पाइनुरस्ला (मेघालय), दो नवंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मेघालय के प्रसिद्ध जीवित जड़ पुलों (लिविंग रूट ब्रिज) पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए इन्हें ‘‘अतीत का दर्शन’’ और मानव तथा प्रकृति के बीच सामंजस्य का प्रतीक बताया, जिसे संजोकर रखना और संरक्षित करना आवश्यक है।
सिंधिया ने शनिवार को पूर्वी खासी हिल्स जिले के रंगथिलियांग गांव में सबसे ऊंचे जीवित जड़ पुलों में से एक का दौरा किया, जहां उन्होंने स्थानीय लोगों और समुदाय के बुजुर्गों के साथ बातचीत की, जिन्होंने सदियों पुराने प्राकृतिक चमत्कारों को संरक्षित किया है।
सिंधिया और पर्यावरणविद् मॉर्निंगस्टार खोंगथॉ ने अन्य लोगों के साथ मिलकर इन विशाल जीवित पुलों पर कुछ समय बिताया, जो नीचे जंगल की सतह से सैकड़ों फुट ऊपर खड़े थे।
सिंधिया ने रविवार को इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा, ‘‘जब आप यहां आते हैं, तो आपको अतीत की झलक, प्रकृति की सुंदरता और शांति, उसकी रचनात्मकता का एहसास होता है। जब वह पृथ्वी को अपनी बाहों में समेट लेती हैं और हम जैसे साधारण मनुष्यों को मिलने और जुड़ने का मार्ग प्रदान करती हैं।’’
उन्होंने प्राकृतिक पुलों को लोगों और उनके पर्यावरण के बीच गहरे संबंध का प्रतिबिंब बताया और कहा, ‘‘प्रकृति की प्राकृतिक सुंदरता, उसकी गर्माहट, कुछ ऐसी चीज है जिसे हमें, मनुष्यों के रूप में, भारतीयों के रूप में और मेघालय के लोगों के रूप में हमेशा संजोकर रखना चाहिए और उसकी पूजा करनी चाहिए क्योंकि वह हमारी रक्षक है।’’
अपनी यात्रा को ‘‘एक रोमांचक अनुभव’’ बताते हुए मंत्री ने कहा कि वह ‘‘मेघालय की मिट्टी और उसकी जड़ों के संपर्क में आकर अभिभूत हैं’’।
सिंधिया ने मॉर्निंगस्टार खोंगथॉ के नेतृत्व वाले ‘लिविंग रूट्स फाउंडेशन’ के योगदान की भी प्रशंसा की।
खोंगथॉ ने ‘पीटीआई-भाषा’’ से कहा, ‘‘मुझे केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री के साथ करीबी बातचीत करने का मौका मिलने पर खुशी है। मैंने मंत्री के माध्यम से केंद्र से मेघालय के इन चमत्कारों को उजागर करने का आग्रह किया। हमें पुलों को संरक्षित करने की जरूरत है।’’
मंत्री दो दिवसीय यात्रा के तहत मेघालय में थे और इस दौरान उन्होंने शनिवार को प्रधानमंत्री पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास पहल (पीएम-डिवाइन) योजना के तहत 233 करोड़ रुपये की लागत वाली सोहरा सर्किट परियोजना की आधारशिला भी रखी।
भाषा
देवेंद्र नरेश
नरेश
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