(फोटो के साथ)
(मानस प्रतिम भुइयां)
बेनौलिम (गोवा), पांच मई (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को पाकिस्तान के अपने समकक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी की मौजूदगी में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में दो टूक कहा कि बिना किसी भेदभाव के आतंकवाद के सभी स्वरूपों और इसके वित्तपोषण को रोकना चाहिए।
एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में अपने संबोधन में जयशंकर ने परोक्ष रूप से पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि आतंकवाद की अनदेखी करना समूह के सुरक्षा हितों के लिए हानिकारक होगा और जब दुनिया कोविड-19 महामारी और उसके प्रभावों से निपटने में लगी थी, तब भी आतंकवाद की समस्या ज्यों की त्यों बनी रही।
सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे विदेश मंत्री ने कहा कि भारत का दृढ़ विश्वास है कि आतंकवाद को बिल्कुल उचित नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस खतरे से मुकाबला करना एससीओ के मूलभूत कार्यक्षेत्र में शामिल है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें किसी भी व्यक्ति या देश को सरकार से इतर तत्वों के पीछे छिपने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।’’
जयशंकर ने यह भी रेखांकित किया कि संपर्क प्रगति की कुंजी है, लेकिन इसके लिए सभी सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को ध्यान में रखना चाहिए।
गोवा के इस बीच रिसॉर्ट में चीन के विदेश मंत्री छिन कांग और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव तथा एससीओ के अन्य देशों के उनके समकक्षों ने बैठक की।
जयशंकर ने अफगानिस्तान की स्थिति और कोविड-19 महामारी के प्रभाव के साथ-साथ ऊर्जा, भोजन और उर्वरकों की आपूर्ति को प्रभावित करने वाली भू-राजनीतिक उथल-पुथल के परिणामों पर भी चर्चा की।
जयशंकर ने कहा, ‘‘आतंकवाद की अनदेखी करना समूह के सुरक्षा हितों के लिए नुकसानदेह होगा। हमारा दृढ़ विश्वास है कि आतंकवाद को कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता है। सीमापार आतंकवाद समेत इसके सभी स्वरूपों का खात्मा किया जाना चाहिए। सदस्यों को यह याद दिलाने की जरूरत नहीं है कि खतरे से मुकाबला करना एससीओ के मूलभूत कार्यक्षेत्र में शामिल है।’’
अफगानिस्तान पर उन्होंने कहा, ‘‘उस देश में उभरती स्थिति पर हमारा ध्यान बना हुआ है। हमारे प्रयास अफगान जनता के कल्याण की दिशा में होने चाहिए।’’
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘ अफगानिस्तान में हमारी तात्कालिक प्राथमिकताओं में मानवीय सहायता पहुंचाना, एक वास्तविक समावेशी सरकार सुनिश्चित करना, आतंकवाद से मुकाबला करना और महिलाओं, बच्चों एवं अल्पसंख्यकों के अधिकार संरक्षित करना शामिल हैं।’’
अपने संबोधन में बिलावल ने कहा, ‘‘हमारे लोगों की सामूहिक सुरक्षा हमारी संयुक्त जिम्मेदारी है। आतंकवाद वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है।’’ उन्होंने भारतीय पक्ष पर निशाना साधते हुए अपने बयान में कहा, ‘‘राजनयिक लाभ के लिए आतंकवाद को हथियार बनाने के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए।’’’
पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘जब मैं इस विषय पर बोलता हूं, तो मैं न केवल पाकिस्तान के विदेश मंत्री के रूप में बोलता हूं, जिनके लोगों ने सबसे ज्यादा हमलों में सबसे ज्यादा नुकसान उठाया है, मैं उस बेटे के रूप में भी बोलता हूं जिसकी मां की हत्या आतंकवादियों द्वारा कर दी गई थी।’’
पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की 2007 में रावलपिंडी में एक आत्मघाती हमले में मौत हो गई थी। बिलावल ने कहा कि वह और उनका देश आतंकवाद के खात्मे को लेकर क्षेत्रीय और वैश्विक प्रयासों का हिस्सा बनने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए न केवल व्यापक दृष्टिकोण बल्कि एक सामूहिक दृष्टिकोण की भी आवश्यकता है। यह मांग करता है कि हम मूल कारणों के साथ-साथ विशिष्ट समूहों द्वारा उत्पन्न खतरों से भी निपटें।’’
बिलावल ने कहा, ‘‘इसके लिए जरूरी है कि हम इस चुनौती से अलग-अलग होकर लड़ने के बजाय एकजुट होकर सामना करें। हमारी सफलता के लिए हमें इस मुद्दे को भू-राजनीतिक हालात से अलग करने देखने की आवश्यकता है।’’
जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा कि दुनिया के सामने मौजूदा संकटों ने वैश्विक संस्थाओं की समयबद्ध और प्रभावी तरीके से चुनौतियों का प्रबंधन करने की क्षमता में विश्वसनीयता और भरोसे की कमी को उजागर किया है। उन्होंने कहा कि एससीओ में सुधार और आधुनिकीकरण अधिक समकालीन दृष्टिकोण प्रदान करेगा जिसका भारत सक्रिय रूप से समर्थन करेगा।
विदेश मंत्री ने एससीओ के पूर्णकालिक सदस्य के तौर पर ईरान और बेलारूस को शामिल किए जाने के संबंध में प्रगति का भी उल्लेख किया। उन्होंने यह भी कहा कि अंग्रेजी को एससीओ की तीसरी आधिकारिक भाषा बनाने के लिए रचनात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। वर्तमान में, चीनी और रूसी एससीओ की दो आधिकारिक भाषाएं हैं।
जयशंकर ने स्टार्ट-अप और नवाचार तथा पारंपरिक चिकित्सा पर दो नए कार्य समूहों के गठन को लेकर भारत के प्रस्ताव के लिए सदस्य देशों के समर्थन की भी सराहना की।
अपने संबोधन में, पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने आतंकवाद की चुनौती के बारे में यह भी कहा कि ‘‘इस अध्याय को हमेशा के लिए’’ समाप्त करने के व्यावहारिक समाधान मौजूद हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमें सरकार से इतर तत्वों को सरकारी तत्वों के साथ जोड़ना बंद करना चाहिए। राज्य प्रायोजित आतंकवाद सहित आतंकवाद के सभी स्वरूपों की निंदा करता हूं।’’
बिलावल ने ‘‘अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार’’ से आतंकवाद के लिए अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल नहीं होने देने की अपनी प्रतिबद्धताओं पर कायम रहने का भी आह्वान किया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने हाल में सऊदी अरब और ईरान के बीच मतभेदों को दूर करने में चीन द्वारा निभाई गई ‘‘सराहनीय भूमिका’’ का भी विशेष उल्लेख किया।
बिलावल ने कहा, ‘‘हमें एससीओ के भीतर इन सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त सिद्धांतों के लिए सम्मान सुनिश्चित करना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय कानून और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के उल्लंघन में राष्ट्रों द्वारा एकतरफा और अवैध कदम एससीओ उद्देश्यों के विपरीत हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपनी प्रतिबद्धताओं को बनाए रखने और अपने लोगों के लिए एक नया भविष्य तैयार करने की दिशा में स्पष्ट होना चाहिए, जो संघर्ष को कायम रखने में नहीं बल्कि संघर्ष समाधान पर आधारित है।’’
एससीओ एक प्रभावशाली आर्थिक और सुरक्षा समूह है तथा यह सबसे बड़े अंतर-क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठनों में से एक बनकर उभरा है। एससीओ की स्थापना रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने 2001 में शंघाई में एक सम्मेलन में की थी। भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके स्थायी सदस्य बने थे।
भाषा आशीष पवनेश
पवनेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.