नयी दिल्ली, 21 जून (भाषा) मतदान केंद्रों की वेबकास्टिंग फुटेज सार्वजनिक करने की मांगों के बीच, निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि ऐसा कदम मतदाताओं की गोपनीयता और सुरक्षा से संबंधित चिंताओं का उल्लंघन होगा।
अधिकारियों ने दावा किया कि जो मांग एक तर्कसंगत अनुरोध के रूप में पेश की जा रही है, वह वास्तव में मतदाताओं की गोपनीयता और सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और 1951 में निर्धारित कानूनी प्रावधानों तथा उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के “पूरी तरह विपरीत” है।
अधिकारियों का कहना कि फुटेज साझा करने से किसी भी समूह या व्यक्ति द्वारा मतदाताओं की आसानी से पहचान की जा सकेगी, जिससे मतदान करने वाले मतदाता और मतदान नहीं करने वाले मतदाता दोनों ही असामाजिक तत्वों के दबाव, भेदभाव और धमकी के जद में आ सकते हैं।
उदाहरण के तौर पर उन्होंने कहा कि यदि किसी विशेष राजनीतिक दल को किसी विशेष बूथ पर कम संख्या में वोट मिलते हैं, तो वह दल सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से आसानी से पहचान कर सकेगा कि किस मतदाता ने वोट दिया है और किस मतदाता ने नहीं और उसके बाद मतदाताओं को परेशान किया या डराया जा सकता है।
निर्वाचन आयोग ने “दुर्भावनापूर्ण विमर्श” बनाने के लिए उसके इलेक्ट्रॉनिक आंकड़ों के इस्तेमाल की आशंका के चलते, 30 मई को एक पत्र में राज्य निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया कि यदि फैसले को अदालत में चुनौती नहीं दी जाती है तो वे 45 दिनों के बाद ऐसे फुटेज को नष्ट कर दें।
अधिकारियों ने इस बात को रेखांकित किया कि परिणाम की घोषणा के 45 दिनों के बाद किसी भी चुनाव को चुनौती नहीं दी जा सकती है, इसलिए इस अवधि से अधिक फुटेज को बनाए रखने से गलत सूचना और दुर्भावनापूर्ण विमर्श फैलाने के लिए इनका दुरुपयोग होने की आशंका बढ़ जाती है।
उन्होंने कहा कि यदि 45 दिनों के भीतर चुनाव याचिका दायर की जाती है, तो सीसीटीवी फुटेज को नष्ट नहीं किया जाता है और मांगे जाने पर इसे सक्षम अदालत को भी उपलब्ध कराया जाता है।
अधिकारियों के अनुसार, निर्वाचक की निजता और गोपनीयता बनाए रखना निर्वाचन आयोग के लिए समझौता योग्य नहीं है और इसने कानून में निर्धारित इस आवश्यक सिद्धांत पर कभी समझौता नहीं किया है, जिसे उच्चतम न्यायालय ने भी बरकरार रखा है।
कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों द्वारा 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में मतदान केंद्रों से शाम 5 बजे के बाद के सीसीटीवी फुटेज जारी करने की मांग की थी।
पिछले साल दिसंबर में, सरकार ने सीसीटीवी कैमरों और वेबकास्टिंग फुटेज जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के साथ-साथ उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग के दुरुपयोग को रोकने के लिए सार्वजनिक निगरानी को रोकने के मकसद से चुनाव नियम में बदलाव किया था।
भाषा हक अविनाश प्रशांत
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