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Saturday, 20 April, 2024
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‘जय श्री राम’ और ‘हर हर महादेव’ से गूंजी झारखंड विधानसभा, सीएम सोरेन बोले, ‘राक्षस’

82 सदस्यों वाली झारखंड विधानसभा में चार मुस्लिम विधायक हैं. इसमें दो कांग्रेस और दो झारखंड मुक्ति मोर्चा के हैं. विपक्ष में एक भी मुस्लिम विधायक नहीं हैं.

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रांची: झारखंड के विधानसभा का नजारा पिछले चार पांच दिनों से बदला बदला नजर आ रहा है. विधानसभा परिसर में एक ओर जहां नमाज कक्ष बनाया गया है तो वहीं परिसर भी रामनामी दुपट्टे में लिपटे विधायकों के साथ कीर्तन की धुन से गुंजायमान है.

सोमवार को झारखंड विधानसभा में चल रहे मानसून सत्र के दौरान भाजपा के विधायक अलग ही रूप रंग में नजर आए. सदन के बाहर निकल मुख्य द्वार पर नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी सहित अन्य विधायक कीर्तन करते दिखे. इस दौरान यहां ढोल बजाया गया, रामनामी दुपट्टा बांटा गया. कोडरमा की विधायक नीरा यादव ने सभी विधायकों को तिलक लगाया. इसके बाद सभी कीर्तन करने बैठ गए.

इस दौरान देवघर के विधायक नारायण दास ने नृत्य करना शुरू कर दिया. विधायक अमर बाऊरी ने कहा कि ऐसा तब तक चलता रहेगा जब तक सत्ता पक्ष को सद्बुद्धि नहीं आ जाती है.

बता दें पिछले दिनों विधानसभा अध्यक्ष रविंद्रनाथ महतो ने विधानसभा के अंदर मुस्लिम विधायकों और कर्मियों के नमाज पढ़ने के लिए नामज कक्ष आवंटित किया है. जब से यह ऑर्डर पास किया गया है, राज्य की राजनीति गरमाई हुई है. नमाज से शुरू होकर जयश्री राम के नारे तक पहुंची है.

विधानसभा परिसर में नमाज कक्ष बनाए जाने का ऑर्डर जिसके बाद से ही हंगामा चरम पर है

फिलवक्त राज्य में मानसून सत्र चल रहा है. सोमवार को सत्र शुरू होने के साथ ही बीजेपी के विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया.

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सत्तापक्ष के विधायक डॉ इरफान अंसारी से मीडिया ने पूछा कि बीजेपी के गमछा से क्यों आपत्ति है. जवाब में उन्होंने कहा, ‘बीजेपी के साथियों को टोपी बाटेंगे. मेरी टोपी सेक्यूलर टोपी होगी. बीजेपी सोच रही है कि झारखंड भी अयोध्या हो गया है. इनका मन बढ़ गया है. मैं मुसलमान होकर मंदिर का सम्मान करता हूं तो बीजेपी नेताओं को मस्जिद का सम्मान करना चाहिए.’

बाधित सदन जब स्थगित कर दिया तो सीएम हेमंत सोरेन बाहर आए. मीडिया ने उनसे पूछा कि क्या नामज कक्ष अलॉट करने का फैसला वापस लिया जाएगा. क्यों न उनको प्रार्थना रूम दे दिया जाए, इस पर सोरेन बोले, ‘मन में अगर आस्था हो तो भगवान सब जगह हैं. लेकिन अगर मन में राक्षस हो तो सब जगह दुश्मन ही दुश्मन हैं.’

सीएम के इस बयान पर बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री अमर बाऊरी ने दिप्रिंट से कहा, ‘हेमंत सोरेन को एक मुल्ला या पंडीजी की तरह बयान नहीं देना चाहिए.’

उन्होंने आगे कहा, ‘वह (सीएम) एक संवैधानिक पद पर हैं, राज्य के मुखिया हैं. उन्हें उसी के अनुरूप व्यवहार करना चाहिए. अगर नामज कक्ष न घोषित कर प्रार्थना कक्ष घोषित किया जाता, जहां सभी धर्म के लोग प्रार्थना कर सकते थे, तो हमें कोई आपत्ति नहीं थी. लेकिन उन्होंने एक खास धर्म के लिए ऐसा किया है. यह उन्हें शोभा नहीं देता है.’

ढोल और मजीरे के साथ विधायकों ने किया कीर्तन/फोटो: आनंद दत्त/दिप्रिंट

हर हर महादेव और जय श्री राम से गूंजी विधानसभा

सोमवार को सदन का नजारा शुरू से ही कुछ अलग अलग सा दिखाई दे रहा था. सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू हुई. विधानसभा अध्यक्ष जैसे ही सदन के अंदर आए, बीजेपी सदस्यों ने उनका अभिवादन जयश्री राम के नारों से किया. किसी ने हर हर महादेव अध्यक्ष जी कह कर उनका अभिवादन किया.

इससे पहले रविवार को बीजेपी कार्यकर्ताओं ने राज्यभर में सीएम हेमंत सोरेन और विधानसभा अध्यक्ष का पुतला दहन किया.

