श्रीनगर: कश्मीर घाटी में पिछले साल अगस्त से बंद पड़े स्कूलों के फिर से खुलने के बाद हजारों विद्यार्थी सोमवार को कक्षाओं में लौटे. अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के बाद की स्थितियों और सर्दियों की छुट्टियों की वजह से करीब सात माह बाद स्कूल खुले और विद्यार्थी स्कूली परिधानों में नजर आए.
अधिकारियों ने बताया कि विद्यार्थियों के स्कूल जाने के लिए सुरक्षा के तमाम इंतजाम किए गए हैं.
इतने महीनों से घर में बंद पड़े बच्चों के चेहरे पर स्कूल लौटने की खुशी थी.
यहां के एक निजी स्कूल की छठी कक्षा के छात्र जिया जावेद ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘इतने महीनों बाद स्कूल लौटकर, कक्षा में आकर अच्छा लग रहा है.’
जावेद ने कहा कि विद्यार्थी घर पर बोरियत महसूस करते हैं और दोबारा से दोस्तों एवं सहपाठियों के बीच आना रोमांचित करने वाला है.
पिछले कुछ महीनों में विद्यार्थी या उनके माता-पिता कक्षाएं नहीं चलने के कारण उनका होमवर्क लेने या जमा करने ही स्कूल आए थे.
कक्षा चौथी के एक छात्र नुमान ने कहा, ‘मैं अपना होमवर्क लेने पिछले कुछ महीनों में कुछेक बार स्कूल आया लेकिन कोई कक्षा नहीं चल रही थी. मैं पढ़ना और डॉक्टर बनना चाहता हूं.’
शिक्षकों ने आने वाला साल बेहतर होने की उम्मीद जताई ताकि बच्चों को बिना किसी बाधा के शिक्षा हासिल हो सके. उन्होंने कहा कि घाटी की स्थिति के चलते पिछले साल विद्यार्थियों की शिक्षा प्रभावित रही.
शहर के एक निजी स्कूल के शिक्षक ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर कहा, ‘राजनीति में पड़े बिना, मैं कहना चाहता हूं कि बच्चों की शिक्षा पिछले साल प्रभावित रही. मैं इस साल विद्यार्थियों के लिए नियमित, निर्बाध शिक्षा चाहता हूं और उम्मीद करता हूं कि इस साल कोई बाधा नहीं आएगी.’
जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के केंद्र के फैसले के बाद सरकार ने पिछले साल स्कूलों को चरणबद्ध तरीके से दोबारा खोलने के कई प्रयास किए थे लेकिन ये सभी विफल हो गए थे क्योंकि अपने बच्चों की सुरक्षा के चलते परिजनों ने उन्हें घर में ही रखा.
साल के अंत में कुछ स्कूल खुले लेकिन छात्रों से स्कूल यूनिफॉर्म पहने बिना कक्षाओं में जाने के लिए कहा गया.
कश्मीर के स्कूल शिक्षा निदेशक, मोहम्मद यूनिस मलिक ने शिक्षकों से विद्यार्थियों के बेहतर भविष्य के लिए क्षमता निर्माण की दिशा में समर्पण के साथ काम करने की अपील की.
निदेशक ने कहा, ‘उन्हें सहयोग देना हमारी जिम्मेदारी है और पाठ्यक्रम को सही समय से पूरा कराने के लिए दोगुने प्रयासों की जरूरत है.’