दूसरा फोकस उसके मूलसिद्धांतों (फंडामेंटल्स) को ठीक करने पर रहा. इस मायने में रॉबर्ट का मानना है कि यह कार्य आसान है और वास्तव में, यही एक कारण है जिससे उनका मानना है कि यह किशोर खिलाडी अंजू से भी बेहतर प्रदर्शन कर सकती है.
रॉबर्ट समझाते हुए कहते हैं, ‘वह (शैली सिंह) बहुत कम उम्र में मेरे पास आई थी. इसलिए उसके पास ऐसी कोई चीज नहीं थी जिसे उसे भूलना (अनलर्न) पड़े, जो बहुत ही मुश्किल होता है.’ अंजू ने अपना पहला पदक 25 साल की उम्र में जीता था.’
नवंबर 2018 में, शैली सिंह के जोर्ज के नजर में आने के एक साल बाद हीं इस एथलीट को ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट की टीम द्वारा एक प्रतियोगिता में देखा गया था. ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट एक गैर-लाभकारी खेल संगठन है जिसका काम खेल प्रतिभा की तलाश करना और ऐसे एथलीटों का प्रबंधन करना है. शैली सिंह को भारतीय खेल प्राधिकरण से भी अतिरिक्त सहायता मिली. अब वह अपनी छात्रवृतियों का उपयोग अपने परिवार को मदद प्रदान करने में भी कर रही है.
इस सभी प्रयासों क सुखद परिणाम नवंबर 2019 में सामने आया जब शैली सिंह ने 6.15 मीटर की छलांग के साथ अंडर -16 और अंडर -18 दोनों वर्गों के लिए राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ दिया. उस समय सिर्फ 16 साल की उम्र में, उसने जूनियर विश्व चैंपियनशिप के लिए भी क्वालीफाई किया था, जो अंडर -20 एथलीट्स के लिए होता है.
जब भी कोई उसे सरलता के साथ लम्बी छलांग लगाते हुए देखता है, तो यह स्पष्ट लगतह है कि शैली के पास माद्दा है. उसका सारा-का-सारा ध्याब लम्बी दूरी तक जाने पर ही टिका होता है. जब वह छलांग पूरी कर लेती है तो बिना किसी हिचकिचाहट के अपने स्थान पर वापस जा कर अपनी अगली छलांग के लिए तैयार हो जाती है.
पूर्व में दिए गए एक साक्षात्कार में इस शर्मीली प्रतीत होने वाली किशोरी ने कहा तो कि वह बहुत खुश है कि उसने विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई कर लिया है, लेकिन उसे पता था कि उसे अभी और आगे बढ़ने के लिए बहुत कुछ करना है.
रॉबर्ट पुरे विश्वास के साथ कहते हैं, ‘मैं अंजू से कह रहा था कि इस लड़की में कुछ खास है. वह बहुत हीं ग्रहणशील (चीजों को जल्दी पकड़ने वाली) है और उसकी सीखने की क्षमता अन्य एथलीटों की तुलना में काफी अधिक है. यह देश शैली से और भी बहुत कुछ पाने की उम्मीद कर सकता है. वह 2024, 2028 और 2032 ओलंपिक में पदक की दावेदार होंगी.’
‘अभी और भी बहुत कुछ करना बाकी है’
इस वक्त, रॉबर्ट खुद को न केवल शैली का कोच बल्कि उसे बाकी दुनिया से बचा कर रखने वाला बफर भी मानते हैं.
जब दिप्रिंट ने शैली सिंह से बात करने के लिए इच्छा जताई तो उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं चाहता कि उसे अभी हीं मीडिया का सामना करना पड़े, अभी वह केवल 11 वीं कक्षा में है. उस पर दबाव मत बनाये. अगर वह विश्व चैंपियनशिप में पदक जीत जाये तो यह हो सकता है, पर अभी और भी बहुत काम करना है.’
रॉबर्ट के तौर-तरीकों पर बात करते हुए शैली सिंह के ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट की तरफ से आधिकारिक प्रभारी ने कहा कि कोच ने इस एथलीट में बड़ा बदलाव किया है क्योंकि वह इस एथलेटिक सर्किट को अच्छी तरह से जानते हैं और उसके भाग लेने के लिए सावधानी से सिर्फ चुनिंदा टूर्नामेंट का हीं चयन करते हैं, जो बहुत महत्वपूर्ण बात है.
इस अधिकारी ने कहा, ‘उसने 19 महीने के अंतराल के बाद 6.48 मीटर की छलांग लगाई है. वह और भी बहुत कुछ करने में सक्षम है. लेकिन इसके लिए हमें एक बार में एक कदम उठाने की जरूरत है.’
अभी के लिए तो सारा ध्यान विश्व चैंपियनशिप पर केंद्रित है जो इसी साल अगस्त में होने वाली है.
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