परियोजना पर छात्रों को नियुक्त करके प्रमुख संस्थान आने वाले 5 वर्षों में इसके व्यावहारिक नमूने की उम्मीद रखता है।
आईआईटी-कानपुर के शोधकर्ताओं ने एक निजी कंपनी के साथ वर्टिकल टेकऑफ और लैंडिंग वाले (वीटीओएल) विमान के कार्यात्मक नमूने को विकसित करने के लिए, 15 करोड़ रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, ये विमान फ्लाइंग टैक्सियों के रूप में उपयोग किए जाने की क्षमता रखते हैं।
वीटीओएल एविएशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ इस महीने हस्ताक्षर किए गए सौदे में आईआईटी-कानपुर के शोधकर्ता इस शोध को शुरू करने से पहले एक व्यवहारिक अध्ययन करेंगे, इस अध्ययन के माध्यम से वे अगले पांच वर्षों में इसका एक नमूना बनाने की उम्मीद करते हैं।
अजय घोष ने कहा, जो संस्थान में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग और फ्लाइट लैब का नेतृत्व करते हैं “हम इस अवधारणा का प्रमाण देंगे और प्रमुख प्रौद्योगिकी क्षेत्रों की पहचान करेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि, ” आने वाले वर्षों में इस पर 100 से अधिक छात्र कार्य कर रहें होंगे।”
प्रमुख शहरों में यातायात की समस्या को सुलझाने के लिए वीटीओएल विमान को भविष्य में एक समाधान के रूप में देखा जा रहा है।
इस विमान में यह खास खूबी है कि यह किसी भी इलाके से टेक-ऑफ़ और लैंड कर सकता है और आज के समय की संभावित कई नागरिक और सैन्य समस्याओं को हल कर सकता है।
वीटीओएल क्या है?
वीटीओएल विमान सीधे ऊपर की तरफ उड़ान भर सकते हैं और उसी तरह से उतर भी सकते है। ये दो प्रकार के होते हैं- पहला, रोटरक्राफ्ट जिसमें हेलीकॉप्टर, क्वाडकॉप्टर्स और ड्रोन के घूमने वाले ब्लेड होते हैं और पॉवर लिफ्ट की तरह होते है जो इंजन द्वारा संचालित होते हैं।
हालांकि दूसरा कम प्रचलित पॉवर लिफ्ट विमान दुनिया भर में सेनाओं में भी मौजूद हैं। रूस का याक-38 जो कि पहले वीटीओएल संस्करणों में से एक था जब तक कि 80 के दशक में इसका उत्पादन बंद नहीं हुआ। अमेरिका की सेना में प्रसिद्ध वी-22 ओस्प्रे, पावर लिफ्ट और रोटरी एक्शन का मिश्रण है, जबकि हैरियर जंप जेट का उपयोग ब्रिटेन और अमेरिका दोनों देशो द्वारा किया जाता है।
इसके फायदे और नुकसान क्या हैं?
सैद्धांतिक रूप से वीटीओएल विमान के अनन्य फायदे हैं: वे दुनिया के किसी भी हिस्से में किसी भी इलाके में कहीं भी उड़ान भर सकते हैं और उतर सकते हैं। वे ऐसी कुशलता का प्रदर्शन कर सकते हैं जो पारंपरिक विमानों के साथ असंभव है और यह हवाई युद्ध और बचाव अभियान के लिए एक बड़ा फायदा है। जेट ईंधन और पारंपरिक ऑटोमोबाइल ईंधन की तुलना में संचालित इंजन सस्ते भी होते हैं।
हालांकि, विकास के लिए आवश्यक लागत के कारण विकासशील वीटीओएल विमान अब तक सेना तक ही सीमित है। फिर भी बढ़ती लागत और सुरक्षा चिंताओं के बीच व्यापार-बंद ने अधिकांश मॉडलों का उत्पादन समाप्त कर दिया है।
नागरिकों के लिए, ऐसे वाहनों का सबसे अच्छा उपयोग टैक्सी और हवाई यात्रा के रूप में होगा। ऊबर ने पहले ही हवाई ऊबर के लिए अपनी योजना की घोषणा की है जिसके माध्यम से वह 2023 में वीटीओएल टैक्सियों को लॉन्च करना चाहता है। म्यूनिक में स्थित लिलियम का लक्ष्य इलेक्ट्रिक टैक्सी बनाना है जिसका जर्मनी में पहले से ही परीक्षण किया जा चुका है। एयरबस और नासा भी अपने उड़ने वाली कारों के संस्करण डिजाइन कर रहे हैं।
आईआईटी-कानपुर का क्या करने का इरादा है?
आईआईटी-कानपुर और वीटीओएल विमानन भारत के बीच सहयोग, पाँच वर्षों के भीतर कार्यात्मक प्रोटोटाइप विकसित करने की सोच रहा है। लेकिन केवल प्रौद्योगिकी विकसित करना ही सब-कुछ नहीं है।
शोधकर्ताओं ने कहा है कि परिवहन के इस पूरी तरह से नए तरीके को पेश करने के लिए नीति परिवर्तन में विस्तार करने के साथही विभिन्न अधिकारियों और नागरिक निकायों से सहयोग की आवश्यकता होगी। अजय घोष ने बताया, “वायु यातायात नियमों को इस अनुसार बनाने की जरूरत है।” इसमें एयरस्पेस के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिए कम से कम भारत के विमानन प्राधिकरणों के साथ काम करना शामिल होगा।
प्रस्तावित विमान अधिकांशतः वाणिज्यिक हवाई जहाज की तरह एक नलिका पंखे (डक्टेड फैन) का उपयोग करेगा। यह स्वच्छ होगा क्योंकि यह विद्युत शक्ति का उपयोग करेगा। घोष ने कहा, “हम उच्च विश्वसनीयता और सहनशक्ति के लिए एक संकर प्रणोदन प्रणाली भी डिजाइन कर रहे हैं।” संकर (हाईब्रिड) प्रणाली ईंधन और बैटरी का भी उपयोग करेगी।
एयरोस्पेस और प्रणोदन में अनुसंधान के मामले में आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस विभाग में देश की अग्रणी अत्याधुनिक सुविधा है। इसमें विमानों का परीक्षण करने में सक्षम पवन सुरंगें और उड़ान प्रयोगशालाएं शामिल हैं। यदि हमारे परिवहन कानूनों और कनेक्टिविटी में कठोर परिवर्तन लाने का प्रभावी ढंग से एहसास हुआ तो इस तरह के प्रोटोटाइप का विकास काफी क्रांतिकारी हो सकता है।
Read in English: IIT-Kanpur signs Rs 15 crore deal to develop flying taxis in India