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Thursday, 31 October, 2024
होमदेशएक माह पुराने CM बोम्मई पर 2023 के लिए अमित शाह की मुहर लगने से कर्नाटक के वरिष्ठ BJP नेताओं में नाराज़गी

एक माह पुराने CM बोम्मई पर 2023 के लिए अमित शाह की मुहर लगने से कर्नाटक के वरिष्ठ BJP नेताओं में नाराज़गी

वरिष्ठ बीजेपी नेताओं ने खुलेआम अगले प्रदेश चुनावों में बीजेपी की अगुवाई के लिए, अमित शाह द्वारा बासवराज बोम्मई के समर्थन का विरोध किया है, लेकिन पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक़ ये पुराने नेताओं के लिए संदेश है, और सीएम की स्थिति को मज़बूत करता है.

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बेंगलुरू: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस ऐलान ने कि बीजेपी कर्नाटक में अगला विधानसभा चुनाव, मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई की अगुवाई में लड़ेगी, सत्ताधारी पार्टी में नाराज़गी की लहर फैला दी है और वरिष्ठ नेता खुलेआम अपनी आपत्तियां ज़ाहिर कर रहे हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर और ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री के एस ईश्वरप्पा ने खुले तौर पर शाह से असहमति जताई है और कहा है कि चुनाव ‘सामूहिक नेतृत्व’ में लड़े जाएंगे. उन्होंने ये भी संकेत दिया है कि अगले चुनावों में नेतृत्व का मुद्दा अभी तय नहीं हुआ है.

शेट्टर ने, जिन्होंने बोम्मई कैबिनेट में मंत्री पद स्वीकार करने से ये कहते हुए इनकार कर दिया था कि ‘अपने जूनियर की कैबिनेट में मंत्री बनने से उनके आत्म सम्मान को ठेस पहुंचेगी’, अमित शाह की घोषणा का खुलकर विरोध किया.

शेट्टर ने शुक्रवार को मीडिया से कहा, ‘हम पार्टी के निर्णयों का पालन करेंगे. लेकिन चुनाव अभी बहुत दूर हैं. हमें देखना होगा कि चुनाव आने पर क्या होता है’.

जब दिप्रिंट ने शेट्टर से इस मुद्दे पर उनका रुख़ जानने के लिए संपर्क किया, तो उन्होंने जवाब देने से मना कर दिया.

शेट्टर की तरह बोम्मई भी एक लिंगायत हैं और उसी ज़िले- हुबली-धारवाड़ से आते हैं, जिससे ये दोनों पार्टी के अंदर सीधे दावेदार बन जाते हैं.

एक अन्य मुखर बीजेपी नेता केएस ईश्वरप्पा ने दिप्रिंट से कहा कि वो सामूहिक नेतृत्व की उम्मीद कर रहे हैं.

ईश्वरप्पा ने कहा, ‘मैं शाह के ऐलान की काट नहीं कर रहा हूं, लेकिन कर्नाटक की स्थिति का मेरा आंकलन ये है कि हमें सामूहिक नेतृत्व की ज़रूरत है. बीएस येदियुरप्पा और मुझ जैसे नेताओं ने, चार दशकों से अधिक समय में पार्टी को बनाया है’.

‘हमें बतौर सीएम बोम्मई का नेतृत्व चाहिए, पार्टी अध्यक्ष के तौर पर नलिन कुमार कतील का नेतृत्व चाहिए, जनाधार वाले नेता के तौर पर बीएस येदियुरप्पा का नेतृत्व चाहिए. एक व्यक्ति के नेतृत्व से काम नहीं चलेगा, और मैं यही कह रहा हूं’.

उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी भले ही कई बार सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी हो, लेकिन उसे कर्नाटक में कभी पूरा जनादेश हासिल नहीं हुआ है, और केवल एक सामूहिक नेतृत्व ही उसे सुनिश्चित कर सकता है.

मंत्री ने कहा, ‘लेकिन ये केवल मेरी राय है. मैं पार्टी को यही राय दूंगा, लेकिन पार्टी जो भी निर्णय लेती है उसका पालन करूंगा’.

एक महीने से कुछ ऊपर हो गया है, जब बासवराज बोम्मई ने 28 जुलाई को कर्नाटक की कमान, बीएस येदियुरप्पा से अपने हाथों में ली थी, और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पार्टी में बहुत से लोगों को हैरान कर दिया, जब उन्होंने 2023 में होने वाले असेम्बली चुनावों के लिए, सार्वजनिक तौर पर बोम्मई की भूमिका का ऐलान कर दिया.