झारखंड विधानसभा में नमाज कक्ष बनाए जाने का विरोध करते भाजपा के विधायक/ फोटो: आनंद दत्त/दिप्रिंट

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सीएम रहते बाबूलाल मरांडी ने भी मांगा था नमाज कक्ष?

वहीं कांग्रेस नेता और परिवहन मंत्री आलमगीर आलम ने दिप्रिंट को बताया, ‘विधानसभा अध्यक्ष को लिखने में गलती हुई होगी. उसे प्रेयर रूम ही माना जाए. राज्य बनने के बाद यहां के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने खुद तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी के पास ऐसी व्यवस्था की मांग को लेकर पहुंचे थे. अब उन्हें लगता है कि अगर सदन के अंदर रहे तो इसका जवाब उन्हें देना होगा. इसलिए हंगामा कर वह सदन के बाहर कीर्तन कर रहे हैं.’

82 सदस्यों वाली झारखंड विधानसभा में चार मुस्लिम विधायक हैं. इसमें दो कांग्रेस और दो झारखंड मुक्ति मोर्चा के हैं. विपक्ष में एक भी मुस्लिम विधायक नहीं हैं.

वहीं बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के राज्य अध्यक्ष अनवर हयात दिप्रिंट से बातचीत के दौरान कहते हैं, ‘जेएमएम ने हिन्दू मुस्लिम को लड़ा दिया है. सरकार विकास और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बहस से बचने के लिए ऐसा किया है.’

‘अगर हेमंत सरकार मुसलमानों का विकास चाहती तो मदरसा बोर्ड का गठन करती, अल्पसंख्यक आयोग का गठन करती, उर्दू एकेडमी का गठन करती. उसके बजाय नमाज कक्ष अलॉट कर सबको उलझा कर रख दिया.’

बकौल अनवर हयात, ‘जहां तक नमाज पढ़ने की बात है, मुसलमान कहीं भी चादर बिछाकर नमाज पढ़ सकते हैं. अल्लाह हर जगह है. बीजेपी को नमाज पढ़ने या कमरा अलॉट के लिए आपत्ति नहीं है. आपत्ति केवल तुष्टिकरण की राजनीति पर है.’

वो ये भी कहते हैं, सबसे ज्यादा सब्सीडी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने दी थी. मुसलमानों के डिमांड पर इसे बंद किया गया, न की बीजेपी ने बंद करवाया.

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विधानसभा परिसर में नमाज पढ़ने के लिए विशेष रूप से बनाया गया कक्ष/ फोटो: आनंद दत्त/ दिप्रिंट

जेएमएम रोजगार पर तो बीजेपी महंगाई पर चर्चा क्यों नहीं चाहती?

इन सब से इतर माले विधायक विनोद सिंह दोनों ही पार्टियों को घेर रहे हैं. दिप्रिंट से बातचीत में वो कहते हैं, ‘राज्य सरकार बेरोजगारी पर बहस नहीं चाहती है, बीजेपी महंगाई पर बहस नहीं चाहती है. सोमवार को सदन में दोनों ही मुद्दों पर बहस होनी थी, अब बाकि आप समझ लीजिए. साफ है कि दोनों ही पार्टी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं.’

उन्होंने कहा, ‘नमाज कक्ष अलॉट करने में कोई परेशानी नहीं है. अगर बीजेपी वाले अपने लिए प्रार्थना करने के लिए अलग कक्ष की मांग करेंगे तो अध्यक्ष उन्हें भी दे देंगे.’

‘मसला ये भी है कि सोमवार को ही सदन के अंदर रघुवर दास के समय के घोटाले पर भी चर्चा होनी थी. अब सदन के बाहर के हंगामें को आप ऐसे भी समझ सकते हैं.’

क्या लोकसभा और राज्यसभा में नमाज के लिए अलग कक्ष की व्यवस्था है?

लोकसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर और सात बार के सांसद करिया मुंडा कहते हैं, ‘लिखित तौर पर ऐसा कोई कक्ष लोकसभा में तो घोषित नहीं किया गया है. लोकसभा परिसर के बगल में ही एक मस्जिद है. कई सारे सदस्य और अन्य कर्मी शुक्रवार के दिन वहीं नमाज पढ़ने जाते हैं.’

विपक्ष बेरोजगारी पर बात करना चाह रही थी, सत्ता पक्ष महंगाई पर बात करना चाह रही थी. शायद दोनों के लिए ही धर्म का मुद्दा माकूल साबित हुआ और दोनों ही चर्चा से बच गए. न तो शून्यकाल सत्र हुआ न ही मुख्यमंत्री प्रश्नकाल सत्र.

हां इतना जरूर हुआ कि राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने सीएम से मिलकर बैद्यनाथ धाम मंदिर सहित बासुकीनाथ धाम, रजरप्पा, इटखोरी मंदिर को आम जनता के लिए खोलने का आग्रह किया.

(आनंद दत्ता स्वतंत्र पत्रकार हैं)


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