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Saturday, 25 October, 2025
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शाहजहांपुर में तेजाब हमले की पीड़िता को 28 वर्ष बाद मिली आर्थिक मदद

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शाहजहांपुर (उप्र), 25 अक्टूबर (भाषा) शाहजहांपुर जिले में तेजाब हमले की पीड़िता को 28 वर्ष बाद सरकार की ओर से पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता मिली है।

घटना 28 अक्टूबर 1997 की है, जब पीड़िता 15 वर्ष की थी। सदर बाजार थाना क्षेत्र के अंटा इलाके के निवासी पप्पू से उसने शादी करने से इनकार कर दिया था। विवाह रद्द होने से नाराज पप्पू ने उसके चेहरे पर तेजाब डाल दिया था।

पुलिस ने आरोपी को कुछ ही दिनों बाद गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

तेजाब हमले की पीड़ित महिलाओं के लिए काम करने वाली संस्था ‘ब्रेव सोल्स फाउंडेशन’ की संस्थापक शाहीन मलिक ने शनिवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि तेजाब हमले लड़की का चेहरा पूरी तरह झुलस गया था।

उन्होंने बताया कि पीड़िता आज भी तकलीफ और मानसिक पीड़ा झेल रही है। महंगे ऑपरेशन, आर्थिक तंगी और अकेलेपन के बीच उसकी जिंदगी बीती है।

मलिक ने कहा, ‘‘पीड़िता के दर्जी पिता ने अपनी सारी संपत्ति (करीब 10 लाख रुपये) उसके इलाज पर खर्च कर दी। बाद में लोगों से चंदा लेकर भी इलाज कराया, लेकिन बाद में उनका निधन हो गया। बाद में उसकी मां का भी निधन हो गया, जिससे वह अकेली रह गई।’’

खुद तेजाब हमले से पीड़ित रह चुकी शाहीन मलिक ने बताया कि संगठन ने पिछले वर्ष इस मामले को उठाया और सरकारी सहायता के लिए प्रयास शुरू किए।

उन्होंने कहा, ‘‘कई पत्राचार और बैठकों के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इस महीने चार लाख और केंद्र सरकार ने एक लाख रुपये की मदद जारी की।’’

उन्होंने यह भी बताया कि पीड़िता का इलाज जारी है ताकि भविष्य में कैंसर जैसी जटिलताएं न उत्पन्न हों। मलिक ने पीड़िता की दशकों पुरानी स्थिति जानने के बावजूद जिला प्रशासन की निष्क्रियता की आलोचना की और कहा, ‘‘28 साल बाद भी उसे सिर्फ पांच लाख रुपये मिले हैं। हम 50 लाख रुपये मुआवजे की मांग को लेकर उच्च न्यायालय जाएंगे।’’

जिला प्रोबेशन अधिकारी गौरव मिश्रा ने पुष्टि की कि यह राशि 2014 में शुरू की गई ‘रानी लक्ष्मीबाई महिला एवं बाल कल्याण योजना’ के तहत दी गई है। उन्होंने कहा, ‘‘पीड़िता को इस वित्तीय वर्ष में चार लाख तथा पिछले वर्ष एक लाख रुपये दिए गए हैं।’’

इस मामले में जिलाधिकारी से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन बात नहीं हो सकी।

पीड़िता ने भावुक होकर कहा, ‘‘मेरा चेहरा और मेरी जिंदगी एक ही पल में बर्बाद हो गई। माता-पिता भी चले गए और भाइयों ने भी साथ छोड़ दिया। मैं बस सम्मान के साथ जीना चाहती हूं।’’

भाषा सं आनन्द खारी

खारी

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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