बृहस्पतिवार को देवनगेरे में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए शाह ने ऐलान किया, ‘बीएस येदियुरप्पा ने स्वेच्छा से तय किया, कि कर्नाटक की ज़िम्मेदारी किसी नए व्यक्ति को दी जानी चाहिए. बीजेपी ने फैसला किया कि बासवराज बोम्मई को ये ज़िम्मेदारी दी जानी चाहिए, और उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया. मुझे पूरा विश्वास है कि बोम्मई के नेतृत्व में, बीजेपी पूरे जनादेश के साथ कर्नाटक में वापसी करेगी’.


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पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया, कि शाह के बयान से इन अटकलों पर विराम लग जाएगा, कि क्या पार्टी बोम्मई को अपने कार्यकाल की शेष अवधि में, उनके पद पर बने रहने देगी.

सभी अनुमानों का स्रोत ये है कि पिछली बार अगस्त 2011 में, जब बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था, तो शीर्ष पद पर उनकी जगह डीवी सदानंद गौड़ा को बिठाया गया था. लेकिन गौड़ा का कार्यकाल बीच में ही ख़त्म कर दिया गया, और जुलाई 2012 में जगदीश शेट्टर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ गए.

‘स्पष्ट इरादे के साथ बयान’

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों और राजनीतिक विश्लेषकों ने दिप्रिंट को बताया, कि शाह की टिप्पणी से स्पष्ट हो जाता है कि बोम्मई कहीं जाने वाले नहीं हैं, और गृह मंत्री का बयान काफी सोच विचार, और स्पष्ट इरादे के साथ ही आया है.

राजनीतिक विश्लेषक और लोकनीति नेटवर्क के राष्ट्रीय समन्वयक डॉ संदीप शास्त्री ने दिप्रिंट से कहा, ‘ये कोई बिना सोचे-समझे की गई टिप्पणी नहीं है. अमित शाह की घोषणा प्रदेश बीजेपी में पनप रहे विभिन्न गुटों को एक स्पष्ट संदेश है, पार्टी सोच समझकर मज़बूती के साथ बोम्मई के पीछे खड़ी है’.

‘ऐलान से इस बात को बल मिलता है, कि बोम्मई केंद्रीय नेतृत्व की पसंद हैं, जिनका बीएस येदियुरप्पा ने समर्थन किया है, इसके उलट नहीं हुआ है’.

डॉ शास्त्री ने कहा कि बयान ऐसे समय आया है, जब येदियुरप्पा ने ऐलान किया है कि ‘पार्टी को मज़बूत करने के लिए’, वो एक राज्यव्यापी यात्रा पर निकलेंगे.

पार्टी के अंदरूनी सूत्र इस आंकलन से सहमत हैं.

पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने अपनी पहचान छिपाने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, ‘शाह की मंशा ये रही होगी, कि बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद, पार्टी में उठ रहे किसी भी असंतोष या मतभेदों को दबा दिया जाए’.

उन्होंने आगे कहा, ‘शायद पार्टी नेताओं और कार्यकर्त्ताओं को याद दिलाया गया है, कि वो अपना काम करें और ये चिंता न करें कि शीर्ष पर कौन बैठा है. उनके कारण कुछ भी रहे हों, मुझे लगता है कि किसी के भी नेतृत्व का आंकलन करने के लिए, एक महीने का समय बहुत कम है’.

पार्टी में बहुत से लोगों का ये भी मानना है, कि अमित शाह को बोम्मई को समर्थन, बीजेपी के पुराने धड़े को एक संकेत है कि वो नए नेतृत्व के लिए रास्ता साफ करें.

वरिष्ठ एमएलसी और कर्नाटक बीजेपी के सह कोषाध्यक्ष लहर सिंह सिरोया ने कहा, ‘केएस ईश्वरप्पा या जगदीश शेट्टर जैसे नेताओं का विरोध समझ में नहीं आता, चूंकि दोनों पार्टी में अपनी पारियां खेल चुके हैं. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के नाते नलिन कुमार कतील, या राष्ट्रीय महसचिव के तौर पर सीटी रवि, या फिर अरविंद लिंबावली या आर अशोक जैसे नेता अपने विचार प्रकट कर सकते हैं, चूंकि ये सब अगली पंक्ति के नेता हैं’.

उन्होंने आगे कहा, ‘क्योंकि पार्टी हर जगह युवा चेहरे तलाश रही है, इसलिए हमारा फर्ज़ है कि पार्टी के फैसले का समर्थन करें’.

पार्टी नेताओं ने दिप्रिंट से कहा, कि टिप्पणी पर विवाद या असंतोष व्यक्त करना व्यर्थ है, चूंकि येदियुरप्पा जैसे दिग्गज को भी केंद्रीय नेतृत्व के रास्ते पर चलने के लिए राज़ी कर लिया गया है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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