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Sunday, 22 December, 2024
होमदेशकई पूर्व मंत्रियों की अपील, किसी राजनीतिक दल को अफगानिस्तान घटनाक्रम का फायदा न उठाने दे सरकार

कई पूर्व मंत्रियों की अपील, किसी राजनीतिक दल को अफगानिस्तान घटनाक्रम का फायदा न उठाने दे सरकार

इस समूह ने ‘इंडियन फ्रेंड ऑफ अफगानिस्तान’ के बैनर तले जारी किये गये एक बयान में कहा कि अफगान शांति, राष्ट्रीय सुलह एवं राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के पथ पर आगे बढ़ने को प्रयासरत है तो ऐसे में भारतीय उनके साथ एकजुटता के साथ खड़े हैं.

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नई दिल्लीः अफगानिस्तान की स्थिति पर चिंता प्रकट करते हुए पूर्व मंत्री- के नटवर सिंह, यशवंत सिन्हा और मणिशंकर अय्यर समेत मशहूर हस्तियों के एक समूह ने बुधवार को सरकार से तालिबान के साथ संवाद जारी रखने एवं किसी भी राजनीतिक दल को उस देश के घटनाक्रम का चुनावी फायदे के वास्ते भारतीय समाज को सांप्रदायिक रूप से ध्रुवीकृत करने के लिए इस्तेमाल नहीं करने देने की अपील की.

इस समूह ने ‘इंडियन फ्रेंड ऑफ अफगानिस्तान’ के बैनर तले जारी किये गये एक बयान में कहा कि अफगान शांति, राष्ट्रीय सुलह एवं राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के पथ पर आगे बढ़ने को प्रयासरत है तो ऐसे में भारतीय उनके साथ एकजुटता के साथ खड़े हैं.

समूह ने कहा कि भारत के लोग इस मुश्किल दौर में अफगानिस्तान के लोगों के साथ खड़े हैं और अफगानिस्तान के खुद्दार, देशभक्त एवं बहादुर लोगों ने हर आक्रमणकारी सेना को हराया है एवं उन्होंने कट्टरपंथ एवं आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जारी रखी है.

इस बयान पर पूर्व विदेश मंत्री- सिंह एवं सिन्हा, पूर्व राजनयिक एवं कांग्रेस नेता अय्यर, सेवानिवृत आईपीएस अधिकारी जूलियो रेबेरियो, पूर्व आईएएस अधिकारी एवं जामिया मिलिया इस्लामिया के पूर्व कुलपति नजीब जंग, अफगान विशेषज्ञ वेदप्रताप वैदिक, वरिष्ठ पत्रकार सईद नकवी, पूर्व राजनयिक केसी सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडे, पूर्व राज्यसभा सदस्य माजिद मेनन और फोरम फोर न्यू साउथ एशिया के संस्थापक सुधींद्र कुलकर्णी के हस्ताक्षर हैं.

समूह ने भारत सरकार से अपील की है कि भारत तालिबान के साथ संवाद जारी रखे. उसने कहा, ‘दोहा में तालिबान के साथ सरकार के संवाद की उसके द्वारा आधिकारिक स्वीकृति तथा तालिबान द्वारा दिये गये आश्वासन का हम स्वागत करते हैं.’

इन हस्तियों ने बयान में कहा कि अपना वतन छोड़ने को मजबूर हुए अफगानों को आश्रय देने में धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने भारत से अफगान पत्रकारों, कलाकारों एवं सभ्य नागरिक समाज के नेताओं को अस्थायी रूप से ठहरने के लिए इजाजत देने का आह्वान किया जो अपने देश की स्थिति के चलते खतरा महसूस कर रहे हैं.

समूह ने कहा, ‘किसी भी राजनीतिक दल को अफगानिस्तान के घटनाक्रम का चुनावी फायदे के वास्ते भारतीय समाज को सांप्रदायिक रूप से ध्रुवीकृत करने के लिए इस्तेमाल नहीं करने दिया जाना चाहिए.’

उसने तालिबान एवं अफगानिस्तान की अन्य राजनीतिक ताकतों से भी अपील की कि देश को एक ऐसी समावेशी सरकार की जरूरत है जो चार दशक की लड़ाई एवं हिंसा के बाद राष्ट्रीय सुलह का मार्ग सुगम बनाए.


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